क्या दे गया और क्या देगा
पीछे मुड़ता हूं देखता हूं
गया साल दे क्या गया
लहू के छीटें ज्यादा खुशियां कम
अलगाव ज्यादा मिलन कम
उल्लास कम आक्रोश ज्यादा
मेहनताना कम पसीना ज्यादा
सेन्सेक्स ऊंचा गरीब का सर और झुका
कांक्रीटीकरण जितने ऊंचे भावनाएं उतनी ही नीची
क्या-क्या गिनूं क्या-क्या याद करूं भला
जलती हैं आंखें रोता है मन
देखता हूं जिसके घर में पहले दो रोटी थी खाने वाले चार
आती है उस घर में अब तो एक रोटी ही
उसके पड़ोस में पहले स्टील की थाली थी
और अब चांदी की
सेन्सेक्स ऊंचा जो हुआ था।
खैर!
बीति ताहि बिसार दे आगे की सोच
देख रहा हूं
धीमे धीमे आ ही गया नया साल
नई आशाएं लेकर
परिवर्तन की उमंगे लेकर
उम्मीदें लेकर
एक रोटी खाने वाला
दो रोटी की उम्मीद कर रहा
नए साल से
चांदी की थाली वाला
सोने की ईंट मांग रहा नए साल से
कांक्रीट से ढंक देने का ख्वाब है नए साल में
लहू की नदियों का भी सपना है क्या भला इस साल में
कितना अलगाव है और कितना मिलन है नए साल में
उल्लास बढ़ेगा या आक्रोश
उस गरीब का सर
उठेगा,तनेगा क्या इस साल में
पेट और सर क्या अलग दिखेंगे उसके
देख रहा हूं आते नए साल को
क्या-क्या देगा यह हमें
जलती आंखे शांत हुई कुछ
नए साल में शीतलता की आशा से
रोना थमा सा है अब
उम्मीदों का दामन पकड़ कर
कैसे कहूं, वर्ष नव हर्ष नव
फिर भी उम्मीदें जिलाए रखती है हमें
इसलिए
नव वर्ष की शुभकामनाएं
खैर!!
नव वर्ष की शुभकामनाएं सभी को।
हैप्पी वाला न्यू ईयर।
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24 टिप्पणी:
नव वर्ष की शुभकामनाएं
देखता हूं जिसके घर में पहले दो रोटी थी खाने वाले चार
आती है उस घर में अब तो एक रोटी ही
उसके पड़ोस में पहले स्टील की थाली थी
और अब चांदी की
सेन्सेक्स ऊंचा जो हुआ था।
क्या बात है कविवर। नव-वर्ष की अग्रिम शुभकामनाए।
नया साल मंगलमय हो !
बीति ताहि बिसार दे आगे की सोच
देख रहा हूं
धीमे धीमे आ ही गया नया साल
नई आशाएं लेकर
परिवर्तन की उमंगे लेकर
उम्मीदें लेकर
सही कहा संजीत नया साल आ ही गया। जरुरत है कुछ संकल्पों की और उन्हें हकीकत में बदलने की।
नये साल की हार्दिक शुभकामनायें.............
प्यारे 2008 के नंबरों को जोड़ो तो नंबर बनते हैं दस
बस
दिन तो सारे दस नंबरियों के हैं
अब तो साल भी उनके नाम हैं
प्यारे संजीत तुम जैसों का क्या काम है
अगर तू दस नंबरी ना हो पाया
तो फिर समझो कि ये साल भी गंवाया
छोड़कर ईमान-सच्चाई के गुण
प्यारे तू दस नंबरी बन
नये साल की यही पुकार है
देख प्यारे फिर बहार ही बहार है
बहुत बढ़िया. नववर्ष की आपको ढेरो शुभकामना
"उम्मीदों का दामन पकड़ कर"
उम्मीदों का दामन कभी न छोड़ना..
बस उसे थामे जीवन पथ पर दौड़ना...
नव वर्ष पर ढेरों शुभकामनाएँ
इस उम्र में इत्ती गंभीरता ना भइया ना। आलोक पुरणिक के बहकावे मत आना, दस नंबरियों का नहीं है, जमाना। जमाना हमारा ही है, आलोक जैसो का नहीं।
नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएँ.
