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16 February 2007

कब आओगे श्याम


कब आओगे श्याम

हे श्याम
तुम कब आओगे,
प्रतीक्षारत है मेरा मन।

बीते कितने ही वर्ष,
बीती न जाने कितनी सदियां।
सूख गई कई नदियां,
पर तुम न आए।
आखिर तुम कब आओगे
जाने तुम आओगे भी या नहीं।

मनमोहन
कहते हो तुम
मैं तुम में ही बसती हूं
इसका अर्थ यह तो नहीं
कि हम मिले ही नहीं।

कहता है मेरा ह्र्दय,
आओगे तुम अवश्य ही!

श्याम!
तुम्हारी बंशी की
तान ही तो हमारी प्राण है।
कब गुंजेगी यहां फ़िर से
तुम्हारी बंशी की मीठी-मनमोहिनी तान!

सांवरे!
कब तक करवाओगे युं प्रतीक्षा,
कब तक चलेगी यह अग्निपरीक्षा!

आ जाओ अब, न केवल थके है नैन
बल्कि थक गया है मन भी
श्याम!
कब आओगे तुम।

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