आज़ादी एक्स्प्रेस
तीन नवंबर की दुपहरी को अचानक हमारा मोबाईल बजा और एक सज्जन ने अपना परिचय दिया कि वह विज्ञापन व दृश्य प्रचार निदेशालय ( डीएवीपी/DAVP) के फ़ील्ड एक्जीक्यूटिव हैं व हमसे मिलना चाहते हैं। हमने उनसे पूछा कि किस संदर्भ में मिलना चाहते हैं। इस पर उन्होने जो जानकारी दी वह कुछ इस तरह थी। 28 सितंबर से चार मंत्रालयों के सहयोग से देश के निवासियों को आज़ादी के साठवीं, 1857 की एक सौ पचासवीं और शहीद भगतसिंह की जन्मशताब्दी के मौके पर आज़ादी के संघर्ष से परिचित करवाने व जानकारी देने के लिए एक प्रदर्शनी रेलगाड़ी चलाई गई है जिसे नाम दिया गया है "आज़ादी एक्सप्रेस"। यह रेलगाड़ी जहां-जहां रुकेगी वहां-वहां प्लेटफ़ार्म पर स्वतंत्रता आंदोलन में स्थानीय योगदान की एक छोटी प्रदर्शनी बनाकर लगाई जाएगी। तो रायपुर छत्तीसगढ़ में भी इस एक्स्प्रेस को रुकना है अत: इन सज्जन ने राज्य सरकार के संस्कृति विभाग में संपर्क किया। संपर्क इसलिए किया क्योंकि इन्हें छत्तीसगढ़ के स्वतंत्रता सेनानियों की तस्वीरें व जानकारी चाहिए थी। संपर्क करने पर संस्कृति विभाग के डायरेक्टर ने इन्हें जिस कर्मचारी के पास भेजा वह ( हमारी जानकारी के मुताबिक ) बहुत अच्छे इंसान व कर्मठ कर्मचारी है पर वह लगे हुए थे राज्योत्सव में क्योंकि उनकी पुकार हर जगह से आती ही रहती है उनके काम करने के तरीके व उनके स्वभाव के कारण । तो उन कर्मचारी ने राज्योत्सव में व्यस्त होने का हवाला देते हुए इन डी ए वी पी वाले सज्जन को असमर्थता बता दी कि राज्योत्सव के बाद ही कुछ संभव है लेकिन यदि जल्दी हो तो रायपुर में ही स्वर्गीय स्वतंत्रता सेनानी श्री मोतीलाल त्रिपाठी के निवास में कुछ तस्वीरें व जानकारी मिल जाएगी जो कि दुर्लभ हैं , संस्कृति विभाग ने खुद कई तस्वीरें उन्ही से जुटाई थी।
तो फ़िर इन सज्जन ने हमारे बड़े भाई साहब को फोन किया और बड़े भाई साहब ने इन्हे बताया कि वह तो दूसरे शहर में पदस्थ है तो संपर्क किया जाए अनुज संजीत से वही इस बारे मे जानकारी दे सकेगा!! तो ऐसे इन सज्जन का फ़ुनवा हमरे पास आया!! इन सज्जन ने कहा कि यह सिर्फ़ आधे घंटे का समय और कुछ तस्वीरों की तस्वीर लेंगे , फोटोग्राफर साथ ही है। हमने कहा आ जाईए आप।
सज्जन आए, उनका नाम है शैलेष फ़ाये, आए तीन बजे आधे घंटे के लिए, तस्वीरें देखते और बातें करते तीन घंटे कैसे बीते पता ही नही चला। पर शैलेष जी जाने से पहले यह ज़रुर कह गए कि यार मैं यहां पहले क्यों नही आया अफ़सोस है, एक से एक तस्वीरें हैं। फ़ाये साहब से बातचीत से जो जानकारी मिली वह कुछ इस प्रकार है
