देशभर के पत्रकार एकजुट
जनादेश ब्यूरो
नई दिल्ली । दिल्ली में बनाई गई वेब पत्रकार संघर्ष समिति का देश भर के पत्रकार संगठनों ने स्वागत किया है। अखबारों में जनसत्ता, द इंडियन एक्सप्रेस, दैनिक जगरण, दैनिक भास्कर, अमर उजला, नवभारत, नई दुनिया, फाइनेन्शियल एक्सप्रेस, हिन्दुस्तान, दी पायनियर, मेल टूडे, प्रभात खबर, डेली न्यूज ऐक्टिविस्ट व बिजनेस स्टेन्डर्ड जैसे तमाम अखबारों के पत्रकारों ने वेब पत्रकार संघर्ष समिति के गठन का स्वागत किया। हिन्दुस्तान के दिल्ली और लखनऊ के आधा दजर्न से ज्यादा पत्रकारों ने इस मुहिम का स्वागत करते हुए अपना नाम न देने की मजबूरी भी बता दी। आईएफडब्ल्यूजे, इंडियन एक्सप्रेस इम्प्लाईज वर्कर्स यूनियन, जनर्लिस्ट फार डेमोक्रेसी, चंडीगढ़ प्रेस क्लब और रायपुर प्रेस क्लब ने इस पहल का समर्थन किया है और सुशील कुमार सिंह के खिलाफ फर्जी आपराधिक मामले में फंसाने की कड़ी आलोचना की है। इंडियन फेडरेशन ऑफ वर्किग जनर्लिस्ट के राष्ट्रीय अध्यक्ष के विक्रम राव ने कहा-अभी तक प्रिंट मीडिया और इलेक्ट्रानिक मीडिया के मुद्दों को लेकर चर्चा होती रही है। पर पहली बार वेब पत्रकारों ने पहल करते हुए जो संगठन बनाया है, वह आने वाले समय में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। हम इस संगठन के गठन का स्वागत करते हैं।जनादेश ब्यूरो
जनसत्ता के वरिष्ठ पत्रकार और इंडियन एक्सप्रेस इम्प्लाईज वर्कस यूनियन के उपाध्यक्ष अरविन्द उप्रेती ने कहा-हम सुशील कुमार सिंह के साथ हैं। वे हमारे एक्सप्रेस के संघर्ष के दिनों के पुराने साथी हैं। एक्सप्रेस यूनियन की तरफ से मैं उनके खिलाफ होने वाली पुलिसिया कार्रवाई की निंदा करता हूं। इस बीच हिन्दुस्तान में काम कर चुके वरिष्ठ पत्रकार और डेली न्यूज ऐक्टिविस्ट के संपादक प्रभात रंजन दीन ने कहा-सुशील कुमार सिंह के साथ जो हुआ, वह शर्मनाक है। इस मुद्दे पर साथियों की जो भी राय बनेगी, हम वह सब करने को तैयार हैं। जनर्लिस्ट फार डेमोक्रेसी के संयोजक पंकज श्रीवास्तव ने कहा-वेब पत्रकारों की एकजुटता नई पहल है। आने वाला समय वेब पत्रकारिता का है। ऐसे में पत्रकारों के सामने नई चुनौतियां भी आएंगी जिनका मुकाबला इस प्रकार के संगठनों से किया जा सकेगा।
इस बीच रायपुर प्रेस क्लब के अध्यक्ष अनिल पुसदकर ने सुशील सिंह के मामले में पुलिस उत्पीड़न की कार्रवाई की तीखी निंदा करते हुए उनके खिलाफ सारे मामले वापस लेने की मांग की है। इस बारे में रायपुर प्रेस क्लब में बैठक भी बुलाई ज रही है। पुसदकर ने दिल्ली में वेब पत्रकारों का संगठन बनाए जाने का स्वागत करते हुए इसकी छत्तीसगढ़ इकाई शुरू करने का एलान किया। जनादेश वेबसाइट की संपादक सविता वर्मा ने सुशील कुमार सिंह के प्रकरण को दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए वेब पत्रकारों की पहल का स्वागत किया है। इससे आने वाले समय में वेब पत्रकारों को फर्जी मामले में फंसाने की प्रवृत्ति पर अंकुश लगाया ज सकेगा। पश्चिम बंगाल की पत्रकार रीता तिवारी ने दिल्ली में वेब पत्रकारों की संघर्ष समिति बनाए जने का स्वागत करते हुए कहा कि इसकी इकाईयां अन्य राज्यों में भी बनाई जानी चाहिए ताकि राज्यों के वेब पत्रकारों का उत्पीड़न न हो सके।प्रेस क्लब ऑफ़ इंडिया के सदस्य और वरिष्ठ पत्रकार अंबरीश कुमार ने कहा-वेब पत्रकारों के सामने जो भी चुनौतियां भी आएंगी उनका मुकाबला किया जाएगा।
