पेपर मा रवि रतलामी हा छपे हावय
बिहनिया मैं हा सुते रहें ततके मा मोर मोबाईल हा बाजिस, ओ डहार मोर एक झन संगवारी हा चिचियावत रहिस हे के ले भाई तोर रवि रतलामी जी के छत्तीसगढ़ी ऑपरेटिंग सिस्टम वाले खबर हा लग गे गावय मतलब के छप गे हावय। तुरतेन मैं हा उठेंव अउ जा के दैनिक भास्कर अखबार ला खोलेंव, तो फ़ेर देखेंव के सिटी भास्कर के फ़्रंट पेजेच मा दू कॉलम के खबर लगा के उतार दे हावय, बने सुघ्घर लागत रहिस हे देखे मा। फेर मे हा सोचेंव के झम्मो ब्लॉग जगत ला तकोत बता देवं कि रवि रतलामी जी अउ ओखर द्वारा बनाए जावत छत्तीसगढ़ी कंप्यूटर ऑपरेटिंग सिस्टम के जानकारी हा इहां के अखबार मा छपे हावय। तो संगवारी मन, लेवव देखव पेपर के कटिंग ला स्केन करवा के डाल दे हवंव इहींचे, आप सब मन के देखे बर।
( सुबह जब मै सोया हुआ था मेरा मोबाईल बजा, दूसरी तरफ़ मेरे एक मित्र चिल्ला रहे थे कि लो भाई तुम्हारे रवि रतलामी जी की छत्तीसगढ़ी ऑपरेटिंग सिस्टम वाली खबर लग गई है आज अर्थात छप गई है। फ़ौरन मैं उठा और जाकर दैनिक भास्कर अखबार खोला, मैने पाया कि सिटी भास्कर के फ़्रंट पेज में दो कॉलम की लंबी खबर उतार कर रवि रतलामी जी और उनके द्वारा बनाए जा रहे छत्तीसगढ़ी ऑपरेटिंग सिस्टम के बारे मे जानकारी दी गई है। फ़िर मैने सोचा कि पूरे ब्लॉग जगत को यह सूचना दी जाए कि रवि रतलामी और इस छत्तीसगढ़ी ऑपरेटिंग सिस्टम की खबर रायपुर के अखबार में छपी है। तो मित्रों लीजिए देखिए स्केन की हुई यह खबर।)
एक छत्तीसगढ़िया का दूसरे छत्तीसगढ़िया रवि रतलामी को शुक्रिया (रवि जी रतलामी भी है पर मन से छत्तीसगढ़िया हैं ही)
Tags:
20 टिप्पणी:
बने करेस गा तें हर ए खबर ला यहाँ छाप देस. सब्बो झन ल पता चल जाही. तोर बहुत बहुत धन्यवाद गा.
मोर मन मा छत्तीसगढ़ी भासा खातिर बहुत पहिली से कुछु कहीं करेबर रहीस. अब देखो हमार सपना हर कब पूरा होथे.
आपको और रविजी को हार्दिक बधाई. सच कहे तो रतलामीजी की और आपकी ये खूबियाँ हमे पता ही नही थी. आपलोगों द्वारा किया जा रहा ये कार्य वास्तव मी सराहनीय है.
गलत बात है रवि भाई... टिप्पणी का हिंदी में अनुवाद भी तो देना था.
संजीत इस जानकारी के लिए शुक्रिया.
भईया हिंदी में अनुवाद छापो ना।
अच्छा लगा पढ कर. दिल को सकून मिला !!
वाह; पढ़ने में जमा - भले ही रवि रतलामी की टिप्पणी और अखबार का लेख समझ नहीं आया। छत्तीसगढ़ी में काम हो सकता है - यह बढ़िया बात है।
और यह लीनक्स के छत्तीसगढ़ी में प्रसार/अनुवाद पर आगे बताते रहना।
रवि भाई ला झौंहा झौंहा कोपरा कोपरा बधई, एखर बारे में एक बेर मानस जी हा अपन ब्लाग में लिखे रिहिस हे तभे महू हा रवि भाई के प्रयास ला देखे रेहेव । आज ऐ समाचार ह दूरूग में नई छप पाये हे त रईपुर ले पेपर पेपर बिसा के लाये हंव, हमर बर तो ये हर पुरखौती भोज पत्र जईसे परबित जीच हे भाई, हमन हा इंटरनेट में कतको टींग पुच कर लन जब तक हमर सहयोग ये पेपर वाले मन नई करही छत्तीसगढ के जनता हा अईसन बुता ल नई समझ सकय, रवि भाई के ये खबर ला इंहा डाले बर अउ भास्कर में छपवाये बर परयास करे बर संजीत भाई ला बधई ।
आजे बिहिनिया छत्तीसगढ के जगजाहिर नाटर निर्देशक राम हरिदे तिवारी मेर मैं हा छत्तीसगढ के शब्दकोश व व्याकरण लिखईया मनखे संग टेम लेहे बर गे रेहेंव त रवि भईया के बारे में गोठियावत रेहेंव तईसनेहे संजीत भाई के फोन आईस हे कि ये समाचार ह छप गे हे, कहि के त हमन सब झिन हा अडबड खुश होयेन ।
रवि भईया सियान मन के अशीश अउ हमर मन के आश आप संग हे,
जय सुरूज जय जनम भूमि के
गरजिस वीर उठाके हाथ
सुरूज देव के नमन करिस अउ
धुर्रा उठा चढा लिस माथ ।
वाह ,बधाई!
