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27 August 2007

आधी रात में की बोर्ड के सिपाही और आवारा बंजारा

रात में साढ़े नौ बजे की बोर्ड के सिपाही नीरज दीवान से कल होने वाली ब्लॉगर मीट के संदर्भ में फोन पर चर्चा हुई, उन्होनें बताया कि वे अभी शाम को साढ़े चार बजे ही रायपुर पहुंचे हैं। मैने कहा चलो आप आराम करो अभी। डेढ़ घंटे बाद करीब ग्यारह बजे रात में ही मेरे मोबाईल की घंटी बजी, देखा तो नीरज का ही कॉल था, जैसे ही कॉल पिक की, उधर से आवाज आई " हां भाई, समता कालोनी में कृष्णा टाकीज़ के पास हूं आगे बोलो"। मैं समझ गया कि नीरज भैये आ रहे हैं मिलने। तो उन्हें घर का लोकेशन समझा दिया, और मै खड़ा हो गया घर के बाहर । अगले तीन-चार मिनट में ही एक बाईक की लाईट दिखी, जिस पे नीरज दीवान अपने भांजे सन्नी के साथ सवार थे। उतरते ही गले मिलना हुआ, घर के अंदर आए और बातों में भिड़ गए। दर-असल यह दो ब्लॉगर का नही बल्कि पुराने सहयोगियों, दो पुराने मित्रों का मिलना था जो कि कल की ब्लॉगर मीट से पहले ही हो गया। हम और नीरज बैठे, साथ में उनका भांजा भी, चर्चा स्थानीय राजनीति, स्थानीय अखबारों से होती हुई स्थानीय पत्रकारों तक भी पहुंची और दिल्ली के मीडिया पर भी बात चलती रही, बीच-बीच में पुराने दिन और कुछ पुराने सहकर्मियों को याद करके हंसते भी रहे। बात नही हुई तो ब्लॉग और ब्लॉगर्स पर नही हुई ( अफ़सोस)। अब चूंकि नीरज साहब तो भोजन करके आए थे इसलिए भोजन से तो उन्होनें इनकार कर दिया लेकिन केक तो उन्हें खाना पड़ा क्योंकि हमारे सब से छोटे भतीजे का जन्मदिन जो था। यह अलग बात है कि बर्थडे-बॉय सो चुका था, सो नीरज भाई उन्हें विश नही कर पाए। रात के करीब सवा बारह बजे नीरज़ नें इसलिए विदा ली कि घर में डांट पड़ेगी, मैने कहा कि करीब चार साल बाद मुलाकात हो रही है, बैठेंगे तो रात गुजर जाएगी बातों में ही। पर नीरज ने कहा कि नही फ़िलहाल चलते हैं कल की मीट में मिलेंगे। तो फ़िर अपन भी लिखना यही पर बंद करते हैं। कल ही मिलेंगे। टाटा

10 टिप्पणी:

ghughutibasuti said...

शुभकामनाएँ !
घुघूती बासूती

अजित वडनेरकर said...

एक अच्छी मुलाकात । अब अगली का इंतजार ?

ALOK PURANIK said...

शुभकामनाएं

Arun Arora said...

अरे ..? जब सिपाही साथ मे था तो थोडी बहुत देर तो आवारागी करनी थी ना ,सडको पर टहलते हुये पुरानी यादो के साथ..

Anonymous said...

शुभकामनाएँ !

Anita kumar said...

bhagwaan kare bloggers meet mein aapko aise hi kutch aur mitr bhi mil jaayein aur aapka din yaadgaar din ban jaaye aapke liye...aapke chote bhatije ko humaari taraf se janam din ki dher saari shubhkaamnaayein...bhai cake toh hum bhi khaayenge

Jitendra Chaudhary said...

अच्छा विवरण है। चलो नीरज बाबू सकुशल रायपुर तो पहुँच गए, हमे तो डर था कि कंही रास्ते मे ही ट्रेन से ना उतर जाएं, सुना है आजकल जहाँ भी बीन और संपेरे दिख जाते है, रिपोर्ट बनाने के लिए आतुर हो उठते है।

अगली मुलाकात के विवरण का इन्तज़ार रहेगा।

Udan Tashtari said...

बढ़िया.शुभकामनायें.

तीन दिन के अवकाश (विवाह की वर्षगांठ के उपलक्ष्य में) एवं कम्प्यूटर पर वायरस के अटैक के कारण टिप्पणी नहीं कर पाने का क्षमापार्थी हूँ. मगर आपको पढ़ रहा हूँ. अच्छा लग रहा है.

सुनीता शानू said...

संजीत जी अच्छा लगा पढ़कर बहुत ही रौचक तरीके से आपने लिखा है,आपके भतिजे को हमारी और से जन्म-दिवस की शुभ-कामनायें दिजियेगा...आपकी तस्वीर नही है मगर मीट में क्या फोटोग्राफ़ी करते रह गये थे?

शानू

Satyendra PS said...

kya baaaat hai guru.........

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आपकी राय बहुत ही महत्वपूर्ण है।
अत: टिप्पणी कर अपनी राय से अवगत कराते रहें।
शुक्रिया ।