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30 October 2007

छत्तीसगढ़ में ब्लॉग धूम : इतवारी खबर में प्रकाशित संजीव तिवारी का लेख

स्थानीय दैनिक देशबंधु के पूर्व संपादक व सांध्य दैनिक छत्तीसगढ़ के संपादक सुनील कुमार जी के संपादन में प्रकाशित होने वाले साप्ताहिक इतवारी अखबार में आरंभ ब्लॉग वाले संजीव तिवारी जी का लेख प्रकाशित हुआ है।
इस लेख में उन्होनें अपनी लेखनी छत्तीसगढ़ के और इससे जुड़े ब्लॉग्स-ब्लॉगर्स पर केंद्रित रखी है इसीलिए इसका शीर्षक "छत्तीसगढ़ में भी हिंदी ब्लॉग धूम" दिया है।

प्रस्तुत है इतवारी खबर के वे पन्ने जिनमे यह लेख है।

























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छत्‍तीसगढ में भी हिन्‍दी ब्‍लाग धूम


इंटरनेट ब्‍लागिंग के संबंध में अब लोगों को परिचय कराने का औचित्‍य शेष नहीं रहा है, जैसे लोग नेट सर्फिंग, ई मेल व चैटिंग एवं आरकुट जैसे सामाजिक संबंधों के प्रयोगों के संबंध में जानते हैं वैसे ही सन् 1999 से प्रारंभ इस विधा के संबंध में ज्‍यादातर इंटरनेट प्रयोक्‍ता ब्‍लाग से परिचित हो गए हैं । फिर भी हम संक्षेप में इसके संबंध में बता दें । ब्‍लाग, इंटरनेट में जिस तरह से वेवसाईट होता है वैसा ही एक आरक्षित स्‍थान यानी यूआरएल का नाम है जिसे कई सेवा प्रदाता जैसे ब्‍लागर (गूगल) व वर्ड प्रेस एवं याहू व अन्‍य कई किसी भी व्‍यक्ति के लिए मुफत में उपलब्‍ध कराते हैं जिसमें ई मेल पंजीयन की तरह ही पंजीयन करा कर सरलतम प्रक्रिया से अपने स्‍वयं का वेब साईट निर्माण करने की सुविधा होती है वह भी उसी तरह से पूर्णत: नि:शुल्‍क जिस तरह से ईमेल का पंजीयन होता है । इस आरक्षित स्‍थान में व्‍यक्ति अपनी निजी डायरी, अपने पसंद के लेख, कविता, कहानी, संस्‍मरण, फोटो आदि सबकुछ डाल सकता है और वह सामाग्री वहां इंटरनेट के प्रत्‍येक प्रयोक्‍ता के लिए उसी तरह से उपलब्‍घ होती है जिस तरह से अन्‍य वेवसाईट की समाग्री उपलब्‍ध होती है । कुल मिला कर ब्‍लाग किसी ब्‍यक्ति की सार्वजनिक उपलब्‍ध डायरी या वेब पत्रिका है । यह एक ऐसा अभिनव प्रयोग है जिसमें आज भारत में भी ब्राडबैंड व मोबाईल इंटरनेट के सहारे छोटे छोटे कस्‍बों व उपनगरों में बैठे हिन्‍दी रचनाधर्मी निरंतर हिन्‍दी लेखन में अपना योगदान दे रहे हैं । नारद, हिन्‍दी ब्‍लाग्‍स, ब्‍लाग वाणी, चिट्ठाजगत के अतिरिक्‍त हिन्‍दी चिट्ठे व पाडकास्‍ट जैसे एग्रीगेटरों के द्वारा इन हिन्‍दी ब्‍लागों को नियमित पाठक मिलते हैं वहीं कई ब्‍लाग पोस्‍ट फीडबर्नर के द्वारा सबर्सक्राइव होकर पाठक तक सीधे पहुंच रहे हैं तो कई सर्च इंजन के द्वारा प्रयोक्‍ता के स्‍क्रीन पर उपलब्‍ध्‍ हो जा रहे हैं ।

