आइए आवारगी के साथ बंजारापन सर्च करें

24 January 2008

आह मौसम-वाह मौसम

आह मौसम-वाह मौसम


पता नही मौसम ने कैसे रंग बदले हैं। हम तो इस ठंड के मौसम में ठंड का मजा ही न ले पाए। स्वेटर और जैकेट बाहर निकले भी तो सिर्फ़ आठ दस दिन के लिए,घरों मे पंखे बंद हुए भी तो सिर्फ़ एक-दो दिन के लिए। बाकी दिन वही तीखी धूप और रात में चलता पंखा। अब तो वाकई लगने लगा है कि रायपुर में मौसम सिर्फ़ दो तरह का होने लगा है कि एक तो गर्मी और दूजी बहुत गर्मी। लेकिन आज 24 जनवरी को इस ठंड के सीज़न मे पहला दिन ऐसा है जब सुबह से सूरज के दर्शन नही हुए,सुबह से ही बदलियां छाई हुई हैं, ठंडी हवा सरसराए जा रही है। मौसम ऐसा है कि जगजीत सिंह की गज़ल "मान मौसम का कहा, छाई घटा, जाम उठा" सुनने का मन हो रहा है। और फ़िर कहा जाए कि " ला पिला दे साकिया" पर लोचा यह है कि साकी नई है इधर और घर में ऐसी बात करूं तो पिछवाड़े पे पड़ेगी लात। ;)

खैर! आजकल की जुबान मे कहूं तो एकदम ही "सेक्सी" मौसम है। ऐसा कि बाईक उठाई जाए और निकला जाए लांग ड्राईव पर। सच कहूं तो छत्तीसगढ़ी शब्द "जरजुड़हा" मुझ पर एकदम सटीक लागू होता है अर्थात जिसे कम ठंड में भी ज्यादा सर्दी का एहसास हो और सहन न हो। सो जरजुड़हा होने के बाद भी ऐसे मौसम के लिए तरस रहा था मै। इधर सारा उत्तर भारत शीतलहर मे कुड़कुड़ाए जा रहा है और हम रायपुर के लोग तरस रहे हैं कि प्रभो लहर न सही बस शीत तो दे दे,कुछेक दिन लगे तो सही कि हां ठंड का मौसम है यह।जबकि छत्तीसगढ़ में ही मैनपाट नाम का एक टूरिस्ट प्लेस है जहां तापमान शून्य से नीचे चला गया है। बताईए भला………

तो ऐसे "सेक्सी' मौसम में एग्रीकल्चर कॉलेज में पढ़ने वाला भतीजा अश्विन तो निकल लिया अपनी बाईक उठा कर अपने कॉलेज , अब चूंकि उसका कॉलेज है शहर से बाहर 15 किमी दूर सो उसकी तो लॉंग ड्राईव ऐसे ही हो गई। बचे हम और इंजीनियरिंग कॉलेज में पढ़ने वाला भतीजा अचिन। अचिन का कॉलेज अश्विन के कॉलेज से और आगे है लेकिन उसके कॉलेज मे सालाना खेलकूद चल रहे हैं और उसे सिर्फ़ डांस मे हिस्सा लेना है सो वह गया नही कॉलेज। दोपहर में तैयार हो कर उसने बाईक उठाई और निकल लिया। हमने समझ लिया कि चले भैया भी लांग ड्राईव के लिए लेकिन यह क्या अचिन तो लौट आया पंद्रह मिनट में। हमने पूछा उससे कि क्यों क्या हुआ कैसे लौट आया इतनी जल्दी। उसने बताया कि कोई दोस्त मिला नही साथ चलने वाला। हमने पूछा कि क्यों तुम्हारे दोस्त विक्की को क्या हो गया ( विक्की सबसे नज़दीक मे रहने वाला मित्र है इसका)। अचिन ने कहा- अरे विक्की को घूमना पसंद नही बल्कि एक जगह ठहर जाना ज्यादा पसंद है उसका कि यहीं रुक के बातें करते हैं भाई।

हमने कहा इसमे उसकी नही जीन की गलती है,जीन की बोले तो आनुवांशिकता की,हमारे सांसद रमेश बैस जी को देख लो सीधे-सादे ठहर जाने वाले। अब विक्की उनके परिवार का है तो अलग थोड़े ही होगा। भतीजे अचिन ने पूछा कैसे तो हमने कहा कि कभी अखबार मे पढ़े या कहीं सुने हो कि सांसद रमेश बैस जी ने आज अपने इलाके का दौरा किया या फलां-फलां जगह का निरीक्षण किया और आदेशित किया हो कि जल्द ही समस्या निराकरण हो जाना चाहिए।
अचिन ने सहमति मे सर हिलाया कि हां ऐसा न कुछ देखा न सुना न पढ़ कभी। इक्का दुक्का बार यह बस पढ़ने को मिल जाता है कि रमेश बैस जी ने अफसरों की मीटिंग लेकर फटकारा। या रमेश बैस जी खफा है राज्य सरकार से।

तो हमने अचिन से कहा कि भैया देख लो जब रमेश बैस जी घूमते-फिरते नही हैं तो उनका रिश्तेदार बालक भी वैसा ही होगा न,जिसे बैठे रहना पसंद होगा।