रवि जी के ये खबर ला इंहा डाले बर संजीत जी ला बधई ...ये हा अब्बड़ खुसी के बात हरे.... टिप्पणी टीप के ही सही लेकिन कोशिश की कि हम भी आप की ही बोली में क्यों न टिपियाएँ....!!
संजीत और रवि जी आप दोनों की बधाई आभार इस जानकारी के लिए :)साथ में इस भाषा को पूरी तरह से समझा दे तो और भी अच्छा लगेगा :)
रवि जी को बधाई और आपको धन्यवाद ये खबर हम सभी तक पहुँचने के लिए।
Sanjitji hame v kuch samagh nahi aya..
Apni hindi me bataiye yadi sabke janne layak koi bat hai to!
आप और रवि जी जैसे लोग लगे हुये है तो राज्य और भाषा दोनो ही का भविष्य उज्जवल है। शुभकामनाए।
शुभ सूचना. क्या इसके लिए वे सरकार की मदद ले रहे हैं. या फिर यह रवि जी का स्वयंप्रयास है.
रवि रतलामी के छत्तीसगढ़ी आपरेटिंग सिस्टम के बारे में 3-4 पहले ही एक आलेख फोटो सहित प्रकाशित हो चुका है जो दो क़ालम का नहीं बल्कि पूरे 1 रंगीन पेज में है । यहाँ प्रकाशित जानकारी पहली बार नही है । इससे पहले छापा था हरिभूमि ने । इसके लेखक थे, छत्तीसगढ़ के सीनियर राइटर- जयप्रकाश मानस । मुझे जहाँ तक याद है यह तब छपा था जब छत्तीसगढ़ी को राजभाषा बनाने के लिए संघर्ष हो रहा था । तब भास्कर वाले ने इसे नकार दिया था । खैर देर आयद और दुरुस्त आयद । अब तो सभी छत्तीसगढ़िया होने का स्वांग भर रहे हैं । क्यों न हो । माल जो छ्त्तीसगढ़ी में मिलने वाला है । मौकापरस्तों को ।
ØãU ÁæÙ·¤ÚU Âýâ‹ÙÌæ ãUé§ü ç·¤ ÁØ Âý·¤æàæ ×æÙâ Áè Ùð §âð ÂãUÜð Âý·¤æçàæÌ ç·¤Øæ ÍæÐ Üðç·¤Ù çÅUŒÂ‡æè·¤æÚU âð çÙßðÎÙ ãUññ´ ç·¤ ©Uâ𠧢ÅUÚUÙðÅU ÂÚU Öè ÁæÚUè ·¤ÚUð´Ð Ìæç·¤ ãU× Öè ©Uâ ¥æÜð¹ ·¤ô ÂÉU¸ â·ð´¤Ð ©Uâ ÖæS·¤ÚU ßæÜð ˜淤æÚU ·¤ô ßæSÌß ×ð´ çÏ€·¤æÚU ãUññ´ çÁâ×ð´ ÂãUÜð ©Uâ Üð¹ ·¤ô Ù·¤æÚU çÎØæ ÍæÐ ×ðÚUð çß¿æÚU âð §â×𢠻ÜÌè ©Uâ ˜淤æÚU ·¤è ãUñ çÁâÙð ©Uâð ‹ØêÁ ÙãUè´ â×ÛææÐ Øæ çȤÚU ©Uâ ‹ØêÁ ·¤æ âãUè ßQ¤ ÙãUè´ ÚUãUæ ãUô»æÐ ×ðÚUð çß¿æÚU âð ÚUæÁÖæáæ ·¤æ ÎÁæü ç×ÜÙð ·ð¤ ÕæÎ §â·¤æ ©Uç¿Ì â×Ø ãUñÐ ãUÍõǸUæ ÌÖè ×æÚUô ÁÕ ÜôãUæ »ÚU× ãUô....
pata nahi ye massage dikhigaa ya nahi...
lakin shri jayprakash manas ji ko badhai.