ब्‍लाग के परिचय में हिन्‍दी समाचार पत्रों एवं पत्रिकाओं में लम्‍बे-लम्‍बे लेख लिखे गये हैं वहीं इंटरनेट पर भी इसके परिचय में ढेरों पन्‍ने संग्रहित हैं । अंग्रेजी भाषा में प्रारंभ एवं पल्‍लवित यह विधा, देखते ही देखते आठ वर्ष के न्‍यनतम अवधि में पूरे विश्‍व में जिस तरह से एक निजी डायरी के अपने स्‍वरूप से उपर उठकर वैकल्पिक मीडिया के स्‍वरूप को अंगीकार किया है उससे अंतरजाल प्रयोक्‍ता अचंभित है ।

साहित्‍य जगत की नजरों में ब्‍लाग का बढता महत्‍व इस बात से सिद्ध होता है कि पिछले दिनों महात्‍मा गांधी जी द्वारा स्‍थापित मध्‍यभारत हिन्‍दी साहित्‍य समिति नें ब्‍लाग लेखन के लिए वर्कशापों की श्रृंखला प्रारंभ कर दी है जिससे कि ब्‍लाग लेखन से अधिकाधिक लोगों को जोडा जा सके । सीएनएन आईबीएन टीवी चैनल नें भी ब्‍लागर रवि रतलामी के साक्षातकार के साथ ही हिन्‍दी ब्‍लाग लेखन पर श्रृंखलाबद्ध समाचार प्रसारित किया था ।

अंग्रेजी ब्‍लागों नें तो यहां तक अपने परचम गाडे हैं कि इसमें समाहित एक लेख नें अमेरिका सहित पूरे विश्‍व में इस कदर जन चेतना को जगाया कि मोनिका लेवेंसकी प्रकरण में अमेरिकी राष्‍ट्रपति को महाभियोग तक ला खडा किया था एवं देखते ही देखते निजी डायरी और अगडम बगडम शैली का अदना सा ब्‍लाग लेखक, लेखन विधा के शीर्ष पर पहुँच गया मैट ड्रज (ड्रजरिपोर्ट.कॉम) । अमेरिका ही नहीं चीन जैसे देश में भी एक ब्‍लाग नें शंघई में बिल्‍डर माफिया के काले कारनामों का ऐसा चिट्ठा खोला जिसे पारंपरिक प्रिंट मीडिया नें कभी प्रकाशित नहीं किया, उस लेख नें चीन में बिल्‍डरों की चूलें हिला दी थी । ऐसे कई उदाहरण हैं, साधारण से दिखने वाले इस विधा के ।

भारत भी इस विधा से अछूता नहीं है यहां भी ख्‍यातिनाम व प्रतिदिन हजारों की संख्‍या में पढे जाने वाले ब्‍लागर्स मौजूद हैं जिनको पूरा विश्‍व चाहत के साथ पढता है, इनमें कुछ नाम हैं गौरव सबनीस का वान्टेड प्वाइंट, रश्मि बंसल का यूथ सिटी, अमित अग्रवाल का डिजिटल इनिस्परेशन प्रमुख हैं ।

इंटरनेट में यूनिकोड हिन्‍दी के विकास के साथ ही इस विधा नें अपना विकास गाथा प्रारंभ किया, इसके पूर्व समाचार पत्रों वेबदुनिया, बीबीसी जैसे समाचार से जुडे संस्‍थाओं नें इंटरनेट पर हिन्‍दी को लाकर नियमित पाठकों की रूचि को बढाने का भरपूर कार्य किया । ऐसे समय में ही हिन्‍दी ब्‍लाग का पदार्पण हुआ एवं आरंभ के हिन्‍दी ब्‍लागरों नें सामान्‍य रूप से अपनी निजी सार्वजनिक डायरी के रूप में अपनी सोंच व चिंतन प्रक्रिया को ब्‍लाग में डालना प्रारंभ किया, तब वे भी नहीं सोंचे थे कि दो चार दस की संख्‍या में प्रयोगधर्मी के रूप में शुरू उनका हिन्‍दी ब्‍लाग जगत आज 1500 की संख्‍या को पार कर जायेगा ।