तो नागरिक भी ऐसे कि बैठे रहना पसंद और जनप्रतिनिधि भी ऐसे ही। सो रायपुर की किस्मत भी बैठी हुई है धूल और मच्छर से ढंकी हुई। जब नेता-जनप्रतिनिधि और नागरिक जागेंगे तो धूल और मच्छर गायब हो जाएंगे कुछ दिन के लिए जब चुनाव नज़दीक होंगे। जैसे इस साल चुनाव होने हैं तो अब रायपुर की धूल का कारण जानने का ठेका नागपुर की एक कंपनी को दे दिया गया है जो डेढ़ साल का समय लेगी यह बताने के लिए कि रायपुर मे इतनी धूल, इतना प्रदूषण क्यों है। अब डेढ़ साल बाद अगली सरकार किसकी रहेगी और इस कंपनी की रिपोर्ट का क्या होगा कौन जानता है।

खैर अपन लटके रहते हैं आज के मौसम वाले टॉपिक पर तो हां मौसम है एकदम धांसू,बोले तो रापचिक,बोले तो सेक्सी। भगवान कुछेक दिन ऐसा ही मौसम बख्शे रहे रायपुर को।

14 टिप्पणी:

Anita kumar said...

हाय जाड़ो के मौसम को तो हम भी तरसते हैं , खैर इस साल भगवान की कृपा हो ही गयी और पिछले चार पांच दिन से अपुन भी शॉल ओढ़े इतरा रहे हैं

anuradha srivastav said...

हाय हाय हम तो जाडे से घबरा चुकें है अब तक। चलिये भगवान करें यहां की सारी ठंड भी आपको लग जाये।

रंजू भाटिया said...

कांप कांप के बुरा हाल हो रहा है !!!!!!!!!!!:) कभी मौसम का हाल बताने वाले कहते हैं कि शिमला से ठंडी हवा आ रही है कभी जम्मू कश्मीर से :) सो हमने आज विनती कर दी है कि .है ... पूर्व ,पश्चिम ,उत्तर ,दक्षिण सब तरफ़ से आने वाली हवाओं अब संजीत जी के पास जाओ :)

Gyan Dutt Pandey said...

कितना अच्छा हो कि हम मौसम ई-मेल कर सकें। संजीत के पास कश्मीर से मौसम ई-मेल हो जाये। उत्तराखण्ड में नाभिदर्शना नायिका का नृत्य होने वाला हो तो संजीत पहले रायपुरिया मौसम ई-मेल करें फिर अगली गाड़ी से देहरादून के लिये खुद भी सटक लें - नृत्य देखने को! :-)

सुनीता शानू said...

दिल्ली का तो बहुत बुरा हाल है कम्प्यूटर पर बैठना भी मुशकिल हो गया है...आज बादल छाये है शायद छत्तीस गड़ से आये है...देखो शायद बरस ही जाये...:)

36solutions said...

'हो आज मौसम बडा बेईमान है ...' जडजुडहा पर मेरा एक शोध है जो दुबले पतले होते हैं उन्‍हें ठंडी ज्‍यादा लगती है और ऐसे में गरम कपडे पहनने का मजा कुछ और ही होता है जिसे जडजुडहे ही समझ सकते हैं । मैं भी दो दिन से घर में बैठकर ठंडी का मजा ले रहा हूं ।
आज बादल गरजा नहीं है हो सकता है बरसे, पर दिल्‍ली वालों को हमारे बादल का टैक्‍स तो देना होगा । बडी मुश्किल से बादलों को समझा-बुझा के जेट से भेजें हैं आज किंगफिशर नहीं आई थी और खटारा ढक्‍कन (डक्‍कन)बादल देखकर हमारे लान में ही लेंड कर गई थी ।

Tarun said...

bhaiya isko thandi keh rahe ho, ye to humare liye spring jaisa hai. Yehan to lagi hui hai temp 1 aur 2 degree ke beech me pakram pakrai khel reha hai.

mamta said...

लगता है आजकल सभी जगह सुहाना मौसम ठंड का है क्यूंकि पिछले ३-४ दिन से तो गोवा मे भी गुलाबी ठंड और सुबह के समय कोहरा होता है।

Pankaj Oudhia said...

स्वास्थ्य का ध्यान रखना। यह मौसम डाक्टरो के लिये भी अच्छा मौसम है।

अजित वडनेरकर said...

मौसम के बहाने आपने प्रदेश की चिन्ता भी कर ली। बढ़िया है।

ghughutibasuti said...

उत्तर भारतीयों की ठंड भले ही ले लो, हमारे यहाँ से बिल्कुल ना लेना। बड़ी कठिनाई से तो थोड़ी बहुत यह देखने को मिली है ।
घुघूती बासूती

Pratyaksha said...

हम भी जरजुडहा हैं :-)
(सही इस्तेमाल किया ? )

Sanjeet Tripathi said...

हां प्रत्यक्षा जी, आपने सही इस्तेमाल किया

Sarita said...

is baar dekhenge, kaisa mausam rahta hai?

Post a Comment

आपकी राय बहुत ही महत्वपूर्ण है।
अत: टिप्पणी कर अपनी राय से अवगत कराते रहें।
शुक्रिया ।