गीता और सुंदरकांड की नाट्य प्रस्तुति करना चाहते हैं राणा
दुश्मन, जख्म और शबनम मौसी जैसी फिल्मों से अपनी एक अलग पहचान कायम करने वाले अभिनेता आशुतोष राणा का मानना है कि आध्यात्म के जरिए इंसान सुख का मार्ग तलाश कर सकता है । उनका कहना है कि सफलता का कोई पैमाना नहीं होता। सफल होने की बजाय सुखी होना ज्यादा अहमियत रखता है। कई व्यक्ति खुद को ज्यादा ज्यादा सफल मानते हैं लेकिन वे सुखी नही होते। राजिम में सवा करोड़ शिवलिंग स्थापना के लिए छत्तीसगढ़ आए आशुतोष राणा रविवार को प्रेस क्लब आयोजित प्रेस् से मिलिए कार्यक्रम में पत्रकारों से रुबरु थे।
उन्होनें कहा कि भविष्य में सत्ता और समाज के बीच पुल का काम करने की कोशिश अपने प्रशंसकों के साथ करेंगे।राणा के मुताबिक समाज के हर वर्ग के लिए आध्यात्म मूल आवश्यक्ता है । सुख ढूंढने के लिए ही इंसान आध्यात्म से जुड़ता है। वे खुद सामाजिक या व्यावसयिक परिसिथतियों से कभी नहीं डरते बल्कि स्वयं संतुष्टि का भाव रखते हैं। अपने आध्यात्मिक गुरु पंडित देवप्रसाद शास्त्री को सर्वोच्च महत्व देने वाले राणा ने बताया कि साम्प्रदायिक सद्भाव के लिए राजिम में सवा करोड़ शिवलिंग की स्थापना का अभियान शुरू हुआ है । इससे पहले मी पंडित शास्त्री देश के कई राज्यों में ऐसा अभियान कर चुके हैं। उन्होनें कहा कि जाति-पांति के भेदभाव से परे रहकर मानव कल्याण के लिए सवा करोड़ शिवलिंग की स्थापना की जाती है ।
अपनी भावी योजनाओं के बारे में राणा ने बताया कि नाटक के माध्यम से गीता की प्रस्तुति करने की उनकी योजना है । इसमें पंडवानी, छाऊ नृत्य , मणिपुरी मार्शल आर्ट सहित अन्य कलाओं का भी इस्तेमाल करने की योजना बनाई जा रही है । इसके अलावा सुंदरकांड को नाट्यशैली के रूप में मंचन करने पर मी वे विचार कर रहे हैं । इनके जरिए वे मनोरंजन के साथ ही वास्तविक विषयवस्तु को आम आदमी के मनोमस्तिष्क तक ले जाने की कोशिश करेंगे।
भीड़ में रहकर ही अभिनय सीखा राजपाल यादव ने
प्रेस से मिलिए कार्यक्रम में मौजूद अभिनेता राजपाल यादव ने कहा कि उन्होंने भीड़ के बीच रह कर ही अभिनय सीखा। अपने लक्ष्य के बारे में बताते हुए उन्होंने कहा कि दुनिया को ठीक से सम्झने और आसानी से दुनिया को समझाने का प्रयास करना ही उनका लक्ष्य रहा है। एक सवाल के जवाब में उन्होनें कहा कि फिल्म इंदस्ट्री में ब्रेक पाने के लिए संघर्ष को वे संघर्ष नही मानतेअ। इसे संघर्ष की बजाय तैयारी कहना ज्यादा मुनासिब होगा।आवारा बंजारा को आशुतोष राणा अपनी एक्टिंग से ज्यादा हिंदी बोलने के लिए पसंद है। आशुतोष राणा ऐसे अभिनेता है जो बड़े बड़े अवार्ड समारोह में भी मंच पर शुद्ध हिंदी बोलते दिखाई देते हैं। जबकि उनके समकालीन अन्य अभिनेता या तो हिंगलिश ज्यादा बोलते हैं या फिर सिर्फ़ अंग्रेजी।
15 टिप्पणी:
आशुतोष राणा अंदर से एक कलाकार है नाटक के माध्यम से गीता की प्रस्तुति का उनका विचार काफी अच्छा है।
http://nitishraj30.blogspot.com
http://poemofsoul.blogspot.com
अभी कुछ दिन पहले ही उनक टीवी पर सुन रहा था- बेहतरीन हिन्दी और उम्दा स्पष्ट विचार. आपने ये नई जानकारी दी उनके बारे में-आभार.
सही कहा आपने.
राणा अपनी हिन्दी और अभिनय के लिए ही विख्यात है.
उनको शुभकामनाएं.
achhe kalakaaro ke baren me achha likha,badhai
'read first time about Rana jee, liked reading this article,and wish that his thought and desire should take original shape very soon" All the best.
Regards
बस भाई इसीलिये वे मुझे भी बेहद पसंद हैं। एक्टिंग तो खैर है ही।
संजीतजी, हमे भी अभिनेता आशुतोष की शुद्ध हिन्दी बोलना बहुत भाता है. उनका परिचय देने के लिए धन्यवाद...
मेरे भी पंसदीदा कलाकार जो बुद्धजीवी भी लगते हैं और मजें हुए कलाकार भी। उन की भावी योजनाओं के बारे में जानकारी देने के लिए आभार
आशुतोष और मनोज वाजपेयी जैसे अभिनेताओं ने हिंदी की महक को फिल्म सिटी में कायम रखा है। साथ ही वह परंपराओं से भी जुड़े रह पाये हैं आशुतोष बालीवुड के लिए विरल घटना है उन्हें सहेज कर रखा जाना चाहिए।
आशुतोष राणा जो भी काम करते हैं पूरी ईमानदारी से। यदि उन्हें गीता और सुंदरकाण्ड की नाटय प्रस्तुति करने का मौका मिला, तो वह भी एक शानदार प्रस्तुत होगी।
suna hai phir se patrkaar ho gaye I mean city vagerah kavar karne lage ho....
Baaki baat ekdum solah aane kahi hai
नाटक के माध्यम से भग्वद्गीता की प्रस्तुति बड़ा चैलेंजिंग काम होगा।
निश्वय ही अद्भुत भी!
नई जानकारी दी उनके बारे में....आभार
आपको व आपके पूरे परिवार को स्वतंत्रता दिवस की शुभ-कामनाएं...
जय-हिन्द!
आशुतोष राणा की कला के कद्रदान है हम और राजपाल यादव तो पहुँचे हुए कॉमेडियन है...अच्छा लगा उनके बारे में जानकर...
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