अब तक आपने पढ़ा,
झीनी झीनी बीनी चदरिया:छत्तीसगढ़ में कबीरपंथ-1
तू तो रंगी फिरै बिहंगी:छत्तीसगढ़ में कबीरपंथ-2
सुखिया सब संसार है,खाये और सोये:छत्तीसगढ़ में कबीरपंथ-3
मन लाग्यो मेरो यार फ़कीरी में:छत्तीसगढ़ में कबीरपंथ-4
अब आगे पढ़ें पांचवीं किश्त:-
पाहन पूजे हरि मिलै,तौ मैं पूंजूँ पहार:छत्तीसगढ़ में कबीरपंथ-5
जात न पूछौ साधु की, जो पूछौ तो ज्ञान।
मोल करो तलवार का, परा रहन दो म्यान।।
मोल करो तलवार का, परा रहन दो म्यान।।
कबीरपंथ की कुछ शाखाओं में चौका आरती का विधान है और इसे मोक्ष साधन के लिए जरुरी माना जाता है। चौका आरती को कबीरपंथ का सात्विक यज्ञ भी कहा जाता है। आम तौर पर कबीरपंथ की चौका आरती के बारे में तो बहुतों ने सुना पढ़ा होता है लेकिन इसके अलावा और भी कुछ परंपराएं या रिवाज़ हैं। आईए देखें कि दामाखेड़ा में कबीरपंथ की और क्या परंपराएं या रिवाज़ हैं।
1-दीक्षित करने की विधि
2-पूर्णिमा व्रत
3-चौका विधान- इसके अंतर्गत
-आनंदी चौका
-जन्मौती या सोलह सुत का चौका
-चलावा चौका
-एकोत्तरी चौका
4-अंत्येष्टि क्रिया
5-नित्य कर्म विधि
6-द्वादश तिलक
2-पूर्णिमा व्रत
3-चौका विधान- इसके अंतर्गत
-आनंदी चौका
-जन्मौती या सोलह सुत का चौका
-चलावा चौका
-एकोत्तरी चौका
4-अंत्येष्टि क्रिया
5-नित्य कर्म विधि
6-द्वादश तिलक
इसमें से हम अंत्येष्टि क्रिया और द्वादश तिलक के बारे मे थोड़ी चर्चा पहले ही कर चुके हैं अत: इनके विस्तार में न जाकर चौका आरती के के बारे में बात करते हैं।
चौका आरती की विधि केवल महंत ही संपन्न करवा सकते हैं। चौका करने के लिए जिस प्रकार किसी महंत की नियुक्ति आवश्यक है ,उसी प्रकार सर्व सामग्री को यथास्थान स्थापित करने के और चौके के कार्य में महंत को सहयोग देने के लिए दीवान का होना भी जरुरी है। चौका बनाने के सभी 'सुमिरन' दीवान को और महंत द्वारा किए जाने वाले चौका संबंधी कार्यों के समस्त सुमिरन महंत को कंठस्थ होने चाहिए । लग्नतत्व स्वरोदय और पान पहचाननें का ज्ञान भी महंत के लिए अपेक्षित है।
कबीर माला काठ की, कहि समझावे तोहि।
मन ना फिरावै आपनों, कहा फिरावै मोहि।।
मन ना फिरावै आपनों, कहा फिरावै मोहि।।
आनंदी चौका- किसी नवीन व्यक्ति के कबीरपंथ में दीक्षित होने के समय य आ अन्य प्रकार के आनंदोत्सव के निमित्त यह चौका कराया जाता है।
जन्मौती या सोलह सुत का चौका- संतान प्राप्ति की कामना अथवा पुत्र जन्म के उपलक्ष्य में यह चौका संपादित होता है।
चलावा चौका- मृत व्यक्ति की आत्मा की शांति के लिए चलावा चौका की विधि की जाती है।
एकोत्तरी चौका- जो विधि एक सौ एक पूर्वजों के शांति के लिए की जाती है उसे एकोत्तरी चौका कहा जाता है।
मूरख को समुझावते, ज्ञान गाँठ का जाई।
कोयला होई न ऊजरो, नव मन साबुन लाई।।
कोयला होई न ऊजरो, नव मन साबुन लाई।।
......................जारी.......................
रचना स्त्रोत
1-छत्तीसगढ़ में कबीरपंथ का ऐतिहासिक अनुशीलन-डॉ चंद्रकिशोर तिवारी
2-कबीर धर्मनगर दामाखेड़ा वंशगद्दी का इतिहास-डॉ कमलनयन पटेल
1-छत्तीसगढ़ में कबीरपंथ का ऐतिहासिक अनुशीलन-डॉ चंद्रकिशोर तिवारी
2-कबीर धर्मनगर दामाखेड़ा वंशगद्दी का इतिहास-डॉ कमलनयन पटेल
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15 टिप्पणी:
यह सब पहली बार पढ़ रही हूँ ..अच्छी लग रही आपके द्वारा दी गई यह जानकारी शुक्रिया संजीत जी ..
कबीर जी जिन कर्मकांडों या दिखावे का विरोध करते थे- ऐसा नहीं लगता ये सब पढ कर कि कबीर -पंथ के अनुयायी कहीं उनसे अलग हैं।
बहुत बढ़िया संजीत । यही सब तो जानना चाहता था मैं। ज्ञान बढ़ रहा है। कोई मूल विचार कैसे पंथ बनता है और बाद में कैसे क्रियाएं - प्रक्रियाएं होती हैं और अनुष्ठानों का विधान रचा जाने लगता है। अलिखित संविधान, लिखित शास्त्र बनने लगते हैं।
सब कुछ दिलचस्प होता है। समूची दुनिया में यह होता आया है। इस श्रंखला को चलने दो। थोड़ा विस्तार दो।
उम्दा कार्य.
ई मेल पर प्राप्त मीनाक्षी जी की टिप्पणी-
"बहुत ज्ञानवर्धक कड़ियाँ हैं. बहुत कुछ नई जानकारी मिल रही है. आभार
बहुत दिनों से समस्या है कि ब्लॉग तो पढ़ लेते हैं किसी प्रोक्सी साईट के माध्यम से लेकिन टिप्पणी देने का कोई साधन नहीं है सो
मेल के ज़रिए ही टिप्पणी भेज रहे हैं."
मीनाक्षी
सुन्दर, आवश्यक और तथ्यात्मक । छत्तीसगढ के लिये अतिआवश्यक लेख । धन्यवाद ।
बहुत अच्छी जानकारी , शुकिया संजीत...
तथ्यात्मक जानकारी दी है आगे जारी रखे .धन्यवाद
पढना जारी है।
बहुत बढ़िया संजीत भाई अच्छा लगा
कबीर पर यह लेख -माला
ब्लॉग-लेखन का स्वर्णिम पड़ाव है .
बधाई ....बधाई ....बधाई !
संजीत भाई , कबीर को बहुत कम लोग जानते हैं इस लिहाज़ से आप जो कबीर पर लिख रहे हैं वह तारिफेकाबिल है इससे कबीर के बारे में लोग अच्छे से जानने लगेंगे , इस प्रस्तुति के लिए मेरी आपको हार्दिक बधाई ...
बढ़िया जम रहा है आपका यह लेख प्रसार।
जात न पूछो साधू की पूछ लीजो ज्ञान....,संजीत जी यह चित्र कहा से संकलित किया है ,अगर वेब से तो हमें भी पता बताइयेगा |बहूत अच्छा लगा पढ़कर .....
ज्ञानवर्धन हो रहा है।
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