ऊंघते-ऊंघते आक्रामक होंगे
ऊंघते-ऊंघते कैसे आक्रामक हुआ जा सकता है अपन को तो समझ में नई आता कांग्रेसियों को आता हो तो आता हो। दर-असल पिछले दिनों प्रदेश कांग्रेस की नवगठित समन्वय समिति की बैठक शहर के सबसे आलीशान माने जाने वाले होटल में हुई। तीन बजे शुरु होने वाली बैठक के शुरु होते होते साढ़े चार-पांच बज गए। यह तो खैर छत्तीसगढ़ कांग्रेस की आदत सी लगती है, करते-करते ही कोई काम करती है। अपन पहुंचे पांच बजे, क्योंकि जानकारी दी गई थी कि साढ़े पांच बजे प्रेस ब्रीफिंग होगी। पहुंचे, देखा कि इक मेला सा लगा हुआ है वहां टिकटार्थियों का, सब अपने-अपने "भैया" का जयकारा लगाने पहुंचे थे।
कांग्रेसियों में उत्साह इतना कि कि बंद कमरे जहां मीटिंग चल रही थी के दरवाजे पर लगे शीशों से अंदर झांक कर अपने "भैया" को अपनी शक्ल दिखाने में लगे हुए थे। एक 'ब्रिगेड' वाले ने हमें कहा "भाई साहब आप भी देखो न
"भैया" कितना अच्छा बोल रहे हैं और बाकी सब सुन रहे हैं"। अपन बस मुस्कुरा दिए। एक तो हमें पकड़कर ले गए और शीशे पर हमारा चेहरा टिकाकर एक तरह से जबरदस्ती ही अंदर का सीन दिखाने लगे। देखा कि दिल्ली से आए राज्य के एक वरिष्ठ नेता जिनके हाथ में कांग्रेस का खजाना है अपनी कुर्सी पे ऊंघे जा रहे थे, लगा कि अब गिरे तब गिरे। मन में ख्याल आया कि विधानसभा चुनावों के मद्देनज़र राज्य में कांग्रेस आक्रामक होने की बात कहती तो है पर क्या ऐसे ही ऊंघते हुए आक्रामक होगी। कांग्रेस के यह खचांजी महोदय बस पौन घंटे बैठक में रहे और इस पौन घंटे मे से बीस से ज्यादा मिनट तो ऊंघते दिखे। फिर निकल लिए अपने तय शेड्यूल के मुताबिक दिल्ली
की फ्लाईट पकड़ने। बाकी नेतागण लगे रहे चर्चा करने में। चर्चा इन लोगों ने ऐसी की कि पूछिए मत। साढ़े पांच बजे होने वाली प्रेस ब्रीफिंग का समय आगे बढ़ाकर छह किया गया फ़िर साढ़े छह। यह बताते-बताते तो राज्य कांग्रेस के प्रवक्ता भी पत्रकारों से माफी मांगते हुए दिल्ली की फ्लाईट पकड़ने निकल गए। पर यहां दिक्कत नही थी, क्योंकि छत्तीसगढ़ में कांग्रेस ने थोक के भाव मे प्रवक्ता बना दिए है। सभी "भैया" के आदमी प्रवक्ता है अब। सो प्रवक्ता महोदय के जाने के बाद भी बहुत से प्रवक्ता मौजूद थे।
खैर मीटिंग चली रात के नौ बजे तक और तब तक सब पत्रकार गरियाते रहे नेताओं को, क्योंकि शाम का समय तो सबको प्रेस पहुंचकर अपनी अपनी स्टोरी फाईल करने की जल्दी थी।
पर मुद्दा यही है कि क्या छत्तीसगढ़ में कांग्रेस ऐसे ही ऊंघते हुए आक्रामक होगी?
10 टिप्पणी:
ऊंघते हुए सक्रिय भी हो जायें तो काफी है, आक्रामक तो बाद में होते रहेंगे. बिल्कुल सही लिखा है.
कंहा रहलू गुरु. बड़े दिन बाद दिखाई दिए.
हम सब को बिसरा दिए है का?
रही बात कांग्रेस की सिर्फ़ छत्तीसगढ़ में ही नही पूरे देश में यही हाल है.
सही कहा आपने.
अच्छा ! अहमद पटेल का भी केसरी जैसा हाल हो गया है ? ये भैया कौन हैं, जोगी रतन या कोई और रतन ?
अच्छी पोस्ट। सैटर्डे डिस्पैच !!!!
ये पोस्ट डालकर आपने अपने ज़िंदा होने का सबूत दिया भाई। बधाई। राजनीति से अपना 36 का आंकड़ा है इसलिये उसपर कुछ नहीं कहूँगा।
accha pakdaa hai unghti congress ko.badhiya likha,ab fir gayab mat ho jaana likhte rehna,badhai tumko
bahut khoob ji yeh sirf chattisgarh mein hi nahi center mein bhi oondh rahe hain
पुन: ब्लाग सक्रियता का स्वागत ..........
this desease is not only occur in congress party, large number of parliamentarian and leader of other party often seen in mood of deep sleep like nero. contrary they awake when some useless discussion happen which destroyed the dignity of parliament.congrates to point out this shamefull gesture
राजनीति के हिसाब में कमज़ोर है लेकिन उस कारण दो महीने बाद आपको लिखते देख कर खुशी हुई..ऐसे ही लिखते रहिए...शुभकामनाएँ
अगले चुनाव तक - नकली सही, सक्रियता आयेगी! सभी पार्टियों ने शिलाजीत की खरीद के आदेश दे दिये हैं!:)
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