वर्तमान में परिस्थितियां हिन्‍दी के अनुकूल है, आज इंटरनेट में हिन्‍दी का सचमुच राज है । छत्‍तीसगढ के ख्‍यातिलब्‍ध ब्‍लागर जयप्रकाश मानस जी का पोस्‍ट ‘इंटरनेट के पृष्‍टों पर राज करती हिन्‍दी’ को जिसने भी पढा है उसे अपनी मातृभाषा के इंटरनेट में शनै: शनै: विकास को देखने पर आत्मिक शांति एवं अतीव गर्व की अनुभूति होगी । सचमुच में आज हिन्‍दी का जिस तरह से इंटरनेट में बोलबाला है उसको देखकर किंचित संतुष्टि के साथ ही व्‍यग्रता होती है कि हमें भी इस आहुति में सहभागी बनना है ।

हिन्‍दी ब्‍लागिंग के वर्तमान दौर में देश के विख्‍यात साहित्‍यकारों के साथ ही नामधारी पत्रकारों नें भी अपने-अपने ब्‍लाग प्रारंभ किए हैं, पत्रकारों के इस विधा को अपनाने के पीछे जो मनोभाव काम कर रहा है वह है उनकी अभिव्‍यक्ति की अदम्‍य स्‍वतंत्रता की विपासा, प्रत्‍येक पत्रकार की प्रकाशन की सीमायें होती है जिसे हम हीरानंद सच्चिदानंद ‘अज्ञेय’ के समय से देखते व पढते आये हैं । इन सीमाओं में पत्रकारों को घुटन सी महसूस हो रही थी और यह ब्‍लाग विधा ने उनको दिया है एक ऐसी आजादी जिसमें वे अपनी अभिव्‍यक्ति को पूर्णत: स्‍वतंत्र पाते हैं एवं पाठक वर्ग, जिसके लिए वे लिखते है उसका अपार व अपरिमित समूह पाते हैं । ब्‍लाग में वह स्‍वयं उसका नियंता है, वही उसका प्रकाशक व संपादक है, कोई काट – छांअ की छुरी नही है, स्‍वतंत्र अभिव्‍यक्ति का एक सशक्‍त माध्‍यम ।
पत्रकारों, साहित्‍यकारों के साथ ही इस विधा नें कई ऐसे लोगों को जोडा है जो कुछ लिखना चाहते हैं एवं इसके साथ साथ अपने लेखन को दूसरों तक पहुंचाना चाहते हैं इनमें 11 वर्ष के बालक से लेकर 84 वर्ष के जवान भी हैं जो ब्‍लाग लेचान कर रहे हैं । छत्‍तीसगढ के दिल्‍ली में निवासरत एक ब्‍लागर भाई लोगों के इस जीजीविषा का छत्‍तीसगढिया शव्‍दों में बडा ही सुन्‍दर नाम देते हैं क‍हते हैं आज सबको अपने लिखे को पढवाने का ‘खुजाल’ है । मैनें भी विगत वर्षों से अपने ब्‍लाग पर इस ‘खुजाल’ का बेहतर प्रदर्शन किया है एवं भारत सहित अमेरिका, कनाडा, ब्रिटेन, आस्‍ट्रेलिया, संपूर्ण योरोप व आफ्रिका, सिंगापुर, चीन, जापान, ब्राजील जैसे लगभग संपूर्ण विश्‍व में निवासरत हिन्‍दी प्रेमियों तक अपने छत्‍तीसगढ को पहुचाने का प्रयास किया है ।

संपूर्ण विश्‍व के हिन्‍दी ब्‍लागरों की चर्चा करना किसी एक लेख में संभव नहीं है इसके लिए लगभग लगभग सभी समाचार पत्रों एवं उत्‍कृष्‍ट पत्रिकाओं नें लेख प्रकाशित किए हैं एवं जनसत्‍ता जैसे कई समाचार पत्रों नें प्रत्‍येक सप्‍ताह तथा प्रत्‍येक पखवाडे में ब्‍लाग लिखी जैसे स्‍तम्‍भ भी प्ररंभ कर दिये हैं । इसी के साथ ही भारत में इस विधा को पत्रकारिता के पाठ्यक्रम में शामिल करने की मांगें भी उठने लगी है क्‍योंकि अब यह लगने लगा है कि आगामी भविष्‍य में यह एक दमदार वैकल्पिक मीडिया के रूप में स्‍थापित होने वाला है ।

