राष्ट्रीय जन वकालत अध्ययन केंद्र (एनसीएएस) ने मंगलवार को एक रपट लोकार्पित की। इसके अनुसार छत्तीसगढ़ के 90 में से 84 विधायक लखपति और जबकि छह विधायक करोड़पति है। 90 सदस्यीय सदन की औसत संपत्ति 30 लाख रूपए प्रति विधायक है। वहीं आदिवासी विधायकों की औसत संपत्ति 16.31 लाख रूपए प्रति विधायक है। रपट के मुताबिक राज्य के पश्चिमी क्षेत्र के विधायक सबसे ज्यादा अमीर हैं उनकी कुल संपत्ति करीब 593.75 लाख रूपए है। फिर नंबर आता है रायपुर क्षेत्र के विधायकों का उनकी कुल संपत्ति 568.96लाख रूपए है जबकि बस्तर क्षेत्र के विधायकों की कुल संपत्ति सिर्फ़ 162.82लाख रूपए है।
रपट में बताया गया है कि इन लखपति और करोड़पति विधायकों के पास सदन में देने के लिए ज्यादा समय नही है। एक साल में औसतन सिर्फ़ 39 बैठकें, अभी तक हुए पांच शीतकालीन सत्र में सिर्फ़ 28 बैठकें हुई हैं।
विधायकों का प्रोफ़ेशन--
90 में से आठ विधायक डॉक्टर हैं ……लेकिन कितना समय चिकित्सा आदि के लिए देते होंगे?
71 फीसदी विधायकों ने अपना प्रथम व्यवसाय कृषि बताया है……… लेकिन कितना समय अपनी खेतीबाड़ी से जुड़ी बातों पर देते होंगे?
08 फीसदी विधायक व्यापारी हैं ……………लेकिन खुद कितना समय अपने व्यवसाय को देते होंगे?
1 विधायक बुनकर हैं……(कहना चाहिए कि थे)
1 विधायक वकील हैं ……(कहना चाहिए कि थे)
छत्तीसगढ़ विधानसभा में--
30 साल से कम का एक ही विधायक है जबकि 51-60 की आयु वाले 28 विधायक हैं। 61-75 की उमर वाले 11 विधायक और 75 से ज्यादा उमर वाले दो विधायक है। 31-45 साल वाले 19 और 46-50 वाले 22 विधायक हैं।
खैर!
रपट तैयार करने वाले राष्ट्रीय जन वकालत केंद्र के अमिताभ बेहार का कहना है कि यह रपट पूरे तौर पर विधानसभा सचिवालय,पुस्तकालय,वेबसाईट,प्रकाशन तथा समाचारपत्रों के आधार पर तैयार की गई है इसमें किसी तरह का भेदभाव नही किया गया है।
अपन कुछ नही कहेंगे बस यह चित्र ही कहेगा सब कुछ।
तथ्य नई दुनिया के रायपुर संस्करण (13 फरवरी ) से साभार
14 February 2008
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
17 टिप्पणी:
गुरु छत्तीसगढ़ में तो बड़ा पैसा है, फोकट में आप लोगो ने बदनाम किया हुआ है, खैर ये नेता कहीं भी रहें अपनी जेब भर ही लेते हैं
ऐसी रपट के क्या मायने। आशा है अमिताभ जैसे प्रतिभावान लोग अपनी ऊर्जा का आगे सकारात्मक प्रयोग करेंगे। उनके संगठन से लोगो को बहुत उम्मीद है।
आजकल लोग-बाग राजनीति में आते ही इसीलिये हैं कि जेब भी गर्म रहें और काम भी धेले का ना करना पडे।
संजीत भाई ये तो हाथी के दांत हैं... बाकी तो अंदर की बात है। मैंने भी रपट है कई और जानकारियां भी हैं।
संजीत भाई ये तो हाथी के दांत हैं... बाकी तो अंदर की बात है। मैंने भी रपट है कई और जानकारियां भी हैं।
संजीत भाई,
पिछ्ली तीन-चार पोस्ट से आप भी "एंग्री यंग मैन" होते जा रहे हो… लगे रहो,,,लेकिन इसमें सिर्फ़ आँकडे ही नहीं और भी रगडना था…
भइया संजीत जी,
अमिताभ जी की इस रपट का एक पोस्टमार्टम हम भी किए देते हैं.....
करोड़पति और लखपति विधायकों का अनुपात ये बताता है कि ये विधायक ठीक से 'विधायकी' नहीं कर रहे. इन्हें समझना चाहिए कि छतीसगढ़ अब मध्य प्रदेश से अलग हो चुका है. इन्हें झारखण्ड राज्य में एक बार ट्रेनिंग लेकर अपनी क्षमता में सुधार लाने की कोशिश करनी ही चाहिए.
