राजनीति की बिसात और उसपर प्यादों की चाल
रायपुर की चारों विधानसभा में सबसे कठिन मानी जा रही दक्षिण विधानसभा सीट पर कांग्रेस के सभी वरिष्ठ नेता अपनी-अपनी चौसर बिछाकर प्यादों के नाम आगे पीछे करने में लगे हुए हैं पर बृजमोहन अग्रवाल पिछले चार चुनावों से अजेय बने हुए हैं। कहीं न कहीं कांग्रेस के वरिष्ठ नेता उनके खिलाफ एक ऐसा प्रत्याशी ढूंढने में लगे हुए हैं जो भले ही उन्हें पराजित न कर पाए लेकिन ऐसी टक्कर देकर यह महसूस करवा दे कि उनके अभेद्य दुर्ग में सेंध लग चुकी है और उनकी 'बादशाहत' अब सुरक्षित नहीं रही।
इसी तारतम्य में कांग्रेस के बूढ़े शेर कहलाने वाले एक वरिष्ठ नेता ने दक्षिण विधानसभा सीट से एक वरिष्ठ पत्रकार अनल प्रकाश शुक्ला का नाम आगे बढ़ाया है जिसके नाम का विरोध अन्य कोई वरिष्ठ नेता नहीं कर सकता। क्योंकि इस वरिष्ठ पत्रकार ने अपने 30 साल के साफ सुथरे बेदाग कैरियर में एकाध को छोड़कर बाकी सभी नेताओं को नेता बनते देखा है।
बहरहाल, कांग्रेसी ही कहते हैं, कांग्रेस की टिकट का कोई भरोसा नही होता। जिसकी किस्मत में होती है घर बैठे मिल जाती है, जिसकी किस्मत में नही होती उसे जमीन-आसमान एक करने पर भी नही मिलती।
चलिए देखते हैं क्या होता है, मुहावरे में कहें तो अभी दिल्ली दूर है।
वैसे आवारा बंजारा को अनल प्रकाश जी के मार्गदर्शन में कार्य करने का मौका 2004 में मिल चुका है जब वे रायपुर 'नवभारत' के संपादक थे।
खबर की तस्वीर http://ispattimes.com से साभार
आवारा बंजारा इन दिनों http://ispattimes.com की ही नौकरी बजा रहा है।
4 टिप्पणी:
सेना का पति तो कोई भी हो सकता है,बात तो तब है जब दुश्मन का किला भेद दिया जाय।फ़िल्हाल तो ब्रजमोहन के किले मे छेद होते नही दिख रहा है।
चलिये अनिल जी ने भविष्यवाणी कर ही दी है सेनापति रहेंगे। आगे देखा जाये।
मैं इन सेनापति के संपादकीय श्रेष्ठता का कायल रहा हूं किन्तु मेरा मानना है कि इन्हें राजनीति में नहीं आना चाहिए यदि आते भी हैं तो चुनाव नहीं लडना चाहिए, और भी राहें हैं जन सेवा के ।
बिरादरी के शेर को सवा शेर मानो और अनुयायी बनो।
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