आदेश उर्फ़ गट्टू हमारे सबसे छोटे भतीजे है पर शैतानी मे शायद सबसे बड़े। पांचवी कक्षा में पढ़ने वाले आदेश का नाम गट्टू हमने तब रखा था जब वह कुछ महीने के ही थे। दर-असल तब यह नन्हे आदेश मियां इतना हलचल मचाते थे कि हमें दूरदर्शन पर किसी जमाने मे प्रसारित पंकज कपूर अभिनित एक सीरियल फटीचर के अंदर नॉवेल का एक पात्र गट्टू खूब याद आया। नॉवेल का यह पात्र जीवित हो कर जब सड़कों पर भागता था तो अपनी शरारतों से अपने को गढ़ने वाले लेखक के ही छक्के छुड़ा देता था। जैसे-जैसे आदेश की उम्र और शैतानियां बढ़ती गई हमें लगने लगा कि हमने उसे सीरियल के नॉवेल के पात्र गट्टू का नाम देकर गलत नही किया है वह अपने नाम को उस पात्र के मुताबिक चरितार्थ ही कर रहा है।
" पारटी है पारटी"
एक जनवरी की सुबह हम सोकर उठे तो देखा कि आदेश साहब अपनी मित्र मंडली के साथ हमारे और आसपड़ोस के तीन घरों की छतों का मुआयना कर रहे हैं। हमने पतासाज़ी की तो मालूम चला कि इकत्तीस दिसंबर की रात आदेश और उनकी मित्र मंडली ने अपने-अपने घरों में टीवी के सामने बैठकर ही नए साल का स्वागत किया इसलिए अब वे सब एक जनवरी को नए साल का जश्न इकट्ठे मनाना चाहते हैं।जगह की तलाश जारी थी। चार घर के दस बच्चे लेकिन आठ ही दिख रहे थे मालूम चला मिश्रा अंकल के किराएदार यहां के दो बच्चे नही है कहीं गए हैं। तो आठों बच्चों ने सभी घरों की छत का मुआयना किया और पाया कि सभी छत पर रायपुर की फ़ेमस धूल अटी-पटी पड़ी है मेहनत बहुत लगेगी अत: छत वाला प्रोग्राम कैंसल। आपस में फ़िर से विचार विमर्श हुआ फ़िर सभी घरों के पोर्च-आंगन का मुआयना हुआ। वर्मा आंटी के पोर्च में उनकी व किराएदार की कार खड़ी इसलिए नही। मिश्रा अंकल के यहां जगह है पर वे रात को आठ नौ बजे सो जाते हैं इसलिए वहां हल्लागुल्ला हो नही सकता। त्रिपाठी अंकल के यहां उतनी जगह नही। तो बचा अब केसवानी अंकल का पोर्च-आंगन वही उपयुक्त हैं क्योंकि वहां जगह है और उनकी कार बाहर निकलवा के रखी जा सकती है, इज़ाज़त भी मिल गई क्योंकि इस वानर सेना में केसवानी जी के यहां के चार बच्चे थे। सो तैयारियां शुरु हुई। दीवाल पे हैप्पी न्यू ईयर लिखा गया और आश्चर्य कि केसवानी आंटी ने जो कि दीवालें रगड़ रगड़ कर साफ़ करती रहती है बच्चों को डांटा तक नही।
खैर! वानर सेना ने तय किया कि कौन क्या लाएगा खाने के लिए। सब अपने अपने घरों से सामान लेकर आए और इकट्ठा हो गए केसवानी जी के पोर्च में। कोई लाया लड्डू, चॉकलेट तो कोई लाया भेलपूरी और पापड़ के साथ बैलून्स। किसी ने कोल्डड्रिंक्स और समोसे तो किसी ने सेव-मिक्स्चर। मिश्रा अंकल के किराएदार यहां के दोनो बालक भी देर शाम घर लौट आए और चिप्स कुरकुरे लाकर फौरन शामिल हो गए।
शाम साढ़े पांच छह बजे से जो वानर सेना का धमाल शुरु हुआ, म्यूज़िक सिस्टम पर नाचते-कूदते, खेलते रात साढ़े दस बजे समाप्त करवाया गया। हम भी नौ बजे घर लौटे और इनके दर्शक बन खड़े हो गए। दर्शक हम अकेले ही नही थे, चूंकि हमारे और केसवानी जी के घर के बीच साढ़े तीन फीट ऊंची दीवाल बस है तो दीवाल के पार से हमारे घर वाले भी दर्शक थे, केसवानी जी के घरवाले भी थे और सामने मिश्रा अंकल के किराएदार यहां की कन्याएं भी दर्शक के रूप में मौजूद थीं। मतलब यह कि धूम मचाती इस वानर सेना को दर्शक भी मिल गए थे।
