मैं
अंत्ययुग में जन्मा मैं
थी अभिलाषा पितृजनों की
पाकर ज्ञान "वेद" का
बनूं मैं "संजय"।
बीता काल हुआ मैं अखर्त
हुआ अखर्त बना वागीश
न बना मैं वाहक
पूर्वीण गुणों का।
न ही बना मैं निर्वाहक
प्रतन संस्कृति का।
प्रतीक्षारत हूं नवाधार के
सृष्टि के नवसृजन हेतु।
बना वसु को प्रतिसंगी
संक्षय की बेला में
मोक्ष संजन की प्रतीक्षा में
संजीनत होने को आतुर
मुमुक्षु मैं संजीत।
अंत्ययुग में जन्मा मैं
थी अभिलाषा पितृजनों की
पाकर ज्ञान "वेद" का
बनूं मैं "संजय"।
बीता काल हुआ मैं अखर्त
हुआ अखर्त बना वागीश
न बना मैं वाहक
पूर्वीण गुणों का।
न ही बना मैं निर्वाहक
प्रतन संस्कृति का।
प्रतीक्षारत हूं नवाधार के
सृष्टि के नवसृजन हेतु।
बना वसु को प्रतिसंगी
संक्षय की बेला में
मोक्ष संजन की प्रतीक्षा में
संजीनत होने को आतुर
मुमुक्षु मैं संजीत।
( अंत्ययुग= कलयुग) (पितृजन=पुरखे) ( वेद=वेद-पुराण) (संजय= दूरदृष्टि वाला) ( अखर्त=लम्बा-बड़ा) (वागीश= कवि-वक्ता) (पुर्वीण= पैतृक) (प्रतन=प्राचीन) (नवाधार= नया आधार, नव-सृजन= फ़िर से रचना करना) (वसु=सूर्य) (प्रतिसंगी=हमराही) (संक्षय बेला=संक्रमण काल) (मोक्ष-संजन=अंतिम मुक्ति) (संजीनत होना= पुनरुत्पादित होना= फ़िर से पैदा होना) (मुमुक्षु= मोक्ष की कामना करने वाला )
22 टिप्पणी:
जन्मदिन की बधायी……ईश्वर आपको उन्नति के शिखरों पर पहुँचाये…हमारी दुआयें…॥
क्या बात है आज तो आपने बहुत ही गहन अर्थों वाली बढिया कविता लिख डाली ।
बहुत-बहुत बधाई !!
आज आपके जन्म दिवस पर हम आपको ढेरों शुभकामनाएँ देते हैं कि सृष्टि के नवसृजन हेतु आप लगे रहें और आपकी सभी मनोकामनाएँ पूरी हों.
अच्छी रचना है।
न बना मैं वाहक
पूर्वीण गुणों का।
न ही बना मैं निर्वाहक
प्रतन संस्कृति का।
भारी-भारी शब्द लिखे हो भाई। शब्दकोश की जरूरत पडेगी आगे से। :)
जन्म दिवस की हार्दिक शुभकामनाए।
जन्मदिन की शुभकामनायें ।
अब आपने हमें डरा दिया। (कुछ गनीमत कि आपने शब्दों के अर्थ बता दिये :-)
संजीत भाई अपुन के तो ऊपर से ही निकल गया था आपने अर्थ लिखकर अच्छा किया.
जन्मदिन की ढेरों बधाईयां.........
आपको जन्मदिन की ढेरों बधाई और शुभकामनाएं।
पार्टी और केक कहाँ है। :)
बंजारे की आवारगी कायम रहे और यह दिन हजार साल तक हजारों बार आए.
जीवेत शरदः शतम्......
क्या भीडू सालगिरह मुबारक हो क्या । अंग्रेजी में बोले तो हैपी बर्थडे और अपुन का मराठी में बोलो तो वाढ़दिवसची शुभेच्छा और बाकी का भाषा बोलोगा तो वाट लग जाएगा । दिमाग का दही बन जायेगा । समझा क्या । अच्छे से बडडे बनाने का । जैकी बाबा का स्टाइल में बोलो तो दाल रोटी खाने का । ठंडा पानी नहीं पीने का । एक्सरसाईज करने का । चल भीडू खाओ पीयो ऐश करो । अभी अपुन चलता है ।
बहुत ही गूढ़ कविता.. शब्दार्थ ना लिखे होते तो आपको फोन करना पड़ता। :)
जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनायें।
अरे यह सही साट टिप्पणी करने वाले मस्त संजीत का ही जन्मदिन है न? यहां तो लपेट लपेट कर बहुत गुरुत्व वाली पोस्ट लिखी है!
संजीत को जन्मदिन की बहुत बहुत बधाई। अगले साल के जन्मदिन तक कम से कम दस सेर वजन बढ़े - यह कामना है।
और क्या मस्त मकर संक्रांति का दिन चुना पैदा होने को!
आप सब की शुभकामनाओं के लिए मैं आभार!!
@ज्ञान जी, संजीत कभी-कभी गलती से अपने कुल वजन से दो-चार या कई गुनी भारी चीजें भी लिख डालता है ;)
जन्मदिन की शुभकामनाएं । शव्दों में बसे संजीत को बधाई ।
वाह संजीत जी,शब्दों के प्रयोग से लेकर भावनात्मक उथल-पुथल तक का बेहतरीन चित्रण किया है आपने.और हाँ,जन्मदिवस की हार्दिक शुभकामनाएं.
जन्मदिन की बधाई केवल २२ मिनट देर से ।
घुघूती बासूती
वाह भई वाह।
मधुशाला की ये पंक्तियां याद आ गई...
स्वागत के ही साथ बिदा की
होती देखी तैयारी
बंद लगी होने खुलते ही
मेरी जीवन मधुशाला......
जन्म दिन मुबारक हो बंधु....
संजीत जी जन्मदिन पर पुनः बधाई। घुघूती जी को कोई देर नहीं हुई। आज भी मकर संक्रान्ती है और उन्हों ने ठीक उस वक्त बधाई दी है जब सूरज संक्रांति से गुजर रहा था।
माफ़ करना संजीत थोड़ी देर हो गई.. पर बधाई तो ले ही लो.. खूब मजे करो.. खुश रहो.. और सफल हो..
बढ़िया और बढ़िया लिखो!!
आप सभी की शुभकामनाओं के लिए आभारी हूं मैं!!
शुक्रिया!!
der sahi, aapko janmdin ki badhai aur dher sari shubhkamnayen.
ashwini kesharwani
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