लखनऊ श्रमजीवी पत्रकार संघ के अध्यक्ष सिद्धार्थ कलहंस ने कहा-वेब पत्रकारिता का नया दौर शुरू हुआ है। ऐसे में पत्रकारों की यह पहल महत्वपूर्ण है। चंडीगढ़ प्रेस क्लब के उपाध्यक्ष चरनजीत आहूज ने वेब पत्रकारों की पहल का स्वागत करते हुए इसे हर संभव समर्थन देने का एलान किया है।दूसरी तरफ पीपुल्स यूनियन फॉर ह्यूमन राइट्स के शाहनवाज आलम ने सुशील सिंह के खिलाफ फर्जी मामला दर्ज करने की कड़ी निंदा करते हुए इस मामले को मानवाधिकार आयोग ले जने की बात कही है। पीपुल्स यूनियन फॉर सिविल लिबर्टीज के राष्ट्रीय महासचिव चितरंजन सिंह ने कंधमाल से फोन पर कहा-हम दिल्ली लौटते ही इस मुद्दे पर पहल करेंगे।
इससे पहले एचटी मीडिया में शीर्ष पदों पर बैठे कुछ मठाधीशों के इशारे पर वेब पत्रकार सुशील कुमार सिंह को फर्जी मुकदमें में फंसाने और पुलिस द्वारा परेशान किए जाने के खिलाफ वेब मीडिया से जुड़े लोगों ने दिल्ली में एक आपात बैठक की। इस बैठक में हिंदी के कई वेब संपादक-संचालक, वेब पत्रकार, ब्लाग माडरेटर और सोशल-पोलिटिकिल एक्टीविस्ट मौजूद थे। अध्यक्षता मशहूर पत्रकार और डेटलाइन इंडिया के संपादक आलोक तोमर ने की। संचालन विस्फोट डाट काम के संपादक संजय तिवारी ने किया। बैठक के अंत में सर्वसम्मति से तीन सूत्रीय प्रस्ताव पारित किया गया। पहले प्रस्ताव में एचटी मीडिया के कुछ लोगों और पुलिस की मिलीभगत से वरिष्ठ पत्रकार सुशील को इरादतन परेशान करने के खिलाफ आंदोलन के लिए वेब पत्रकार संघर्ष समिति का गठन किया गया।
इस समिति का संयोजक मशहूर पत्रकार आलोक तोमर को बनाया गया। समिति के सदस्यों में बिच्छू डाट काम के संपादक अवधेश बजाज, प्रभासाक्षी डाट काम के समूह संपादक बालेंदु दाधीच, गुजरात ग्लोबल डाट काम के संपादक योगेश शर्मा, तीसरा स्वाधीनता आंदोलन के राष्ट्रीय संगठक गोपाल राय, विस्फोट डाट काम के संपादक संजय तिवारी, लखनऊ के वरिष्ठ पत्रकार अंबरीश कुमार, मीडिया खबर डाट काम के संपादक पुष्कर पुष्प, भड़ास4मीडिया डाट काम के संपादक यशवंत सिंह शामिल हैं। यह समिति एचटी मीडिया और पुलिस के सांठगांठ से सुशील कुमार सिंह को परेशान किए जाने के खिलाफ संघर्ष करेगी। समिति ने संघर्ष के लिए हर तरह का विकल्प खुला रखा है।
दूसरे प्रस्ताव में कहा गया है कि वेब पत्रकार सुशील कुमार सिंह को परेशान करने के खिलाफ संघर्ष समिति का प्रतिनिधिमंडल अपनी बात ज्ञापन के जरिए एचटी मीडिया समूह चेयरपर्सन शोभना भरतिया तक पहुंचाएगा। शोभना भरतिया के यहां से अगर न्याय नहीं मिलता है तो दूसरे चरण में प्रतिनिधिमंडल गृहमंत्री शिवराज पाटिल और उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री मायावती से मिलकर पूरे प्रकरण से अवगत कराते हुए वरिष्ठ पत्रकार को फंसाने की साजिश का भंडाफोड़ करेगा। तीसरे प्रस्ताव में कहा गया है कि सभी पत्रकार संगठनों से इस मामले में हस्तक्षेप करने के लिए संपर्क किया जाएगा और एचटी मीडिया में शीर्ष पदों पर बैठे कुछ मठाधीशों के खिलाफ सीधी कार्यवाही की जाएगी।