हम इस लेख में चर्चा करेंगें उन हिन्‍दी व छत्‍तीसगढी चिट्ठाकारों / ब्‍लागरों के संबंध में जो छत्‍तीसगढ से जुडे हैं एवं पूरे विश्‍व में हिन्‍दी ब्‍लागिंग कर धूम मचा रहे हैं । छत्‍तीसगढ के सर्वाधिक चर्चित हिन्‍दी ब्‍लागर एवं संपूर्ण विश्‍व को हिन्‍दी कम्‍प्‍यूटिंग देने वाले पुरोधा पुरूष राजनांदगांव के रविशंकर श्रीवास्‍तव (रवि रतलामी) का नाम शीर्ष में सदैव लिया जायेगा एवं छत्‍तीसगढ ही नहीं वरण संपूर्ण विश्‍व उनके हिन्‍दी कम्‍प्‍यूटिंग के योगदान के लिए सदैव आभारी रहेगा । छत्‍तीसगढ को अपने इस ब्‍लागर पर गर्व है, इनका दो हिन्‍दी ब्‍लाग सक्रिय है रवि रतलामी का हिन्‍दी चिट्ठा एवं रचनाकार । हिन्‍दी ब्‍लागरों में से सर्वाधिक पाठक इनके हैं ।

इनके बाद के स्‍थानों में इनके ही समकालीन क्रियाशील ब्‍लागर छत्‍तीसगढ के जाने माने साहित्‍यकार जयप्रकाश मानस हैं, इन्‍होंनें छत्‍तीसगढ से हिन्‍दी ब्‍लागिंग जगत को कई उल्‍लेखनीय ब्‍लाग दिये हैं । स्‍वयं अपने ब्‍लाग में नियमित लेखन के साथ ही इन्‍होंनें हिन्‍दी इंटरनेट जगत में पहली बार चेलक भारती के छत्‍तीसगढी उपन्‍यास ढोमहा भर घाम व शिवशंकर शुक्‍ल के दो छत्‍तीसगढी उपन्‍यास दियना के अंजोर व मोंगरा, अपने स्‍वयं का कविता संग्रह होना ही चाहिए आंगन, हिन्‍दी कवियों के पंछी पर केन्द्रित कविताओं का संग्रह विहंग को नेट में उपलब्‍ध कराया एवं बीआर सोनी, तपेश जैन सहित अन्‍य लोगों के लिए ब्‍लाग बना कर उनकी रचनाओं को सशक्‍त माध्‍यम प्रदान किया है । श्रृजन सम्‍मान नाम के इनके आमुख ब्‍लाग हिन्‍दी ब्‍लाग जगत का शीर्ष ब्‍लाग माना जाता है । ब्‍लाग के अतिरिक्‍त इनके द्वारा प्रकाशित व संपादित प्रिट व नेट संस्‍करण पत्रिका श्रृजन गाथा के साथ मीडिया विमर्श का नेट संस्‍करण प्रस्‍तुत कर हिन्‍दी नेट जगत में एक उल्‍लेखनीय कार्य कर दिखाया है । अपने पुत्र रथ के सहयोग से बिलासपुर के नंदकुमार तिवारी की छत्‍तीसगढी भाषा की पत्रिका लोकाक्षर को भी इंटरनेट जगत में छत्‍तीसगढ के दमदार उपस्थिति को दर्ज किया है ।

छत्‍तीसगढ के ही नीरज दीवान उन शुरूआती दौर के ब्‍लागर हैं जिन्‍होंनें इस विधा को पल्‍लवित सिंचित किया है नीरज दीवान इंडिया टीवी से जुडे हैं व ‘की बोर्ड के सिपाही’ के नाम से अपने चित परिचित पत्रकारों वाले अंदाज में लगातार लिख रहे हैं ।

छत्‍तीसगढ से जुडे अन्‍य वरिष्‍ठ ब्‍लागर हैं जिनके नाम के उल्‍लेख के बिना ब्‍लाग जगत अधूरा है वह हैं कनाडा में रहने वाले चार्टड एकाउन्‍टेंट समीर लाल जी । उनकी प्राथमिक शिक्षा भिलाई 3 के स्‍कूल में हुई थी इस कारण वे छत्‍तीसगढ से अपना जुडाव महसूस करते हैं और हमें उन्‍हें छत्‍तीसगढिया कहने में गर्व की अनुभूति होती है । समीर लाल जी का ब्‍लाग है उडन तश्‍तरी, पिछले 111111 में सर्वश्रेष्‍ठ हिन्‍दी ब्‍लाग का पुरस्‍कार प्राप्‍त कर चुके हैं ।

