रायपुर-बिलासपुर सड़क मार्ग पर रायपुर से 45 किमी दूर और बिलासपुर से करीब 65 किमी पहले अर्थात दोनो के बीच में एक जगह है जिसका नाम सिमगा है। छोटा सा कस्बा जिसे नगर पंचायत का दर्जा मिला हुआ है। करीब 19000 के आसपास की आबादी वाला। जहां इंटरनेट के नाम पर बी एस एन एल की ब्राडबैंड सेवा पहुंच तो चुकी है लेकिन सिर्फ़ दो जगहों पर है,एक तो टाईपिंग,डीटीपी सेंटर है और एक है आईसेक्ट का कम्प्यूटर ट्रेनिंग सेंटर। यहां छत्तीसगढ़ के एक प्रतिष्ठित अखबार के प्रतिनिधि हैं प्रशांत तिवारी।
अब आप सोचेंगे कि इन साहब मे या इनके सिमगा मे क्या खूबी है जो ऐसी भूमिका बांधी जा रही है। खैर! बात यह है कि जहां बीएसएनएल ब्रॉडबैंड कनेक्शन सिर्फ़ दो जगह हैं जहां प्राईवेट इंटरनेट सर्विस प्रोवाईडर कंपनी पहुंचने की संभावना अगले पांच साल नही है वहां यह प्रशांत साहब ब्लॉग लिख और पढ़ रहे हैं। जनाब नें अपने एयरटेल के मोबाईल सिमकार्ड पर इंटरनेट एक्टिवेट करवाया हुआ है जिसे डाटा केबल के माध्यम से अपने डेस्कटॉप कम्प्यूटर से जोड़ते हैं और ब्लॉग्स पढ़ते-लिखते है। इनके ब्लॉग का नाम है सिमगा समाचार ।
तो यह है ब्लॉग्स पढ़ने और लिखने की ललक।
प्रशांत से मेरा परिचय ऑर्कुट के मार्फत हुआ है। अक्सर यह रायपुर आते रहते हैं पिछले हफ़्ते यह आए तो स्थानीय प्रेस क्लब में हम मिले और बातें हुईं।
मेरी नज़र से छोटी-छोटी जगहों से ब्लॉग का शुरु होना या सिमगा जैसी छोटी-छोटी जगहों पर ब्लॉग लिखा और पढ़ा जाना हिंदी ब्लॉग्स के लिए एक शुभ संकेत है।
आप क्या सोचते हैं?
अगर छोटी छोटी जगहों से शुरु हो रहे हिंदी ब्लॉग्स को एग्रीगेटर पर जगह मिले तो और भी अच्छा होगा!!
20 February 2008
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11 टिप्पणी:
अच्छा ब्लॉग है। लगता है प्रशांत तिवारी बहुत प्रतिभावान व्यक्तित्व हैं।
मामला तगड़ा है बॉस्
मै तिवारी जी को पढ रहा हूँ। सिमगा के आस-पास वनस्पतियो का अम्बार है। कुछ महिनो पहले मैने वहाँ की सैकडो तस्वीरे खीची। आशा है तिवारी जी इस पर कुछ लिखेंगे।
शानधारम्
संजीत,
बहुत बढ़िया. सच है, ये बात हिन्दी ब्लागिंग के लिए निश्चित रूप से शुभ संकेत है. प्रशांत जी इस बात के लिए बधाई के पात्र हैं.
धन्यवाद भाई जो आपने सिमगा और मुझे अपने लेखनी के काबिल समझा .
प्रशांत जी सच में बधाई के पात्र हैं और आप भी जो नई नई जानकारी आभासी दुनिया को देते हैं.
धन्यवाद, संजीत जी एक अच्छे ब्लॉग से परिचय कराने के लिए।
संजीत जी धन्यवाद प्रशांत के बारे मे बताने के लिए क्यूंकि अभी तक हमने इन्हे पढा नही था।
आपका सोचना बिल्कुल सही है, आपका और प्रशांत जी का कार्य न केवल हिन्दी के लिए वरन समूचे साहित्य जगत के लिए महत्तवपूर्ण है
बधाई
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