राज्य के पश्चिमी क्षेत्र के विधायक ज्यादा धनी क्यों हैं, इसपर बस्तर क्षेत्र के विधायकों को अध्ययन करने की जरूरत है. मैं ऐसा इसलिए कह रहा होंन क्योंकि बस्तर में खनिज सम्पदा से लेकर जंगल संपदा तक, सबकुछ उपलब्ध है. बस्तर क्षेत्र के विधायकों को अपनी 'विधायकी' में उचित बदलाव लाने की जरूरत है.
रायपुर क्षेत्र के विधायकों को भी पश्चिमी क्षेत्र के विधायकों से सीखने की जरूरत है. खासकर तब जब कि रायपुर प्रदेश की राजधानी है और वहाँ जमीन की कीमतों से लेकर कंस्ट्रक्शन और ठेकेदारी के बिजनेस का वर्तमान और भविष्य, दोनों उज्जवल है. ये तो है क्षेत्र के हिसाब से विधायकी को देखने की बात.
अब आते हैं व्यवसाय और प्रोफेशन के हिसाब से विधायकों के प्रदर्शन पर...
नब्बे में से आठ विधायक डॉक्टर हैं, उन्होंने पहले ही पर्याप्त मात्रा में प्रैक्टिस कर ली है. उन्हें अब काम करने की जरूरत नहीं है. आपके राज्य में कोई किडनी घोटाला नहीं हुआ है, इस बात की क्या गारंटी है?
इकहत्तर प्रतिशत विधायक कृषि से पीड़ित हैं. मतलब आपके राज्य में एक कृषि-प्रधान विधानसभा है. जो विधायक कृषि से पीड़ित हैं, ये आठ डॉक्टर विधायक उनका ही इलाज करते होंगे.
ये रपट में एक खामी नज़र आई मुझे. रपट कहती है कि केवल आठ प्रतिशत विधायक व्यापारी हैं. आप ही सोचिये, ये विश्वास करने लायक बात है क्या? अगर ये सही है तो फिर सारे विधायक दो कौडी के.
जो एक विधायक बुनकर हैं, वे व्यापार का ताना-बाना बुनते होंगे. और;
जो एक विधायक वकील हैं, उन्हें विधायक फॉर इमर्जेंसी कहा जाना चाहिए. वे अभी खाली हैं लेकिन उनकी वाकीली तब काम आएगी जब सी बी आई किसी विधायक से पूछ-ताछ करेगी.
अमिताभ जी को मेरी रिपोर्ट भेज दीजियेगा. और उन्हें अनुरोध कीजियेगा कि अगले साल इस लिहाज से भी रिपोर्ट निकालें.
मेरे को तो ये फ़िल्ड बडी अच्छि लगती है भाई
इसमे गुसने की कोई जुगाड हो तो बातये :)
भैया ये बेनाम जी इत्ता लिख गये। पोस्ट जित्ता बड़ा।
हम तो उन्ही को डिट्टो कर देते हैं।
कृषि और विधायकी ही सबसे पापुलर कॉम्बिनेशन है. कृषि तो कल से अपनाता हूँ फिर विधायकी की देखूँगा.
यह नही कहती की सब मगर सौ मे से ९० प्रतिशत चोर है अपनी जेबे भरते है जनता जाये भाड़ में...
भाई जी आपका लेख पढकर मुझे दो लाइने याद आती है .नेताओ के समझौतें हैं सिर्फ़ कागज के नोटो पर ,इनसे ज्यादा पावनता है वैश्याओ के कोठो पर !
भैय्ये रपट का तो ठीक है, लेकिन सच तो इससे भी खतरनाक होगा। ओन पेपर अगर बात की जाये तो राज्य सभा सांसद अनिल अम्बानी के नाम एक भी कार नही है॥
लेकिन पैसा तो है इस् लाईन मे ;)
ये कहीं भी रहे लखपति या करोड़पति होकर ही रहते हैं ऐसे जातक की विशेषता ही यही है
बढिया बतायेस भाई, अउ ये गुमनाम सियान ह घलो बने कहत हे सुन ले येखरो बात ल ।
संजीत भैया ये तो इनके द्वारा दी गई जानकारी है अगर स्टिंग आपरेशन जैसी कोई जांच के बाद की जानकारी हो तो रिपोर्ट और भी चौकाने वाला होगा.एक पार्षद को भत्ता और पेमेंट क्या मिलता होगा..? पर जैसे वो चुनकर आता है सबसे पहले चार चक्का के बारे में सोचता है..
इन विधायकों में चाहे डॉक्टर हों या फिर कृषक हों, वकील हों, जवान हों, बूढ़े हों - सब के लिए एक ही बात है कि 'ये सब चोर चोर मौसेरे भाई'।
Post a Comment