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31 December 2007

क्या दे गया और क्या देगा

क्या दे गया और क्या देगा


पीछे मुड़ता हूं देखता हूं
गया साल दे क्या गया
लहू के छीटें ज्यादा खुशियां कम
अलगाव ज्यादा मिलन कम
उल्लास कम आक्रोश ज्यादा
मेहनताना कम पसीना ज्यादा
सेन्सेक्स ऊंचा गरीब का सर और झुका
कांक्रीटीकरण जितने ऊंचे भावनाएं उतनी ही नीची
क्या-क्या गिनूं क्या-क्या याद करूं भला
जलती हैं आंखें रोता है मन
देखता हूं जिसके घर में पहले दो रोटी थी खाने वाले चार
आती है उस घर में अब तो एक रोटी ही
उसके पड़ोस में पहले स्टील की थाली थी
और अब चांदी की
सेन्सेक्स ऊंचा जो हुआ था।
खैर!
बीति ताहि बिसार दे आगे की सोच
देख रहा हूं
धीमे धीमे आ ही गया नया साल
नई आशाएं लेकर
परिवर्तन की उमंगे लेकर
उम्मीदें लेकर
एक रोटी खाने वाला
दो रोटी की उम्मीद कर रहा
नए साल से
चांदी की थाली वाला
सोने की ईंट मांग रहा नए साल से
कांक्रीट से ढंक देने का ख्वाब है नए साल में
लहू की नदियों का भी सपना है क्या भला इस साल में
कितना अलगाव है और कितना मिलन है नए साल में
उल्लास बढ़ेगा या आक्रोश
उस गरीब का सर
उठेगा,तनेगा क्या इस साल में
पेट और सर क्या अलग दिखेंगे उसके
देख रहा हूं आते नए साल को
क्या-क्या देगा यह हमें
जलती आंखे शांत हुई कुछ
नए साल में शीतलता की आशा से
रोना थमा सा है अब
उम्मीदों का दामन पकड़ कर
कैसे कहूं, वर्ष नव हर्ष नव
फिर भी उम्मीदें जिलाए रखती है हमें
इसलिए
नव वर्ष की शुभकामनाएं


नया साल हमारा ही नही होता, हर नए साल के संकल्प हम ही नही लेते। आतंकी,आततायी खून बहाने वाले भी नए साल में लेते होंगे ऐसे ही अपने कुछ संकल्प तो क्या हम और हमारी सरकारें तैयार हैं। कहते हैं कि अच्छे मौके पे ऐसी बात नही करनी चाहिए पर हक़ीक़त से न हम मुंह मोड़ सकते हैं न आप।

खैर!!

नव वर्ष की शुभकामनाएं सभी को।

हैप्पी वाला न्यू ईयर।



24 टिप्पणी:

Ashish Maharishi said...

नव वर्ष की शुभकामनाएं

Pankaj Oudhia said...

देखता हूं जिसके घर में पहले दो रोटी थी खाने वाले चार
आती है उस घर में अब तो एक रोटी ही
उसके पड़ोस में पहले स्टील की थाली थी
और अब चांदी की
सेन्सेक्स ऊंचा जो हुआ था।

क्या बात है कविवर। नव-वर्ष की अग्रिम शुभकामनाए।

Pratyaksha said...

नया साल मंगलमय हो !

anuradha srivastav said...

बीति ताहि बिसार दे आगे की सोच
देख रहा हूं
धीमे धीमे आ ही गया नया साल
नई आशाएं लेकर
परिवर्तन की उमंगे लेकर
उम्मीदें लेकर
सही कहा संजीत नया साल आ ही गया। जरुरत है कुछ संकल्पों की और उन्हें हकीकत में बदलने की।
नये साल की हार्दिक शुभकामनायें.............

ALOK PURANIK said...

प्यारे 2008 के नंबरों को जोड़ो तो नंबर बनते हैं दस
बस
दिन तो सारे दस नंबरियों के हैं
अब तो साल भी उनके नाम हैं
प्यारे संजीत तुम जैसों का क्या काम है
अगर तू दस नंबरी ना हो पाया
तो फिर समझो कि ये साल भी गंवाया
छोड़कर ईमान-सच्चाई के गुण
प्यारे तू दस नंबरी बन
नये साल की यही पुकार है
देख प्यारे फिर बहार ही बहार है

समय चक्र said...

बहुत बढ़िया. नववर्ष की आपको ढेरो शुभकामना

मीनाक्षी said...

"उम्मीदों का दामन पकड़ कर"
उम्मीदों का दामन कभी न छोड़ना..
बस उसे थामे जीवन पथ पर दौड़ना...
नव वर्ष पर ढेरों शुभकामनाएँ

Unknown said...

इस उम्र में इत्‍ती गंभीरता ना भइया ना। आलोक पुरणिक के बहकावे मत आना, दस नंबरियों का नहीं है, जमाना। जमाना हमारा ही है, आलोक जैसो का नहीं।

रजनी भार्गव said...

नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएँ.

Gyan Dutt Pandey said...

सेंसेक्स की उछाल से नतो उछल जाना चाहिये और न ही गरीबी-फटेहाली के नैराश्य में डूबना चाहिये। सच्चाई बीच में कहीं है। हमें वहीं कहीं बीच में होना चाहिये।
नया साल मुबारक मित्र।

Divine India said...

बहुत ही शानदार कविता…।
आपको नववर्ष की ढ़ेरों बधाइयाँ…।

अफ़लातून said...

સાલ મુબારક

पारुल "पुखराज" said...

नव वर्ष की शुभकामनाएं संजीत

इरफ़ान said...

नए साल में आप और भी अधिक ऊर्जा और कल्पनाशीलता के साथ ब्लॉगलेखन में जुटें, शुभकामनाएँ.

www.tooteehueebikhreehuee.blogspot.com
ramrotiaaloo@gmail.com

अजित वडनेरकर said...

मंगलमय हो नववर्ष ।

Sanjay Karere said...

आशावाद के बिना मानव का जीवन चल नहीं सकता. आपकी सभी आशाएं नए वर्ष में पूर्ण हों. नय साल की आपको ढेरों शुभकामनाएं.

महावीर said...

नया वर्ष आप सब के लिए शुभ और मंगलमय हो।
महावीर शर्मा

गरिमा said...

अर्रे र्रे ऐसी सोच क्यूँ? ना पिछला साल कुछ ले गया, ना नया साल कुछ देगा, लेना देना तो हमारा काम है, कौन समाज को क्या देगा यह हमारे सोच पर निर्भर है, कौन किसी से क्या लेगा यह उनके स्तर पर निर्भर है... आतंकवादी, बम बरसा जायेंगे क्युँकि हमे लड़ना नही आयेगा, नेता लोग फिर इस साल कोरे वादे करेंगे क्यूँकि हमे अपना हक माँगना नही आयेगा, शेयर बाजार मे पूँजीपति पैसे बनायेंगे, क्योँकि हमे शेयर बाजार के लिये पैसे बनाना नही आया.... हमेशा की तरह.. यह सिलसिला जारी रहेगा क्यूँकि हम भी नही बदलते, बस वक्त को हालात को दोष देने मे रह जाते हैं।

हाँ इस साल भी बस एक उम्मीद लगा कर बैठ जायेंगे... कि कोई आयेगा और सब कुछ ठीक कर जायेगा, और फिर साल के अंत मे रोयेंगे कि कुछ नही मिला...
कुछ मिलना, कुछ पाना, हालात बदलना हमारे ही हाथ मे है, इसके लिये बेचारे वक्त को दोष नही देना चाहिये, नये साल मे कुछ नया करने की सोच के साथ आगे बढ़ना ही अपना ध्येय होना सटीक लगता है...


नव वर्ष की मंगल कामनाओ के साथ :)

Sajeev said...

sanjit bhai jab bure log burai nahi chodte to achhe log achhaiyone se kyon damaan chudaa len, aao ham bhi vapas usi urja se naye saal men nayi unchaiyon ko chune ke liye katibandh ho jayen
happy new year 2008

Unknown said...

sanjeetji,

bahut achha laga naye saal ke bare me wo sab kuch padhkar jo kabhi padhne ko nahi milta.

naya saal matlab sirf 31 st december ki raat bhar party ,aur un parties me naye saal k naam par jo kuch bhi hota hai wo aap bhi jante honge.

zameeni hakikat ko aapne jis tarah bayan kiya hai wo kabile tarif hai .waise mujhe nahi lagta ki is naye saal me tasweer kuch bahut alag hogi .development for whom and at whose cost ,ye hi sawal is saal bhi hame pareshan karta rahega.

par haan ummeed par hi duniya kayam hai.

wo subah kabhi to aayegi aisi asha karte hue aapko naye varsh ki shubhkamnayen.

Anonymous said...

आप और आपके परिवार को नव-वर्ष की ढेरों सारी शुभकामना और बधाई.

Hindi Sagar

विनोद पाराशर said...

संजीत भाई
आने वाले नये साल में,जो-जो शंकायें आपने अपनी कविता में जाहिर की हॆ,वे जायज हॆ,लेकिन हमें भी अपने-अपने मोर्चे पर हिम्मत के साथ डटे रहना हॆ.
कहो, कॆसी कही मेरे भाई?
नये साल की आपको भी बंधाई.

ghughutibasuti said...

आपको भी नववर्ष की शुभकामनाएँ ।
घुघूती बासूती

Anonymous said...

Sanjit ji apko v happy wala he naya saal mubarak ho!
:-)

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आपकी राय बहुत ही महत्वपूर्ण है।
अत: टिप्पणी कर अपनी राय से अवगत कराते रहें।
शुक्रिया ।