बैठक में प्रभासाक्षी डाट काम के समूह संपादक बालेन्दु दाधीच का मानना था कि मीडिया संस्थानों में डेडलाइन के दबाव में संपादकीय गलतियां होना एक आम बात है। उन्हें प्रतिष्ठा का प्रश्न बनाए जाने की जरूरत नहीं है। बीबीसी, सीएनएन और ब्लूमबर्ग जैसे संस्थानों में भी हाल ही में बड़ी गलतियां हुई हैं। यदि किसी ब्लॉग या वेबसाइट पर उन्हें उजागर किया जाता है तो उसे स्पोर्ट्समैन स्पिरिट के साथ लिया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि यदि संबंधित वेब मीडिया संस्थान के पास अपनी खबर को प्रकाशित करने का पुख्ता आधार है और समाचार के प्रकाशन के पीछे कोई दुराग्रह नहीं है तो इसमें पुलिस के हस्तक्षेप की कोई गुंजाइश नहीं है। उन्होंने संबंधित प्रकाशन संस्थान से इस मामले को तूल न देने और अभिव्यक्ति के अधिकार का सम्मान करने की अपील की।
भड़ास4मीडिया डाट काम के संपादक यशवंत सिंह ने कहा कि अब समय आ गया है जब वेब माध्यमों से जुड़े लोग अपना एक संगठन बनाएं। तभी इस तरह के अलोकतांत्रिक हमलों का मुकाबला किया जा सकता है। यह किसी सुशील कुमार का मामला नहीं बल्कि यह मीडिया की आजादी पर मीडिया मठाधीशों द्वारा हमला करने का मामला है। ये हमले भविष्य में और बढ़ेंगे। एकजुटता और संघर्ष की इसका कारगर इलाज है।
विस्फोट डाट काम के संपादक संजय तिवारी ने कहा- ''पहली बार वेब मीडिया प्रिंट और इलेक्ट्रानिक दोनों मीडिया माध्यमों पर आलोचक की भूमिका में काम कर रहा है। इसके दूरगामी और सार्थक परिणाम निकलेंगे। इस आलोचना को स्वीकार करने की बजाय वेब माध्यमों पर इस तरह से हमला बोलना मीडिया समूहों की कुत्सित मानसिकता को उजागर करता है। उनका यह दावा भी झूठ हो जाता है कि वे अपनी आलोचना सुनने के
लिए तैयार हैं।''
लखनऊ से फोन पर वरिष्ठ पत्रकार अंबरीश कुमार ने कहा कि उत्तर प्रदेश में कई पत्रकार पुलिस के निशाने पर आ चुके हैं। लखीमपुर में पत्रकार समीउद्दीन नीलू के खिलाफ तत्कालीन एसपी ने न सिर्फ फर्जी मामला दर्ज कराया बल्कि वन्य जीव संरक्षण अधिनियम के तहत उसे गिरफ्तार भी करवा दिया। इस मुद्दे को लेकर मानवाधिकार आयोग ने उत्तर प्रदेश पुलिस को आड़े हाथों लिया था। इसके अलावा मुजफ्फरनगर में वरिष्ठ पत्रकार मेहरूद्दीन खान भी साजिश के चलते जेल भेज दिए गए थे। यह मामला जब संसद में उठा तो शासन-प्रशासन की नींद खुली। वेबसाइट के गपशप जैसे कालम को लेकर अब सुशील कुमार सिंह के खिलाफ शिकायत दर्ज कराना दुर्भाग्यपूर्ण है। यह बात अलग है कि पूरे मामले में किसी का भी कहीं जिक्र नहीं किया गया है।
बिच्छू डाट के संपादक अवधेश बजाज ने भोपाल से और गुजरात ग्लोबल डाट काम के संपादक योगेश शर्मा ने अहमदाबाद से फोन पर मीटिंग में लिए गए फैसलों पर सहमति जताई। इन दोनों वरिष्ठ पत्रकारों ने सुशील कुमार सिंह को फंसाने की साजिश की निंदा की और इस साजिश को रचने वालों को बेनकाब करने की मांग की।