आलोक पुतुल बीबीसी हिन्‍दी के नेट संस्‍करण में नियमित हिन्‍दी लेखन के अतिरिक्‍त इस विधा में भी हाथ आजमा रहे हें, उनका लेखन छत्‍तीसगढ के हर धडकन के अनुभवों के कारण यथार्थ शब्‍दों में आकार लेता है ।

हमारे प्रदेश के ख्‍यात वनस्‍पतिशास्‍त्री पंकज अवधिया नें हिन्‍दी ब्‍लाग जगत में आकर जिस तरह से तहलका मचाया हे उसका वर्णन प्रिंट मीडिया में कहां संभव है उसके लिए तो आपको आना होगा उनके पारंपरिक औषधियों और जडी बूटियों की अकूट जानकारी से भरे उनके ब्‍लाग हमारा पारंपरिक चिकित्‍सीय ज्ञान में इसके साथ ही वे दर्द हिन्‍दुस्‍तानी के नाम से कविताओं का एक ब्‍लाग भी संचालित करते हैं, इनके ब्‍लाग लिखने से इनकी जितनी भी अंग्रेजी में उपलब्‍ध शोध पत्र एवं इनके अनुभव व प्रयोग हिन्‍दी में जन सुलभ हो पा रहे हैं ।

रायपुर के संजीत त्रिपाठी अपने ब्‍लाग आवारा बंजारा में अपनी आवारगी समेटे सटीक व स्‍तरीय भाषा में छत्‍तीसगढ सहित अन्‍य विषयों में लगातार लिख रहे हैं, उनके हिन्‍दी ब्‍लाग जगत में ढेरों पाठक हैं । शब्‍द एवं भाषा के धनी इस ब्‍लागर्स ने इस विधा के विकास में भी महत्‍वपूर्ण कार्य किया है ।

बिलासपुर से अंकुर गुप्‍ता अपने ब्‍लाग में इंटरनेट तकनीक व कम्‍प्‍यूटर तकनीकि के संबंध में संपूर्ण हिन्‍दी पाटक जगत को परिचित करा रहे हें । भिलाई 3 से साहेब अली नें भी इस संबंध में प्रयोग प्रारंभ किया है इनका ब्‍लाग सारे जहां से अच्‍छा है । रायपुर से ही एक वरिष्‍ठ ब्‍लागर जी.के. अवधिया छत्‍तीसगढी जनजीवन पर आधारित हरिप्रसाद अवधिया के उपन्‍यास धान के देश में लिख रहे हैं, उनका स्‍वयं का एक साईट गठजोड काम भी है जिसमें वे अन्‍य लोगों को हिन्‍दी नेट का प्‍लेट फार्म उपलब्‍ध करा रहे हैं । अवधिया जी का ब्‍लाग तो छत्‍तीसगढ की माटी की खुशबू को अपने आप में समेटा हुआ धान का कटोरा है जहां उपन्‍यास किश्‍तों में जन्‍म ले रहा है । रायपुर के नीरज अग्रवाल जी ब्‍लाग लेखन कर रहे हैं किन्‍तु वे अभी इसी विधा के नये प्रयोग के रूप में रविवार काम का संचालन कर रहे हैं जो समसामयिक इंटरनेट पत्रिका है ।
मैं विगत अप्रैल-मई से लगातार हिन्‍दी ब्‍लाग जगत में सक्रिय हूं, मेरे हिन्‍दी ब्‍लाग का नाम है ‘आरंभ’ मेरा प्रयास छत्‍तीसगढ के कला संस्‍कृति व साहित्‍य के संबंध में संम्‍पूर्ण विश्‍व को अवगत कराना है । इस हेतु से मैं स्‍वयं अपने लेख एवं इस क्षेत्र के ख्‍यातिनाम व्‍यक्तियों के आलेख अपने ब्‍लाग में नियमित प्रस्‍तुत कर रहा हूं ।

क्षेत्र के चर्चित लेखक प्रो.अश्विनी केशरवानी के लेख रचनाकार, सृजनगाथा एवं लेखक के ब्‍लाग पर प्रकाशित होते रहे हैं।

