छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा आयोजित राजिम कुंभ में सोमवार की रात उत्तरप्रदेश के पूर्व सांसद राम विलास वेदांती जो कि वेदांती महाराज के नाम से ज्यादा जाने जाते हैं, ने प्रवचन देने की बजाय जो कहा उसने छत्तीसगढ़ में बवाल मचा दिया है।
बताइए भला,आपको बुलाया गया है प्रवचन देने और आप धार्मिक मंच से न केवल राजनैतिक आलोचना करें बल्कि सोनिया गांधी,मनमोहन सिंह और राहुल गांधी के लिए अपशब्दों का प्रयोग करें। सार्वजनिक-धार्मिक मंच से गाली,वह भी एक संत-महाराज कहलाने वाले व्यक्ति द्वारा।
अरे भईया निंदा ही करना है गाली ही देना है तो बुलाओ प्रेस कांफ़्रेंस और उसमें दो मन भरकर गालियां जिसे देना हो लेकिन इस तरह एक धार्मिक मंच का उपयोग क्यों। क्यों यहां आकर ऐसे छत्तीसगढ़ का माहौल बिगाड़ते हो।
राम-राम!!
राम-राम की रटन लगाने वाली पार्टी और छत्तीसगढ़ की सरकार को शायद नही मालूम था कि ये वेदांती जी कैसे वक्ता है। हमारी राज्य सरकार और वेदांती जी को आमंत्रित करने वाले तो एकदम भोले-भाले मासूम लोग है जो कुछ जानते ही नही। उन्होनें तो अपनी तरफ़ से संत(?)वेदांती महाराज (?) को प्रवचन(?) देने बुलाया था।
धन्य है हमारी राज्य सरकार भी।
हे प्रभु,इन्हें माफ कर देना (अगर कर सको तो)
06 March 2008
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21 टिप्पणी:
यह तो बताया ही नहीं कि उन्होंने कहा क्या?
संजय भाई, क्या गाली को जस का तस लिखा जाना जरुरी है यहां?
भइया संजीत, 'साधु-संत' बनकर राजनैतिक दृष्टिकोण व्यक्त करते ही थे, अब गाली-वाली देना भी शुरू कर दिया है इनलोगों ने. आगे क्या-क्या करेंगे, शायद राम भी न जानें.
जनता आज कल रियालिटि शो ज्यादा देखना पसन्द कर रही है शायद इसी का नतिजा है
संत से नेता बने श्री वेदांती जी छ्त्तीसगढ को भी अपना आखाडा समझ लिया है जो कुछ भी बोलने लगे. ऐसे विवाद का उनके साथ चोली दामन का साथ है. कुछ माह पुर्व अपने "फ़तवा" को लेकर विवादो मे रहे.
प्रवचन देना भी एक पेशा है आजकल- साधना,आस्था और संस्कार चैनल पर देखा या नहीं। प्रवाचक व्यक्तिगत जिन्दगी में उन बातों का अनुसरण करते भी हैं या नहीं? ये कौन जानता है। वैसे भी "पर उपदेश कुशल बहुतेरे" वाली कहावत तो सुनी है ना। वेदान्ती महाराज शायद ज्यादा भावाभिभूत हो गये होंगें तभी मुखौटा खिसक गया।
प्रवचन देना भी एक पेशा है आजकल- साधना,आस्था और संस्कार चैनल पर देखा या नहीं। प्रवाचक व्यक्तिगत जिन्दगी में उन बातों का अनुसरण करते भी हैं या नहीं? ये कौन जानता है। वैसे भी "पर उपदेश कुशल बहुतेरे" वाली कहावत तो सुनी है ना। वेदान्ती महाराज शायद ज्यादा भावाभिभूत हो गये होंगें तभी मुखौटा खिसक गया।
एक भड़ासी और बताया।
भाई जी किसी ने कहा है पहले जैसा जोश नही है श्री राम के नारो मे ,राम के सेवक भटक गये हैं बंगला, कोठी कारों में
भाई आज तो ऐसे ही असंतों की जय-जय है
न, न...उन्होंने मूँह खराब किया..आप न करें..हम समझ गये. प्रभु भी क्या क्या माफ करेंगे और किस किस को??
प्रशान्त तिवारी जी और अनुराधा जी से पूरी तरह सहमत, भाजपा में भी काफ़ी मात्रा में "नकली" लोग आ गये हैं…
बढ़िया। सहमत हूं और पाखंडियों के खिलाफ ये सिलसिला चलता रहे ।
शायद इन्हीं लोगों को देखकर वो कहावत बनी हो - मुँह में राम, बगल में छुरी
vedanti to samaj me pahele se hi jahar ghol rahe hai.
ambrish
ये वेदांती जी ब्लोग भी लिखते हैं क्या? ब्लोग पढ़ पढ़ अक्र मूड में आ गये होगें । और फ़िर आप ये क्युं भूलते हैं उनको बुलाया किसने था राज नेताओं ने तो उनकी भी तो चाकरी करनी थी न भाई , आखिर मालमत्ते का सवाल था
हमने तो अपन टिप्पणी जी टॉक में दे दी । वही यहाँ भी लगी हुई समझ लीजिये ।
घुघूती बासूती
achchhi tippni, dhanyawad
भगवान के बस में न होगा माफ़ करना भाई।
चलो भई आप भी माफ़ कर दो उन्हे गुस्सा थूक दो...सब अपनी-अपनी समझ अनुसार अपना-अपना कर्म करते हैं...क्या ईश्वर की मर्जी के बिना पत्ता भी खिसक सकता है?
पहले तो कुम्भ शुरू करना ही गलत था ,पद्मवातिपुरी राजिम ऐसे ही पवित्र और पूर्ण है इसीलिए उसमे किसी कुम्भ को जोड़कर नंगों की बारात चलाने से मेरा विरोध है ""वेदान्ती जी को शायद राजिम विधानसभा टिकट चाहिए लगता है इसीलिए जय श्री राम बोल उन्होने चुनावी शंखनाद किया होगा ""
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