विज्ञापन व दृश्य प्रचार निदेशालय, रेलवे, संस्कृति और मानव संसाधन इन चारों विभागों के सहयोग से यह आज़ादी एक्स्प्रेस 28 सितंबर से नई दिल्ली के सफ़दरगंज रेल्वे स्टेशन से चली है। 28 सितंबर को इसे मानव संसाधन मंत्री श्री अर्जुन सिंह ने हरी झंडी दिखाकर रवाना किया। यह देश के करीब 70 महत्वपूर्ण स्टेशन पर रुकते हुए 15 मई को वापस सफ़दरजंग स्टेशन पर ही पहुंचेगी। इस आज़ादी एक्स्प्रेस में प्रदर्शनी के लिए 12 कोच लगे हुए है, जिन्हें अलग अलग थीम पर डिजाईन किया गया है। इसके कुल तीन सेक्शन है
पहला- 1857 की क्रांति तक
दूसरा- 1857 से 1947 तक
तीसरा- 1947 के बाद से भारत की सभी क्षेत्रों में उपलब्धि व तरक्की।
12वें कोच में एक सेल काऊंटर भी है जिसमें कि स्वतंत्रता आंदोलन से जुड़े मोमेंटो, खादी एवं उसके अन्य उत्पाद आदि बिक्री के लिए रखे गए हैं। इसी कोच में एल सी डी प्रोजेक्टर के माध्यम से ऑडियो व वीडियो प्रदर्शनी भी होगा।
रेलगाड़ी का तय कार्यक्रम
जानकारी के मुताबिक आज अर्थात 20 नवंबर को यह प्रदर्शनी ग्वालियर रेलवे स्टेशन पर खड़ी होगी। 21 को झांसी फ़िर भोपाल होते हुए रायपुर पहुंचेगी जहां यह 29 और 30 नवंबर को लोगों के अवलोकनार्थ खड़ी रहेगी। इसके बाद एक दिसंबर को नागपुर फ़िर जलगांव,अहमदनगर, खड़की(पुणे), मुंबई, वास्को, मंगलौर, कोच्ची, त्रिवेंद्रम, कन्याकुमारी, मदुरै, रामेश्वरम, और अन्य जगह होते हुए बैंगलूर फ़िर पुट्टपर्थी, हैदराबाद, विजयवाड़ा, विशाखापट्नम से उड़ीसा पहुंचेगी जहां यह बरहामपुर, भुवनेश्वर, कटक और संबलपुर होते हुए टाटानगर, खड़गपुर, हावड़ा, बैरकपुर, सिलिगुड़ी, गुवाहाटी। इसके बाद बिहार में पटना गया होते हुए 21 अप्रेल 2008 को इलाहाबाद पहुंचेगी जहां चार दिन तक खड़ी होगी और फ़िर 29 अप्रेल से लखनऊ में चार दिन फ़िर कानपुर मथुरा, मेरठ कैंट होते हुए दिल्ली वापस दिल्ली मे ही तीन स्टेशन पर इसे रुकना है जो कि 15 मई को अंतिम पड़ाव वापस सफ़दरजंग स्टेशन जहां से यह यात्रा शुरु हुई थी।यहां पर हमने सिर्फ़ मुख्य स्टॉपेज के ही नाम दिए हैं। इन सभी व अन्य स्टॉपेज पर यह ट्रेन एक-दो या तीन-चार दिन के लिए रुकेगी ताकि वहां के स्थानीय निवासी इसका अवलोकन कर सकें। ध्यान देने योग्य बात यह भी है कि जिन-जिन राज्य के स्टेशन पर पर यह ट्रेन रुकेगी वहां इसे एक प्लेटफ़ार्म दे दिय जाएगा निश्चित समय के लिए और उस निश्चित प्लेटफ़ार्म पर स्वतंत्रता आंदोलन मे उस राज्य विशेष से रहे योगदान पर केंद्रित डिस्प्ले लगाया जाएगा जिसमे स्थानीय स्वतंत्रता सेनानियों की और अन्य तस्वीरें जानकारियां होगी।
तस्वीरें स्वर्गीय सेनानी श्री मोतीलाल त्रिपाठी जी के संग्रह से! रेल की फोटो गूगल ईमेज सर्च से ली गई!