हरिभूमि के संपादक संजय द्विवेदी जी, जनसंपर्क के श्री राम पटवा, और सुधीर शर्मा जैसे ब्‍लागर भी छत्‍तीसगढ से हिन्‍दी की सेवा में जुटे हैं । हाल के दिनों मे इंटेलिजेंस ब्यूरो से नक्सल व आतंकवाद से जुड़े मुद्दों पर छनकर आई खबरों में देश के अन्य क्षेत्रों से संचालित ब्लॉगों के अतिरिक्त छत्तीसगढ़ से भी प्रकाशित ब्लॉगों पर भी देश के सर्वोच्च खुफ़िया तंत्र की दस्तक का पता चलता है जो छत्तीसगढ़ के ब्लॉगों की क्रियाशीलता एवं संवेदनशीलता को राष्ट्रीय स्तर पर प्रदर्शित करता है।


इन हिन्‍दी ब्‍लागों के अतिरिक्‍त अन्‍य कई ब्‍लागर्स हैं जो अभी हमारे नजरों में नहीं आए हैं । इंटरनेट के अन्‍य विधा में छत्‍तीसगढ के समाचार पत्रों के नेट संस्‍करणों में छत्‍तीसगढ, देशबंधु, भास्‍कर व नवभारत के साईट उपलब्‍ध हैं जहां छत्‍तीसगढ से संबंधित पेज हैं । हमारी खुशी तब और बढ जाती है जब ‘छत्‍तीसगढ’ समाचार पत्र को इंटरनेट के द्वारा इंग्‍लैण्‍ड में पढे जाने के संबंध में समाचार प्रकाशित होता है, यानि हमारे प्रयास को अब पर लग चुके हैं ।

मैंनें अपने ब्‍लाग आरंभ पर अभिनव प्रयोगों में शुभ्राशु चौधरी के छत्‍तीसगढ में प्रकाशित होने वाले स्‍तंभ ‘बासी में उफान’ के अंशों को समय-समय पर छत्‍तीसगढ के लिंक के साथ प्रकाशित किया है, शुरूआती समय में शुभ्राशु जी के द्वारा इसका हिन्‍दी नेट संस्‍करण सीजी नेट पर उपलब्‍ध नहीं कराया गया था । ‘बासी में उफान’ की लेख श्रृंखला छत्‍तीसगढ राज्‍य की वर्तमान परिस्थितियों का किसी पारखी पत्रकार की नजर और चिंतन प्रक्रिया का सार है, इस श्रृंखला के कुछ अंशों एवं लिंकों का उल्‍लेख अपने ब्‍लाग पर करने के बाद मैंने पाया कि ‘बासी में उफान’ एक सिद्धस्‍थ पत्रकार की कालजयी लेखन है जिसको पूरा विश्‍व पढना चाहता है ।

जब-जब मैने छत्‍तीसगढ के अंशों को एवं प्रकाशित उद्धरणयोग्‍य समाचारों की कतरनों को अपने ब्‍लाग में प्रकाशित किया तो पाया कि इसके संपादक सुनील कुमार जी के दीवाने अमेरिका, कनाडा सहित देश के विभिन्‍न स्‍थानों में देशबंधु के बाद से इन्‍हें ढूढ रहे थे अब वे छत्‍तीसगढ के नेट संस्‍करण के नियमित पाठक हैं ।

ब्‍लागरों से मुलाकात में इंटरनेट प्रयोक्ताओं द्वारा हमेशा इस विधा के संबंध में यह पूछा जाता है कि इसके संचालन या लेखन में क्‍या कोई वित्‍तीय आय संभव है तो इसके संबंध में मैं बताना चाहूंगा कि यह सौ फीसदी संभव है गूगल के एड सेंस के विज्ञापनों को अपने ब्‍लाग पर लगाकर एवं अन्‍य निजी सेवा प्रदाताओं के विज्ञापनों को अपने ब्‍लाग पर लगाकर आय अर्जित की जा सकती है पर यह तभी संभव है जब ब्‍लाग में प्रतिदिन आने वाले पाठकों की संख्‍या के साथ साथ उन विज्ञापनो को क्लिक करने की संख्‍या में वृद्धि हो किन्‍तु अभी आगामी चार पांच वर्षों तक इससे कोई आय की संभावना नजर नहीं आती इसके बावजूद इंटरनेट पर हिन्‍दी पत्रिका के संचालन एवं लिखने का जोश इसे जीवंत किए हुए है ।

