छत्तीसगढ़ की माटी में जन्में,रायपुर में शिक्षा पाकर यहीं से थिएटर का ककहरा सीख भारतभवन भोपाल के रास्ते मुंबई पहुंच कर फिल्म इंडस्ट्री में बतौर प्रोडक्शन डिजाईनर/ आर्ट डायरेक्टर अपने पांव जमाने वाले जयंत देशमुख आज रविवार को प्रेस से मिलिए कार्यक्रम के तहत रायपुर प्रेस क्लब में मीडियाकर्मियों के रुबरु थे। देशमुख के मुताबिक थिएटर कभी नही मर सकता। थिएटर की हालत खराब होने के ज़िम्मेदार खुद थिएटरकर्मी ही है। वहीं उनका कहना है कि सेक्स-हिंसा पर आधारित और संस्कृति के खिलाफ बनने वाली फिल्मों और टीवी सीरियल्स के लिए जनता खुद ज़िम्मेदार है क्योंकि ऐसी फिल्मों को हिट करने व सीरियलों की टीआरपी बढ़ाने में आखिर जनता की ही भूमिका होती है।
मुंबई के मिज़ाज़ को ठीक समुद्र की मानिंद बताने वाले देशमुख कहते हैं कि जैसे समुद्र की लहरें आप को तीन बार बाहर फेंक देती है उसके बाद आप को अपने में समा लेती है ठीक यही हाल मुंबई का है। रायपुर और भोपाल में अभिनय के दौर के बाद मुंबई में सेट डिजाईनर/आर्ट डिजाईनर्। प्रोडक्शन डिजाईनर के रूप में अपनी पहचान बनाने के सवाल पर वे कहते हैं कि मुंबई पहुंचे तो तब के मित्र राजा बुंदेला एक प्रोडक्शन हाऊस चलाते थे,मैं नया बंदा था तो जो काम मिला करता चला गया। और काम करते-करते सीखता गया।
कहानी व सीन के मुताबिक पूरा वातावरण/बैकग्राऊण्ड तैयार करने वाले जयंत कहते हैं "मैं रायपुर का रहने वाला कभी यह नहीं सोचता था कि कभी सिंगापुर या फ्रांस जाऊंगा पर सिनेमा ही ऐसी चीज है जिसने सिंगापुर से लेकर फ्रांस और न जाने कितने देश घुमा दिए"। अपने बनाए एक महंगे सेट के बारे में देशमुख कहते हैं करीब डेढ़ करोड़ का यह सेट एक नए टेलीसिरियल के लिए बनाया है जो जल्द ही स्टार टीवी पर क्योंकि सास भी कभी बहू थी की जगह आएगा। उन्होनें बताया कि अभी वर्तमान में विभिन्न चैनलों में 13सीरियल्स ऐसे चल रहें हैं जिनमें उनका योगदान है।
रायपुर के मीडिया से अपना पुराना नाता युगधर्म में बतौर पत्रकार के नाते बताते हुए जयंत अपने सफर के बारे में बताते हैं कि सन 1973 में वे रायपुर में "रचना" ग्रुप के तहत वे थिएटर से जुड़े। उसके बाद भारत भवन भोपाल में दस साल अभिनेता रहे जहां हबीब तनवीर, अशोक मिश्रा, राजकमल नायक, बी वी कारंत,बंशी कौल और अन्य बड़े नामों के साथ काम करने का मौका मिला जबकि मुंबई आने के बाद दिनेश ठाकुर जैसे नामों के साथ। वे कहते हैं कि थिएटर से प्यार आज भी है पर व्यावसायिक दिक्कतों के चलते समय नहीं मिलता। वे कहते हैं कि थिएटर कभी नही मर सकता, जब तक आदमी जिंदा है थिएटर भी जिंदा ही रहेगा। सिनेमा कभी थिएटर को नहीं मार सकता। थिएटर की हालत खराब सिर्फ़ इसलिए होती है क्योंकि थिएटर के लोग सिनेमा की ओर भाग रहे हैं। अच्छा थिएटर होगा तो उसे लोकप्रिय होने से कोई नहीं रोक सकता।