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16 टिप्पणी:
संजीत भाई मामला तगड़ा है
बहुत खूब, बड़िया जानकारी दी है। आप के पिता जी को शत शत प्रणाम जिन्हों ने निस्वार्थ भाव से देश की सेवा में अपना पूरा जीवन लगा दिया। आज ऐसे ही सेनानियों की वजह से हम खुली हवा में सांस ले रहे हैं। आप भाग्यशाली है कि ऐसे गौरवशाली पिता की संतान हैं।
बहुत बढिया जानकारी देने वाली पोस्ट है, संजीत....बहाने चाहे जो भी हों, हम अपने देश के स्वतन्त्रता सेनानियों को याद कर लेते हैं...
बाबूजी को नमन..
gr888 post .....
का जी हम तो आपको अपनी तरह ही आवारा और लफंटूस समझे बैठे थे...आप तो एक कुछ और ही निकले.बच के रहना पड़ेगा जी आपसे अब तो.
बाबू जी को नमन और आपको धन्यवाद इस पोस्ट के लिये. चित्र दुर्लभ हैं.
आपके बाबा को नत मस्तक प्रणाम ! आपका धन्यवाद जो समय समय पर आप हमें महान सैनानी के जीवन चरित्र का परिचय देते रहते हैं.
रेलवे स्टेशन पर इस तरह की प्रदर्शनी से लोगों को अपने देश के सैनानियों के बारे में पता चलेगा. बहुत अच्छा प्रयास.
बहुत ही अच्छा और रोचक लिखा है आपने संजीत जी बाबू जी सादर नमन है .जानकारी बहुत अच्छे से दी है आपने ...!!
अच्छी जानकारी. क्या ये गाड़ी रतलाम भी आएगी? क्या इसका पूरा कार्यक्रम कहीं इंटरनेट पर देख सकते हैं? यदि हाँ, तो कड़ी अवश्य दें.
आप सभी का आभार!!
@काकेश भाई, ज़रा लोचे को क्लीयर कर लिया जाए, ऊ का है ना कि हम अपने को विचारों से आवारा समझते हैं और हमरे घरवाले हमको लफ़ंटूस जबकि बाहर वाले हमको गलती से समझते हैं गंभीर, तो फ़ायनल किया जाए कि आखिर हम हैं का! अउर जब तक इ फ़ायनल नही न हो जाता तब तक हम अउर आप एकै समान! अउर फ़ायनल होए भी जात है तभौ कोनो बात नही, फ़ेर भी आप अउर हम समान!!
@रवि रतलामी जी, शैलेष फ़ाये जी से संपर्क करने पर मालूम चला है कि रतलाम इस रेलगाड़ी के स्टॉपेज़ में शामिल नही है। और इंटरनेट पर कहीं भी इस रेलगाड़ी का विस्तृत कार्यक्रम उपलब्ध नही है , यहां तक कि डीएवीपी की वेबसाईट http://davp.nic.in पर भी नही!!
अफ़सोस!!
संजीत भाई आपने आजादी एक्सप्रेस के लिए सहयोग कर देश के प्रति अपनी जवाबदेही प्रस्तुत करी है । आपके इस पुनीत कार्य के लिए आपको धन्यवाद, परमश्रद्धेय त्रिपाठी जी को नमन । आजादी एक्यप्रेस का छत्तीसगढ में स्वागत है ।
बहुत अच्छा! यह गाड़ी तो अभी मेरे सिस्टम पर है - ग्वालियर/झांसी में।
संजीत अब देश की आजादी एक्सप्रेस की बागडोर सम्भालो बाबू जी के तरह। सम्भव हो तो इन फोटो पर आधारित ब्लाग बना लो ताकि हमारे अलावा पूरे देश को भी बाबूजी जैसी महान विभूतियो के विषय़ मे पता लग सके।
काश हम सारे फोटो देख पाते। कोशिश करिये की बचे हुये फोटो भी अपने ब्लाग के माधयम से दिखाये जा सकें।
आह !!!!गज़ब ....आपकी अब तक की सबसे अच्छी लेखनी ...मुझे तो बहुत अच्छी लगी...बाबू जी को शत शत नमन !!!!
संजीत जी
बहुत बढ़िया लिखा है आपने। आपके ब्लॉग का नया अवतार भी खूब जम रहा है।
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