इतना जरूर हुआ है कि हिन्‍दी ब्‍लाग लिखने वाले अगल-अलग विधा के कई नये लेखकों के लेखों का प्रकाशन, अनेकों समाचार पत्रों व पत्र पत्रिकाओं में अब नियमित होने लगा है जिससे कि उन्‍हें प्राप्‍त पारिश्रमिक से आंशिक आय की स्थितियां निर्मित अवश्‍य हुई है । छत्‍तीसगढ के प्रिंट मीडिया में प्रकाशित हो रहे ब्‍लागरों में से जयप्रकाश मानस, प्रो.अश्विनी केशरवानी व पंकज अवधिया हैं जिनकी रचनाएं विभिन्‍न पत्र-पत्रिकाओं में निरंतर स्‍थान पा रही हैं ।
छत्‍तीसगढ में ब्‍लाग लेखन अभी अपने शैशव काल में है इसे जरूरत है मीडिया के सहयोग की जिससे कि लोग इस विधा के संबंध में जानेगें और अधिकाधिक संख्‍या में हम अपने छत्‍तीगढ को संपूर्ण विश्‍व के पटल पर प्रस्‍तुत कर सकेंगें किन्‍तु अभी तो आरंभ ही हुआ है आशा है छत्‍तीसगढ में पवन दीवान जी के शव्‍दों में छटपटाती हमारी व्‍यथा से हमें मुक्ति मिल सके

‘छत्‍तीसगढ में सब कुछ है
पर एक कमी है स्‍वाभिमान की,
मुझसे सही नहीं जाती है
ऐसी चुप्‍पी वर्तमान की ।‘


आलेख
संजीव तिवारी
ब्‍लागमैगजीन- http://aarambha.blogspot.com
ई मेल- tiwari.sanjeeva@gmail.com



25 टिप्पणी:

Gyan Dutt Pandey said...

बहुत सुन्दर लेख। तिवारी जी ने बहुत बढ़िया काम किया है। सधुवाद।

अविनाश वाचस्पति said...

जारी रखें। ब्लाग इतिहास लेखन का कार्य ऐसे ही मजबूत कंधों पर डाली जा सकती है। इनके कंधे मजबूत प्रतीत होते हैं। बधाई, जीतें सभी लड़ाई।

ALOK PURANIK said...

बेहतरीन

काकेश said...

बहुत अच्छा लेख.तिवारी जी और आपको भी बधाई. काश हम भी छ्त्तीसगढ़ में पैदा हुए होते.

Pankaj Oudhia said...

संजीत अब हमारा यह फर्ज बनता है कि संजीव जी के ऊपर एक पूरा लेख लिखे। सबसे ज्यादा वे लोगो को बढा रहे है पर सबसे कम अपने बारे मे लिखा है। मै उनके कारण ही ब्लाग की दुनिया मे हूँ।

राजीव रंजन प्रसाद said...

संजीत जी,

छतीसगढिया होने का गर्व आपने 'फिर' महसूस कराया। बहुत कम्पोज्ड आलेख है।

*** राजीव रंजन प्रसाद

Jitendra Chaudhary said...

बहुत सुन्दर। बहुत ही विस्तार से आपने लिखा है, काफी अच्छा लगा। आपको बहुत बहुत बधाई।

आप भी छत्तीसगढ मे ब्लॉगिंग कार्यशाला के कार्य शुरु कीजिए, ज्यादा जानकारी के लिए रवि भाई से सम्पर्क करिए, वे आपको पूरी जानकारी उपलब्ध कराएंगे।

मीनाक्षी said...
This comment has been removed by a blog administrator.
Anonymous said...

साधू साधू.

बधाई स्वीकारें

मीनाक्षी said...

बहुत अच्छी जानकारी ! संजीत जी आप तो हवा का तेज़ झोंका है ही लेकिन देखिए आपके सुन्दर लेख ने टिप्पणी करने वालों में भी एक नया उत्साह भर दिया है. देश-प्रदेश के प्रति प्रेम देख कर बहुत कुछ पुराना याद आ गया.. !

नीरज दीवान said...

साधुवाद संजीव जी.. संजीत जी को प्रकाशन पर धन्यवाद

छत्तीसगढ़ के कुछ नए ब्लॉगरों के नाम भी पता चले। सुखद अनुभूति हुई।

Sagar Chand Nahar said...