govind patel
genral reader
@ पहले बेनामी साहब,आपकी बात से मै सौ फीसदी सहमत हूं, इस खबर को हरिभूमि अखबार ने ही सबसे पहले छापा था, मैने भी पढ़ा था जो मानस जी ने लिखा था। सही कह रहे हैं आप, माल छत्तीसगढ़ी में मिलने वाला है इसलिए सभी स्वांग ही भरेंगे भले उनके बच्चे अंग्रेजी मीडियम में पढ़ें और वह खुद अंग्रेजीदां लोगों की चमचागिरी करते रहें!!इसीलिए तो वह मौकापरस्त कहलाते हैं। खैर! आपकी बात से मै सौ फीसदी सहमत हूं लेकिन मुझे एक बात समझ में नही आई, वो यह कि इस खरी-खरी बात को कहने के लिए आपने बेनामी का मुखौटा क्यों पहना। आदरणीय, सच कहने के लिए कब से मुखौटों की ज़रुरत पड़ने लगी? भाषा व लेखन शैली आपकी वही रह गई पर!!
निवेदन है कि मार्गदर्शन जारी रखें।
@ दूसरे बेनामी साहब अर्थात गोविंद पटेल जी पता नही आपने क्या लिखा है व किस फ़ोंट में लिखा है, कृपया यूनिकोडित हिंदी का प्रयोग करें और वह संभव नही हो तो अंग्रेजी या रोमन में ही अपने विचार आप व्यक्त कर सकते हैं। इस ब्लॉग में कमेंट मॉडरेशन ज़रुर है पर कमेंट कभी रोके नही जाते, आशा है आप अगली बार से ध्यान रखेंगे।
हां तो जैसा कि आपने श्री जयप्रकाश मानस जी को बधाई दी है तो आपके साथ ही खड़ा हो कर मैं भी उन्हे बधाई देना चाहूंगा क्योंकि छत्तीसगढ़ी ऑपरेटिंग सिस्टम वाली खबर छत्तीसगढ़ में सबसे पहले उन्ही के प्रयासों के फलस्वरूप हरिभूमि अखबार में छपा था। मानस जी, मानस जी हैं हम उनके सामने अकिंचन हैं, उन्हें फ़िर से एक बार बधाई, पर उनसे पहले रवि रतलामी जी को बधाई व शुभकामनाएं कि वे एक महती प्रयास कर रहे हैं।
गोविंद पटेल जी ने लिखा है (संभवतः सुलिपि फ़ॉन्ट में लिखा है जिसे यूनिकोड में परिवर्तित कर यहाँ प्रकाशित किया जा रहा है...)-
यह जानकर प्रसन्नता हुई कि जय पा्रकाश मानस जी ने इसे पहले प्रकाशित किया था। लेकिन टिप्पणीकार से निवेदन है कि उसे इंटरनेट पर भी जारी करें। ताकि हम भी उस आलेख को पढ सकें। उस भास्कर वाले पत्रकार को वास्तव में धिक्कार है जिसमें पहले उस लेख को नकार दिया था। मेरे विचार से इसमें गलती उस पत्रकार की है जिसने उसे न्यूज नहीं समझा था। या फिर उस न्यूज का सही वक्त नहीं रहा होगा। मेरे विचार से राजभाषा का दर्जा मिलने के बाद इसका उचित समय है। हथौडा तभी मारो जब लोहा गरम हो....
यह सत्य है कि श्री मानस जी के प्रयासों से न सिर्फ हरिभूमि के पाठकों, बल्कि इंटरनेट पर सृजनगाथा के पन्नों पर छत्तीसगढ़ी ऑपरेटिंग सिस्टम के लिए तमाम विश्व के लोगों को जानकारी मिली थी. मानस जी ने तो छत्तीसगढ़ी भाषा के लिए इंटरनेट पर बहुत काम किया है, और कर रहे हैं.
राजभाषा का दर्जा दिए जाने के कारण छत्तीसगढ़ी भाषा पुनर्जीवित होगी ऐसी आशाएँ तो हम कर ही सकते हैं. नहीं तो विश्व में रोज एक भाषा मर रही है... हिन्दी ही हिन्गलिश हुई जा रही है...
छत्तीसगढ़ी ऑपरेटिंग सिस्टम के लिए ढेरों समय और संसाधनों की आवश्यकता है. देखते हैं कब इसके लिए ठोस पहल हो पाती है...
आवारा बंजारा रवि रतलामी जी का आभारी है कि उन्होनें गो्विंद पटेल साहब की टिप्पणी को यूनिकोड में परिवर्तित कर यहां प्रकाशित किया!! मानस जी के संबंध में कही गई रतलामी जी की बात से आवारा बंजारा सहमत है।
Post a Comment