सेंसेक्स की उछाल से नतो उछल जाना चाहिये और न ही गरीबी-फटेहाली के नैराश्य में डूबना चाहिये। सच्चाई बीच में कहीं है। हमें वहीं कहीं बीच में होना चाहिये।
नया साल मुबारक मित्र।
बहुत ही शानदार कविता…।
आपको नववर्ष की ढ़ेरों बधाइयाँ…।
સાલ મુબારક
नव वर्ष की शुभकामनाएं संजीत
नए साल में आप और भी अधिक ऊर्जा और कल्पनाशीलता के साथ ब्लॉगलेखन में जुटें, शुभकामनाएँ.
www.tooteehueebikhreehuee.blogspot.com
ramrotiaaloo@gmail.com
मंगलमय हो नववर्ष ।
आशावाद के बिना मानव का जीवन चल नहीं सकता. आपकी सभी आशाएं नए वर्ष में पूर्ण हों. नय साल की आपको ढेरों शुभकामनाएं.
नया वर्ष आप सब के लिए शुभ और मंगलमय हो।
महावीर शर्मा
अर्रे र्रे ऐसी सोच क्यूँ? ना पिछला साल कुछ ले गया, ना नया साल कुछ देगा, लेना देना तो हमारा काम है, कौन समाज को क्या देगा यह हमारे सोच पर निर्भर है, कौन किसी से क्या लेगा यह उनके स्तर पर निर्भर है... आतंकवादी, बम बरसा जायेंगे क्युँकि हमे लड़ना नही आयेगा, नेता लोग फिर इस साल कोरे वादे करेंगे क्यूँकि हमे अपना हक माँगना नही आयेगा, शेयर बाजार मे पूँजीपति पैसे बनायेंगे, क्योँकि हमे शेयर बाजार के लिये पैसे बनाना नही आया.... हमेशा की तरह.. यह सिलसिला जारी रहेगा क्यूँकि हम भी नही बदलते, बस वक्त को हालात को दोष देने मे रह जाते हैं।
हाँ इस साल भी बस एक उम्मीद लगा कर बैठ जायेंगे... कि कोई आयेगा और सब कुछ ठीक कर जायेगा, और फिर साल के अंत मे रोयेंगे कि कुछ नही मिला...
कुछ मिलना, कुछ पाना, हालात बदलना हमारे ही हाथ मे है, इसके लिये बेचारे वक्त को दोष नही देना चाहिये, नये साल मे कुछ नया करने की सोच के साथ आगे बढ़ना ही अपना ध्येय होना सटीक लगता है...
नव वर्ष की मंगल कामनाओ के साथ :)
sanjit bhai jab bure log burai nahi chodte to achhe log achhaiyone se kyon damaan chudaa len, aao ham bhi vapas usi urja se naye saal men nayi unchaiyon ko chune ke liye katibandh ho jayen
happy new year 2008
sanjeetji,
bahut achha laga naye saal ke bare me wo sab kuch padhkar jo kabhi padhne ko nahi milta.
naya saal matlab sirf 31 st december ki raat bhar party ,aur un parties me naye saal k naam par jo kuch bhi hota hai wo aap bhi jante honge.
zameeni hakikat ko aapne jis tarah bayan kiya hai wo kabile tarif hai .waise mujhe nahi lagta ki is naye saal me tasweer kuch bahut alag hogi .development for whom and at whose cost ,ye hi sawal is saal bhi hame pareshan karta rahega.
par haan ummeed par hi duniya kayam hai.
wo subah kabhi to aayegi aisi asha karte hue aapko naye varsh ki shubhkamnayen.
आप और आपके परिवार को नव-वर्ष की ढेरों सारी शुभकामना और बधाई.
Hindi Sagar
संजीत भाई
आने वाले नये साल में,जो-जो शंकायें आपने अपनी कविता में जाहिर की हॆ,वे जायज हॆ,लेकिन हमें भी अपने-अपने मोर्चे पर हिम्मत के साथ डटे रहना हॆ.
कहो, कॆसी कही मेरे भाई?
नये साल की आपको भी बंधाई.
आपको भी नववर्ष की शुभकामनाएँ ।
घुघूती बासूती
Sanjit ji apko v happy wala he naya saal mubarak ho!
:-)
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