सिंग इज़ किंग,नमस्ते लंदन,दीवार, मकबूल, मिलेंगे-मिलेंगे,फंटूश,तेरे नाम, आप का सरुर व कैश जैसी फिल्मों के प्रोडक्शन डिजाइन/ आर्ट डायरेक्टर व हीरो होण्डा इंडियन टेलीविजन अवार्ड, अप्सरा प्रोड्यूसर गिल्ड अवार्ड, स्क्रीन अवार्ड जैसे पुरस्कारों से नवाजे जा चुके जयंत देशमुख छत्तीसगढ़ सरकार के सांस्कृतिक सलाहकार भी मनोनीत किए गए है। इस बारे में वे कहते हैं कि हां ऐसा राजपत्र तो मुझे मिला है इसके बाद कोई जानकारी नही। इसके साथ ही वे सिने व टेलीविजन आर्ट डायरेक्टर एसोसिएशन के अध्यक्ष भी हैं।
18 August 2008
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13 टिप्पणी:
जयंत देशमुख तो नाम से महाराष्ट्र के लगते हैं, लेकिन उनकी जड़ें रायपुर-छत्तीसगढ़ से जुड़ी हैं ये आपकॆ परिचयात्मक पोस्ट से पता चला। साधुवाद।
प्रकारान्तर में जनता के पैसे से डेढ़ करोड़ का जो सेट बनाया जाता है, उसका सूटिंग खतम होने के बाद क्या करते होंगे?
achha likh sanjeet,press club aur chhattisgarh ki gatividhiyon ki jaankaari sab ko dene ke liye aabhar
जयंत देशमुख जी हमारे किंग हैं ।
बधाई जयंत देशमुख जी को एवं आपको आभार इस समाचार को शेयर करने के लिए ।
जयंत देशमुख जी के बारे में जानकर प्रसन्नता हुई।
प्रियवर संजीत
आपकी प्रस्तुति सदैव अच्छी रहती है.
जयंत जी छत्तीसगढ़ के गौरव हैं.
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डा.चन्द्रकुमार जैन
जयंत जी आज मुंबई फिल्मजगत की नामी हस्ती हैं। आपका शुक्रिया...
अच्छा लगा जंयत जी के बारे में जानना
hamare raipur se jude rahe deshmukhji ke baare jaankari dene k liye aabhar.
aap achcha kam kar rahe hain.
hamara pata hai:
http://shahroz-ka-rachna-sansaar.blogspot.com/
http://saajha-sarokaar.blogspot.com/
http://hamzabaan.blogspot.com/
अच्छा लगा जयंत जी के बारे मेम जान कर.आपका धन्यवाद.
jayant ke ke bare me apne achchi janakari di hai . dhanyawad.
सूचना प्रधान पोस्ट के लिए आभार
जयंत जी का कथन थिएटर कभी नही मर सकता, जब तक आदमी जिंदा है थिएटर भी जिंदा ही रहेगा। सिनेमा कभी थिएटर को नहीं मार सकता। थिएटर की हालत खराब सिर्फ़ इसलिए होती है क्योंकि थिएटर के लोग सिनेमा की ओर भाग रहे हैं। अच्छा थिएटर होगा तो उसे लोकप्रिय होने से कोई नहीं रोक सकता।
सम्पूर्ण सत्य का है
ऐसे ही अन्य हस्ती के बारे मे आपके द्वारा जानने का मौका मिलेगा ऐसी आशा है।
शेष फ़िर कभी......
vakai ek khabar hai ham logo ke liye...parde ke peeche ke ek aam insan se khas baane ki is kahani ko baantne ke liye aapka shukriya....
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