आज़ादी एक्स्प्रेस रायपुर में-1
आज़ादी एक्स्प्रेस का स्वागत करने जिन स्वतंत्रता सेनानी और उनके परिवार वालों को बुलाया गया था उनमें हमारी माताजी के साथ हम भी शामिल थे। तो हम माताजी के साथ रेल्वे स्टेशन पहुंच गए कल अर्थात 29 तारीख को पौने ग्यारह बजे जबकि आज़ादी एक्स्प्रेस पहुंची दोपहर सवा बारह बजे।
खैर! इस बीच स्वतंत्रता सेनानियों और स्वर्गीय सेनानियों की पत्नियों से मिलने आए रेल्वे के स्थानीय डी आर एम चंद्रा साहब, डी सी एम नायडू जी और प्रवक्ता बसाक साहब से चर्चा चलती रही, जैसे ही डी आर एम साहब ने एक सेनानी को जानकारी दी कि वह इलाहाबाद वि वि से पढ़कर निकले हैं हमें याद आ गए ज्ञानदत्त पाण्डेय जी और हमने तुरंत डी आर एम साहब को ज्ञानदत्त जी का परिचय देते हुए उनका ब्लॉग देखने की सिफ़ारिश की और उनकी डायरी में ब्लॉग एड्रेस नोट कर दिया। [ ज्ञानदत्त जी भविष्य मे ब्लॉग-आय का 2-3 फ़ीसदी हमें दे दिया जाए ना, प्रचारक की भूमिका निभाने के कारण ;) ]। बातचीत से मालूम हुआ कि यह एक्ज़ीबिशन ट्रेन दो कारणों से लेट हुई, इसे बिलासपुर तरफ़ से लाना था लेकिन प्लेटफ़ार्म पर खड़े रहने के दौरान लोगों प्रवेश और निकास की सहुलियत से इसे भोपाल से रायपुर व्हाया नागपुर लाया जा रहा है और नागपुर स्टेशन मे ही इसका इंजन पटरी से उतर गया था। सवा बारह बजे ट्रेन आई, इस मौके पर स्थानीय आयोजक के रूप में डी ए वी पी के फ़ील्ड एक्जीक्यूटिव ऑफ़िसर शैलेष फाये ने प्लेटफ़ार्म नंबर छह पर ही जहां इस ट्रेन को रुके रहना था, आज़ादी में अपना योगदान देने वाले छत्तीसगढ़ के वीर सपूतों के चित्रों की एक छोटी सी प्रदर्शनी लगाई है। इसका उद्घाटन उन्होनें आज़ाद हिंद फ़ौज में सिंगापुर में रह चुके सरदार दिलीप सिंह के हाथों करवाया। इसके बाद दिल्ली से आई विभागीय डायरेक्टर शशि जी ने मौजूद सेनानियों और उनके परिवार वालों को ट्रेन में लगी पूरी प्रदर्शनी का खुद अवलोकन करवाया।
इसी दौरान रोटरी क्लब हैरीटेज की स्थानीय शाखा ने ने अपने राजनैतिक दृष्टिकोण से स्वतंत्रता सेनानियों के सम्मान का कार्यक्रम भी रखा था डेढ़ बजे से, सो शहर में मौजूद अन्य सेनानी भी वहां पहुंच गए जो कि चार बजे तक मुख्यमंत्री, राज्य के गृह मंत्री और संस्कृति मंत्री और अन्य विधायकों का इतजार करते बैठे रहे सम्मान के लिए, और करते भी क्या बुलाया गया था तो!! सभी नेतागण विधानसभा से चार बजे आए, सेनानियों को शाल ओढ़ाकर, श्रीफल देकर साथ मे लेकर चल दिए आज़ादी एक्स्प्रेस का स्वागत करने जिसका स्वागत तीन घंटे पहले ही हो चुका था। खैर! राजनीति सब जगह हावी है पर राजनेताओं के इंतजार मे बैठे सेनानियों को देखकर एक दर्शक की टिप्पणी थी कि " सेनानी नेताओं का इंतजार करते बैठे हैं जबकि होना उल्टा चाहिए"।
रायपुर रेल्वे स्टेशन के प्लेटफ़ार्म नंबर छह पर लगी चित्र प्रदर्शनी के चित्र श्री फाए जी ने आवारा बंजारा को उपलब्ध करवाएं हैं। इसके अलावा उन्होनें आडियो विजुअल्स उपलब्ध करवाए हैं वह अगली पोस्ट में।
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12 टिप्पणी:
साधुवाद प्यारे। सही सोहबतों में हो।
जानकारी भरी पोस्ट लिखने के लिए शुक्रिया, संजीत...बहुत अच्छा लेखन. और ज्ञान भैया से अपना 'हिस्सा' जरूर ले लेना......:-)
सुखद एहसास हो रहा है, स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों की सुधि लेने वाले अभी भी बहुतेरे हैं । संग्रहणीय चित्र हैं । धन्यवाद संजीत भाई, आपकी आवारणी रंग ला रही है ।
सैनानियों के सम्मान में जानकारी देने का बहुत बहुत शुक्रिया ! चलचित्रों का इंतज़ार है !
आप छत्तीसगढ़ियों का उत्साह देख कर मुझे आश्चर्य होता है और ईर्ष्या भी। बड़ी मन लगा कर पोस्ट भी लिखते हो। और हर क्षेत्र में सक्रिय भी हो।
विजयी भव!
संजीत जी बहुत ही अच्छा रहा होगा आप दोनों के लिए ये दिन्॥ अपना हिस्सा ज्ञान जी से जरुर ले ले। कल की पोस्ट का इंतजार है।
ये संग्रहणीय पोस्ट हैं। इन्हें संभालकर रखिए। और, राजपुर के डीआरएम से इलाहाबाद विश्वविद्यालय का जिक्र सुनकर लगा कितनी आसानी से सब एक दूसरे से जुड़ जाते हैं।
आपका धन्यवाद इस खूबसूरत पोस्ट के लिये. देखा ज्ञान जी कैसे कन्नी काट गये एक बार जिक्र तक नहीं किया आपके हिस्से का ..इससे अच्छा तो आप हमारा प्रचार करते तो हम आपको 50% दे देते क्योकि पिछ्ले कई महीनों में हमने $5 जो कमा लिये हैं..:-)
स्वतंत्रता सैनानियों को व उनके परिजनों को सम्मानित करना तो अच्छा है पर जानकर दुःख हुआ कि यहां भी आयोजन में राजनीति और लेटलतीफी हावी रही । कोफ्त होती है ये देखकर जानकर कि वो बुजुर्गवार जिन्हें सम्मानित करने के लिये आमंत्रित किया गया है उन्हें इन्तजार करना पड रहा है। आपकी अगली पोस्ट का इन्तजार है।
यह सब जानकारी हम तक लाने के लिए धन्यवाद ।
घुघूती बासूती
इस सुंदर और उपयोगी जानकारी के लिए आपका बहुत बहुत धन्यवाद संजीत जी !!
Aisi jankari ke liye sahastra dhanyawad!
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