अब तक आपने पढ़ा---
झीनी झीनी बीनी चदरिया:छत्तीसगढ़ में कबीरपंथ-1
तू तो रंगी फिरै बिहंगी:छत्तीसगढ़ में कबीरपंथ-2
सुखिया सब संसार है,खाये और सोये:छत्तीसगढ़ में कबीरपंथ-3
मन लाग्यो मेरो यार फ़कीरी में:छत्तीसगढ़ में कबीरपंथ-4
पाहन पूजे हरि मिलै,तौ मैं पूंजूँ पहार:छत्तीसगढ़ में कबीरपंथ-5
अब आगे पढ़ें---
मोको कहां ढूढें तू बंदे मैं तो तेरे पास मे:छत्तीसगढ़ में कबीरपंथ-6
इस समारोह के दौरान कार्यक्रम को इस तरह बांटा गया है।
1-बसंत पंचमी (गुलाल-उत्सव)
2-संत समागम
3-भेंट बंदगी
4-सत्संग सभा
5-पंथश्री का प्रवचन
6-पूनों महात्म्य पाठ
7-आनंदी चौका आरती(सात्विक यज्ञ)
8-सामूहिक चलावा चौका
9-सामूहिक दीक्षांत समारोह व पंजा वितरण
आईए देखें दामाखेड़ा के कुछ चित्र
`कबीर सब जग हंडिया, मांदल कंधि चढ़ाइ।
हरि बिन अपना कोउ नहीं, देखे ठोकि बजाइ॥
`कबीर' कलिजुग आइ करि, कीये बहुत जो मीत ।
जिन दिलबाँध्या एक सूं, ते सुखु सोवै निचींत ॥
कामी लज्या ना करै, मन माहें अहिलाद ।
नींद न मांगै सांथरा, भूख न मांगै स्वाद ॥
माषी गुड़ मैं गड़ि रही, पंख रही लपटाइ ।
ताली पीटै सिरि धुनैं, मीठैं बोई माइ ॥
घूँघट का पट खोल रे, तोको पीव मिलेंगे।
घट-घट मे वह सांई रमता, कटुक वचन मत बोल रे॥
धन जोबन का गरब न कीजै, झूठा पचरंग चोल रे।
सुन्न महल मे दियना बारिले, आसन सों मत डोल रे।।
जागू जुगुत सों रंगमहल में, पिय पायो अनमोल रे।
कह कबीर आनंद भयो है, बाजत अनहद ढोल रे॥
2-संत समागम
3-भेंट बंदगी
4-सत्संग सभा
5-पंथश्री का प्रवचन
6-पूनों महात्म्य पाठ
7-आनंदी चौका आरती(सात्विक यज्ञ)
8-सामूहिक चलावा चौका
9-सामूहिक दीक्षांत समारोह व पंजा वितरण
आईए देखें दामाखेड़ा के कुछ चित्र
`कबीर सब जग हंडिया, मांदल कंधि चढ़ाइ।
हरि बिन अपना कोउ नहीं, देखे ठोकि बजाइ॥
`कबीर' कलिजुग आइ करि, कीये बहुत जो मीत ।
जिन दिलबाँध्या एक सूं, ते सुखु सोवै निचींत ॥
कामी लज्या ना करै, मन माहें अहिलाद ।
नींद न मांगै सांथरा, भूख न मांगै स्वाद ॥
माषी गुड़ मैं गड़ि रही, पंख रही लपटाइ ।
ताली पीटै सिरि धुनैं, मीठैं बोई माइ ॥
घूँघट का पट खोल रे, तोको पीव मिलेंगे।
घट-घट मे वह सांई रमता, कटुक वचन मत बोल रे॥
धन जोबन का गरब न कीजै, झूठा पचरंग चोल रे।
सुन्न महल मे दियना बारिले, आसन सों मत डोल रे।।
जागू जुगुत सों रंगमहल में, पिय पायो अनमोल रे।
कह कबीर आनंद भयो है, बाजत अनहद ढोल रे॥
जारी………कल अंतिम किश्त……
रचना स्त्रोत
1-छत्तीसगढ़ में कबीरपंथ का ऐतिहासिक अनुशीलन-डॉ चंद्रकिशोर तिवारी
2-कबीर धर्मनगर दामाखेड़ा वंशगद्दी का इतिहास-डॉ कमलनयन पटेल
रचना स्त्रोत
1-छत्तीसगढ़ में कबीरपंथ का ऐतिहासिक अनुशीलन-डॉ चंद्रकिशोर तिवारी
2-कबीर धर्मनगर दामाखेड़ा वंशगद्दी का इतिहास-डॉ कमलनयन पटेल
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17 टिप्पणी:
Waah Sanjeet ji...bahut khub likh rahe hai aap....maine zyada padha to nahi Kabir ji ko....lekin jitna aapke blog mein padha vaakai kaafi informative hai...