वानर सेना में सबसे छोटी सदस्य थी केसवानी जी की सबसे छोटी पोती युक्ता जो अभी तीन साल की भी नही हुई है पर पूरे समय नाचती रही ठुमके लगाती रही और दौड़ती रही। सब दर्शक उसके डांस पर ही फिदा। हम भी अपने को रोक न पाए और उसकी तस्वीरें ले ली, उसकी तस्वीरें ली तो सबकी ली। इधर तेज़ म्यूज़िक बज रहा था और अचानक आदेश अपने घर की ओर दौड़ा और दो बच्चे सामने मिश्रा अंकल के घर की ओर। हम कुछ सोचते उससे पहले ही वे सब प्लास्टिक की चेयर्स लेकर लौटे। फटाफट चेयर जमाई गई और हो गई शुरु कुर्सी दौड़। मजा तो तब आया जब नन्ही युक्ता ने एक स्टूल हथिया लिया मजाल है अब किसी की जो उस स्टूल पर बैठे या उसे हटाकर दिखाए।
मस्ती में मगन नन्ही युक्ता से हमने जितनी बार पूछा कि युक्ता ये क्या हो रहा है, वह फौरन जवाब देती " पारटी है पारटी" फ़िर तुरंत अपने डांस या दौड़ने मे व्यस्त हो जाती।
अपने साल की पहली शाम तो इस वानर सेना ने बना दी, आपकी कैसी रही।
14 टिप्पणी:
संजीत जी , हमारा तो नया साल आज सफल हुआ बच्चों की पारटी में दर्शक और पाठक बनकर..उसके लिए आपको धन्यवाद दिए बिना आनन्द पूरा नहीं होगा..बहुत आनन्द आया इस वानर सेना की पारटी में :) :) :)
बच्चा पार्टी की जय हो....
संजीत भाई आपकी कलम ने घर की याद दिला दी, बस ऐसे ही लिखते रहें
भाई, 'पारटी' के बारे में पढ़कर बहुत अच्छा लगा. गट्टू से कहना कि अगले साल इससे भी बड़ी पार्टी आयोजित करे. उत्साह से ही सबकुछ है. गट्टू और उसके सभी दोस्तों को नए साल की ढेर सारी शुभकामनायें.
भई मजा आ गया लगा हम भी दर्शक हैं। आप ने दर्शकों की फ़ोटू नहीं खीचीं, इस बहाने उनसे भी मुलाकात हो जाती। खैर हमें विश्वास है अगली बार गट्टु जी इस से भी बड़ा आयोजन करेंगे और छ्त पहले से साफ़ करवा लेगें।
भाई गट्टू जी से कहिये की वो हर महीने एक ऐसी पार्टी आयोजित करें. छत की सफाई झाडू लेकर हम कर देंगे. अरे जो लोग गट्टू जी की पार्टी में शिरकत कर डांस करेंगे उनकी ज़िंदगी से तनाव ऐसे गायब होजायेंगे की दाग की तरह ढूंढते रह जायेंगे आप. बहुत सचित्र वर्णन किए हैं आप. मजा आ गया सच में.
नीरज
आपने तो हम लोगों की भी पार्टी करवा दी !
आपको और आपके परिवार के लिए नया साल शुभ हो !
गट्टू और उसके दोस्तों को नए साल मे ढेर सारी शुभकामनायें !!
यह तो बच्चों नें सचमुच में पारटी की थी। पर अगर बच्चे प्रसन्न मन से कुछ भी करें तो वह पारटी हो जाता है। भारतीय संस्कृति का उत्सव मुख्य अंग है और बच्चे उत्सव का मूर्त रूप हैं।
बहुत अच्छी लगी यह पोस्ट।
अपने आस-पास के पात्रो को इस तरह सामने ला खडा करना और पाठको को यह अहसास कराना कि वे उनके अपने ही है- यह खूबी कम ही ब्लागरो मे है। आप उनमे से एक है। इसीलिये कहता हूँ कि जब भी समय मिले लगातार लिखे। शुभकामनाए।
पारटी तो हम भी करके लौटे हैं , परन्तु लगता है गुट्टू जी की पारटी हमसे बीस ही रही । गुट्टू व सब मित्रों को नववर्ष की शुभकामनाएँ ।
घुघूती बासूती
गुट्टु जी की पार्टी को सौ में से एक सौ एक नम्बर। आप ज्यादा तकनीकी न हों तो १४ और १५ जनवरी को दोनों दिन अपना जन्म दिन मनाइये। ऐसा अवसर फिर कुछ बरसों तक नहीं आएगा। तकनीकी हों और लीप इयर में सुबह ६ बजे तक न जनमे हों तो अपना जन्म दिन हर लीप इयर में १५ जनवरी को मना सकते हैं। हर चार साल बाद आई यह विविधता आनन्द ही देगी। आप को जन्म दिन की एडवांस बधाई।
क्या पारटी है जी.
गट्टू जी की वानर सेना और उनकी "पारटी" दिल को छू गई। काश उनके जैसा उत्साह हम सबमें आ जाये।
नया साल आपको भी बहुत -बहुत मुबारक हो...
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