एक आम भारतीय, जिसकी योग्यता भी सिर्फ़ यही है कि वह एक आम भारतीय है जिसे यह नहीं मालूम कि आम से ख़ास बनने के लिए क्या किया जाए फ़िर भी वह आम से ख़ास बनने की कोशिश करता ही रहता है…।
जैसा कि अपन ने पिछली पोस्ट पर लिखा था कि पोला/पोरा के दिन कृषकगण अपने बैलों को सजा कर उनकी पूजा करते हैं साथ ही बैल दौड़ व बैल सजाओ प्रतियोगिताएं भी आयोजित की जाती है। तो हमारे फोटोग्राफर राजीव सोनकर ने लपक ली सजे-धजे बैलों की ऐसी ही कुछ तस्वीरें।
6 टिप्पणी:
प्रशंसनीय पोस्ट !
पोला की बधाई .
आभार तस्वीरें दिखाने का.
पोला की बधाई
बढि़या नंदिया बईला सजे हे भाई.
सुन्दर और उत्साह बखानते चित्र।
बहुत सुंदर लगा, आप के चित्र देख कर मुझे ,
पोला की बधाई
इस त्योहार के बारे में तो कल सिद्धार्थ त्रिपाठी की पोस्ट भी देखी। चित्र अच्छे लगे।
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