लाली मेरे लाल की जित देखु तित लाल |
लाली देखन मैं गई मैं भी हो गई लाल |
हमारा भी कुछ इसी तरह हाल है ,हर बार अति उत्तम कहा था ,इस बार सर्वोतम ...
bahut dino ke baad kabir ke baare me fir padha .purani yaadein taazan ho gayi.shukriya
Hello. This post is likeable, and your blog is very interesting, congratulations :-). I will add in my blogroll =). If possible gives a last there on my blog, it is about the Home Theater, I hope you enjoy. The address is http://home-theater-brasil.blogspot.com. A hug.
घूँघट का पट खोल रे, तोको पीव मिलेंगे।
घट-घट मे वह सांई रमता, कटुक वचन मत बोल रे॥
बहुत ही अच्छी जानकारी यह पंक्तियाँ तो हमेशा दिल में ही रहती है :) शुक्रिया
इतना लिख रहे हैं कबीरपर कि आपका ब्लॉग ही कबीरपन्थी हो गया है। सही में, ब्लॉग में एक धुन से काम करना चाहिये।
सुन्दर प्रस्तुति ।
भाई सन्जीत जी,
अंतिम किस्त की भी प्रतीक्षा रहेगी .
ब्लॉग -जगत के सुन्न महल में दियना बारने जैसी
मनोहारी-मुग्धकारी है आपकी यह प्रस्तुति !
चित्र -सूक्ति -सन्दर्भ का ऐसा सुंदर संगम !
आपका यह श्रम साध्य उद्यम सचमुच यादगार है.
बधाई.
अच्छे बच्चे की तरह ऐसे ही जानकारी देते रहिए -अनुज संजीत।
संजीत, आप बहुत अच्छा काम कर रहे हैं। मुझे पूरा भरोसा है कि आगे इंटरनेट पर कबीर का संदर्भ खोजने के लिए लोग आपके ब्लॉग पर आएंगे।
कबीर पंथ के बारें में जानकारियां जुटाने और उनसे अवगत कराने के लिये शुक्रिया।
कबीरधाम के चित्र भी समेट लिए इस श्रंखला में , ये बहुत अच्छा किया। अंतिम किस्त क्यों कहते हैं ? अभी तो कई आयाम सामने आएंगे और आप फिर फिर लिखने पर विवश होंगे। अंतिम नहीं , ...इस श्रंखला को अस्थाई विराम देता हूं...ऐसा कहिए।
Brilliant work,translated to English via google translate perfect
Sahib Bandagi
Raj Khuti
http://www.2kabir.co.uk
sanjeet mujhe apka ye blog kuch or dhundte huye mil gaya.... yakin maniye nazar thehr si gayi....... mei sahib kabir ko manti hu..... dhanyawad... ab aksar aapke blog par aana laga rahega..... sahib aapko safal banaye
bhai shaib bandgi
mera naam Aashish kapoor mene aapka blog padha. padhkar man ko bahut aanand mila. me Bikaner ka rehne wala hun. or me kabir sahib ko bahut manta hun. agar ap sahib se mil pao to plz meri taraf se sahib bandgi bol dena. Thankyou
saheb bandgi saheb
kya likhun bus apka blog padh kar itna aanand mila h bus pucho hi mat. mera dil khushi se jhum raha h me b nai janta ki achanak ise apka blog padh kar kya hua?
saheb bandgi saheb
Very nicce!
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