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07 January 2008

तुम ही तो हो

तुम ही तो हो



कानों में पड़ता
कर्णप्रिय स्वर
तुम्हारा ही होगा।
रक्तिम अधरों से
गुंजारित होता
मधुर स्वर
तुम्हारा ही होगा।
हवाओं में फैलती
यह मादक खुशबु
तुम्हारी ही होगी।
कल्पनाओं में
आकार लेती
यह मनमोहिनी छवि
तुम्हारी ही होगी।
मेरी पीठ पर
हर वक्त चुभती
यह नज़रें
तुम्हारी ही होगी।
धीमें-धीमें उठती
यह कदमों की धमक
तुम्हारी ही होगी।


21 टिप्पणी:

सुनीता शानू said...

बहुत खूबसूरत संजीत जी,हर शब्द खूबसूरती से कहा गया है,इतना खूबसूरत वर्णन किया है जिसका सचमुच वो कितनी सुन्दर होगी...

Pankaj Oudhia said...

शुभकामनाए। खुशखबरी की प्रतीक्षा है। मै बार-बार इसे पढता हूँ तब भी मुझे तो जडी-बूटियो की ही याद आती है। तुम भाग्यशाली हो। शुभकामनाए।

ALOK PURANIK said...

सही जा रे ले हो प्यारे। लगे रहो।

anuradha srivastav said...

कल्पनाओं में
आकार लेती
यह मनमोहिनी छवि
तुम्हारी ही होगी।
भैय्ये अब तो बकुर दो ......... घर पर सिफारिश हम कर देंगें।
बहुत खूबसूरत शब्द चयन उतनी ही खूबसूरत कृति
अगली पोस्ट का इन्तज़ार है।

रंजू भाटिया said...

तुम्हारी ही होगी।
धीमें-धीमें उठती
यह कदमों की धमक
तुम्हारी ही होगी।

बहुत सुंदर कविता

Anonymous said...

बहुत सुन्दर ! कल्पना की मोहिनी छवि वास्तविक जीवन में शीघ्र ही पदार्पण करे , हमारी ढेरो शुभकामनाएँ.

Anonymous said...

very nice

Shiv Kumar Mishra said...

बहुत बढ़िया कविता है...संजीत, भाव अच्छे...शब्द अच्छे

Ashish Maharishi said...

संजीत भाई सुंदर कविता, थोड़ी सी और बढ़ाओ

पारुल "पुखराज" said...

धीमें-धीमें उठती
यह कदमों की धमक
तुम्हारी ही होगी।...bahut sundar bahaav....sanjeet maajra kya hai ?

Anonymous said...

सँजीत जी.. साथ देने के लिए धन्यवाद. आगे भी आपका साथ मिलेगा मेरी ऐसी ही आशा है. वैसे आपकी कविता भी खुब भाया मुझे.

नीरज गोस्वामी said...

संजीत जी
हवाओं में फैलती
यह मादक खुशबु
तुम्हारी ही होगी।
काश उसी की हो....जिसके बारे में आप ने इतने सुंदर शब्दों में अपनी भावना व्यक्त की है...आमीन .
नीरज

Anonymous said...

Ultimate Expression oF LOVE.....

36solutions said...

कवि अपने अंतरतम के भावों को कविता में व्‍यक्‍त करता है, पाठक उससे जुडता है, पढता है जैसे कि टिप्‍पणियों में कहा गया ।

मेरी भी कयास सुने शायद यह भावों के करीब हो । उसकी नजर सीने को छोडकर पीठ में गड रही है, बंधु यह प्रेम नही विरह है ।

संजीव

अमिताभ मीत said...

वाह ! सर जी वाह !! बहुत खूब. अजीब सा एहसास हुआ पढ़ कर. शुक्रिया आप का.

Anita kumar said...

बहुत ही सुन्दर शब्द…।भगवान से प्राथना है कि 2008 में अब ये मैडम ख्यालों से निकल कर आप की जिन्दगी में चली आये और हम को लड्डु खाने को मिलें। डायटिंग शुरु कर दी है, खूब सारे लड्डु खाने के लिए

जेपी नारायण said...

जी, हो सकती है उसी की हो....

जेपी नारायण said...

जी, कौन जाने, उसी की हो

ghughutibasuti said...

बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति , कुछ मधुर सी भावनाएँ । कुल मिलाकर एक जादू सी बुनती रचना ।
घुघूती बासूती

Anonymous said...

Wah sir ji maan gaye bahut pyari rachna hai

sab kuch to saundary se bhara hai
bus samay ka khayal karna jaruri hai :-)
kash hum v kuch shabdo k is jadui khel ko khel pate
to hame v dhero coment milte..!
:-(
:-P

seema gupta said...

"maira hona taire vasty kuhc bhee na shee, magar maire vastey sirf tum hee to hoo..."

behtreen....

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