बैठक के अंत में मशहूर पत्रकार और डेटलाइन इंडिया के संपादक आलोक तोमर ने अपने अध्यक्षीय संबोधन में कहा कि सुशील कुमार सिंह को परेशान करके वेब माध्यमों से जुड़े पत्रकारों को आतंकित करने की साजिश सफल नहीं होने दी जाएगी। इस लड़ाई को अंत तक लड़ा जाएगा। जो लोग साजिशें कर रहे हैं, उनके चेहरे पर पड़े नकाब को हटाने का काम और तेज किया जाएगा क्योंकि उन्हें ये लगता है कि वे पुलिस और सत्ता के सहारे सच कहने वाले पत्रकारों को धमका लेंगे तो उनकी बड़ी भूल है। हर दौर में सच कहने वाले परेशान किए जाते रहे हैं और आज दुर्भाग्य से सच कहने वालों का गला मीडिया से जुड़े लोग ही दबोच रहे हैं। ये वो लोग हैं जो मीडिया में रहते हुए बजाय पत्रकारीय नैतिकता को मानने के, पत्रकारिता के नाम पर कई तरह के धंधे कर रहे हैं। ऐसे धंधेबाजों को अपनी हकीकत का खुलासा होने का डर सता रहा है। पर उन्हें यह नहीं पता कि वे कलम को रोकने की जितनी भी कोशिशें करेंगे, कलम में स्याही उतनी ही ज्यादा बढ़ती जाएगी। सुशील कुमार प्रकरण के बहाने वेब माध्यमों के पत्रकारों में एकजुटता के लिए आई चेतना को सकारात्मक बताते हुए आलोक तोमर ने इस मुहिम को आगे बढ़ाने पर जोर दिया।
बैठक में हिंदी ब्लागों के कई संचालक और मीडिया में कार्यरत पत्रकार साथी मौजूद थे।
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आवारा बंजारा इस पहल का समर्थन करते हुए सुशील कुमार सिंह के खिलाफ हुए पुलिसिया कार्रवाई की निंदा करता है।
6 टिप्पणी:
संजीत भाई, भले ही हमें पत्रकार न माना जाये लेकिन हमारा नैतिक समर्थन ऊपर तक पहुँचा दीजिये… किसी भी प्रकार की दमनात्मक कार्रवाई का मैं विरोध करता हूँ… इस नवगठित वेब-पत्रकार संघ की सदस्यता लेने के लिये क्या करना होगा? सबसे पहली बात तो यही है कि क्या हम जैसे सक्रिय ब्लॉगरों को भी वेब-पत्रकार माना जायेगा? क्योंकि प्रशासन की निगाह में हमारा तो "पत्रकार" के रूप में कोई रजिस्ट्रेशन तक नहीं है… इस बात पर भी विचार कीजियेगा और इस मुद्दे पर बात आगे बढ़ाने की आवश्यकता है कि "क्या एक ब्लॉगर को वेब-पत्रकार माना जा सकता है?" उसके मापदण्ड क्या होने चाहिये? उसका रजिस्ट्रेशन कहाँ और कैसे किया जायेगा? आदि-आदि-आदि… फ़िलहाल तो आप मेरा पूरा समर्थन सुशील सिंह तक पहुँचा दें… प्रेस की "सच्ची" आजादी की जय !!!
हम तुम्हारे साथ हैं ...............
आपको दीपावली की हार्दिक शुभकमानांयें
दीप मल्लिका दीपावली - आपके परिवारजनों, मित्रों, स्नेहीजनों व शुभ चिंतकों के लिये सुख, समृद्धि, शांति व धन-वैभव दायक हो॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰ इसी कामना के साथ॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰ दीपावली एवं नव वर्ष की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं
Meri taraph se dipavali ki shubkamnayen.
guptasandhya.blogspot.com
आपको और आपके परिवार को दीपावली की हार्दिक शुभकामनायें/
samiuddin neelu ko NHRC se kuchh rahat mili hai. aap NHRC ki website par jakar dekhenge to payenge ki NHRC ne UP Govt ko unhen 5 laakh ka muaawza dene ka nirdesh de diya hai...
Samiuddin Neelu mere bade bhaai hain...
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