संजीतजी
बहुत ही बढ़िया लेख रहा आपका, मेरी तरफ से भी बधाई स्वीकार करें, और इसी तरह अपने लेख/रचनायें अकबारों में प्रकाशित करवाते रहें।
धन्यवाद।

Anita kumar said...

संजीव जी ने बहुत ही बड़िया और विस्तृत लेख लिखा है, जानकारी से भरपूर्। दरअसल ब्लोग की दुनिया में आ कर हमें भी लगता है मानो बंद कमरे की खिड़कियां खुल गयी हों। ब्लोग जगत में आने से पहले छत्तीसगड़ हमारे लिए सिर्फ़ एक नाम था और मानस पटल पअर जो तस्वीर उभर कर आती थी वो थी पिछड़ेपन की, नकस्लवाद की दीमक से भरी हुई। ब्लोगजगत पर छ्त्तीसगड़िए ब्लोगरस के कारण ही हमारी धारणा बदली। हम सभी छ्त्तीसगड़िए ब्लोगरस के अभारी हैं कि उन्होंने हमे हमारे ही देश के एक कोने से परिचित करा दिया जिससे हम अन्जान थे।

Sajeev said...

great, good news for all bloggers comunity

Udan Tashtari said...

उम्दा विस्तृत आलेख. भिलाई ३ में बीता बचपन आज इस आलेख में अपना नाम देखकर फिर आँखों के सामने आ गया.

बहुत सुन्दर लेख. संजीव तिवारी जी ने बहुत बेहतरीन काम किया हैद. सधुवाद एवं बधाई.

Manish Kumar said...

तिवारी जी को बधाई और आपको इस प्रस्तुति का शुक्रिया।

रवि रतलामी said...

बढ़िया, विस्तृत लेख.

Unknown said...
This comment has been removed by a blog administrator.
Unknown said...

bhaiyya hum toh aap ko hamesha padhte hain.aaj tippyaa rahe hain.
acha likha.badhai

Anonymous said...

अच्छा लिखा है । पर क्या किसी संपूर्ण वेबपत्रिका को ब्लॉग की विधा बताना अतिरेक नहीं हो गया ? सोचिएगा.

Ayush said...

वेब पर हिन्दी देख कर अच्छा लगता है|
हिन्दी वेबसाइट की संख्या भी बढती जा रही है
आज कल काफी कम्पनियाँ भी हिन्दी टूल्स लॉन्च कर रही है |
गूगल के समाचार तो हम सबको पता ही होगा , हिन्दी मे सर्च कर सकते है और हिन्दी में लिखे ने के लिए गूगल इंडिक -- जिन्होंने अंग्रेजी लिपि में टिप्पणिया लिखी है ख़ास कर वह देखे गूगल इंडिक |

गोस्ताट्स नमक कंपनी ने भी एक ट्राफिक परिसंख्यान टूल हिन्दी मे लॉन्च किया है
http://gostats.in
इससे जाना जा सकता है की हिन्दी का भविष्य इन्टरनेट पे बहुत अच्छा है

anuradha srivastav said...

संजीत ये जानकारी देने के लिये साधुवाद। संजीव जी निःसंदेह बधाई के पात्र है जिन्होंने छतीसगढ के तमाम ब्लागर्स और उनके योगदान पर रोशनी डाली साथ ही अपरोक्ष रुप से लोगो में इस विधा से जुडने की ललक भी पैदा करीं।

गरिमा said...

सुन्दर और जानकारी पूर्ण लेख, आज भी कई लोग इंटरनेट और कम्प्युटर नाम से ही घबड़ाते हैं, तो इस तरह के लेख से उनका मनोबल बढ़ेगा और वो भी इधर का रूख करेंगे।
संजीव जी आपको बहुत बधाई।

रंजू भाटिया said...

बहुत सुंदर ढंग से इसको लिखा है ...हिन्दी के लिए यह एक शुभ संकेत है संजीव तिवारी जी को बधाई ...आपको इसको यहाँ देने के लिए शुक्रिया !!

नवीन प्रकाश said...

हमारा नाम भी शायद जल्दी इस लेख मे जुड जाये

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आपकी राय बहुत ही महत्वपूर्ण है।
अत: टिप्पणी कर अपनी राय से अवगत कराते रहें।
शुक्रिया ।