श्री सनत चतुर्वेदी, वरिष्ठ पत्रकार |
पर्यावरण संरक्षण को लेकर हर जागरुक नागरिक चिंतित नजर आता है। अपने-अपने स्तर पर प्रयास करता भी देखा जा सकता है। आमतौर पर ऐसे मामलों में पत्रकार अपने अखबार या कहीं और लेख या खबरें लिखकर अपने कर्तव्य की इतिश्री कर लेते हैं। पर ऐसा बहुत ही कम होता है कि कोई पत्रकार इस मुद्दे पर शासन प्रमुख या राज्य के मुख्यमंत्री को व्यक्तिगत रुप से पत्र लिखकर
सुझाव दे। उपर से अंतर्मुखी स्वभाव भी ऐसा कि मुख्यमंत्री को लिखे गए उस पत्र को सार्वजनिक न करे मतलब कि उस पत्र को या उसके बारे में समाचार न बनाए। आज के समय में ऐसे पत्रकार बिरले ही मिलेंगे।
छत्तीसगढ़ के वरिष्ठ पत्रकार श्री सनत चतुर्वेदी एक गंभीर पत्रकार हैं। इन दिनों जनसत्ता के रायपुर संस्करण में समाचार संपादक हैं। उन्होंने पर्यावरण संरक्षण के मुद्दे पर अखबारों में काफी कुछ लिखा है और काफी कुछ अपने संपादन में छापा भी है। इस मुद्दे पर उनकी गंभीरता इसी बात से जाहिर होती है कि उन्होंने हाल ही में मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह को एक पत्र लिखकर आग्रह करते हुए सुझाव भी दिया है। उन्होंने लिखा है कि पर्यावरण संरक्षण के मुद्दे पर जागरुकता के लिए "नदी महोत्सव" मनाने और नदियों के किनारे हरियाली के लिए वृक्षारोपण करने का कार्यक्रम प्रदेश के सभी नदी क्षेत्रों में शुरु किया जाना जनहितकारी होगा। इससे आने वाली पीढ़ी जागरुक और सजग होगी। पर्यावरण सुधरने लगेगा। नई पीढ़ी पेड़-पानी-पर्यावरण के महत्व से परिचित होगी। श्री चतुर्वेदी ने अपने इस पत्र को सार्वजनिक न करते हुए सीधे मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह को भेजा है।
बताया जाता है कि श्री चतुर्वेदी के सुझावों को मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह ने गंभीरतापूर्वक लिया है। इसी का नतीजा है कि उन्होंने फोन पर श्री चतुर्वेदी से चर्चा कर उन्हें कहा भी है कि वे इस दिशा में जल्दी ही काम करने जा रहे हैं।
अब बात होती है कि हर साल वृक्षारोपण या अन्य तरीकों से पर्यावरण संरक्षण के नाम पर लाखों-करोड़ों का भ्रष्टाचार करने वाला अमला श्री चतुर्वेदी की सलाह पर मुख्यमंत्री द्वारा शुरु किए जाने वाले इस नए अभियान को कितनी गंभीरता से लेगा।
देखना यह भी है कि मेग्सेसे पुरस्कार से सम्मानित राजेन्द्र सिंह की मौजूदगी में "गांव का पानी गांव में और खेत का पानी खेत में रोकना जरूरी" कहने वाले मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह क्या श्री चतुर्वेदी के इस आग्रह/सुझाव को इतनी गंभीरता से लेंगे कि इसमें भ्रष्टाचार न हो और वाकई जमीनी स्तर पर काम हो?
उम्मीद की जाए कि श्री चतुर्वेदी की भावना यथार्थ में फलीभूत हो।
ऐसा ही हो/आमीन
14 टिप्पणी:
ऊमीद तो कर ही सकते है...
राज्य बनने के बाद या पहले भी कभी मुख्यमंत्री जी को प्रत्यक्ष रूप से न देखा और न हीं सुना है| यद्यपि मेरा घर उनके घर से बामुश्किल कुछ ही किलोमीटर की दूरी पर है| पर्यावरण के नाम पर उनसे यही अनुरोध है कि भले ही नए वृक्ष न लगाएं पर कम से कम पुराने वृक्षों को न काटें| पिछले कुछ सालों में जो पिता तुल्य वृक्षों का खुलेआम संहार किया जा रहा है, उससे सभी आहत हैं| उसकी भरपाई करने हमें कई जन्म लेने होंगे|
आमीन !
agree
भले ही नए वृक्ष न लगाएं पर कम से कम पुराने वृक्षों को न काटें|
पंकज अवधिया जी सहमत…
संजीत भाई… आपका प्रयास भी सराहनीय है और हम शुभ की उम्मीद लगाये हैं…
श्री सनत जी सरोकारों की पत्रकारिता के लिए जाने जाते हैं. खासकर पर्यावरण को लेकर अपनी चिंता वो लगातार व्यक्त करते आ आ रहे हैं. इस टिप्पणीकार से भी उन्होंने व्यक्तिगत बातचीत में कई बार इस सम्बन्ध में जिक्र किया है. इस बार पत्रकारिता से भी ऊपर उठकर उन्होंने सीधे मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर अपने नैसर्गिक सरोकारों का ही परिचय दिया है. वास्तव में शोहरत की आकांक्षा से विरत रहने वाले सनत जी का यह कदम सदा की तरह प्रसंसनीय है. अगर शासन ने इस सम्बन्ध में कदम उठाया है तो यह प्रयास और भी सार्थक कहा जाएगा. शुभकामना एवं बधाई.
पंकज झा.
हमारी भी यही कामना है कि आशायें फलीभूत हों।
अच्छी है पहल भाई
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डॉ.चन्द्रकुमार जैन
आशा है मुख्यमंत्री महोदय इसे मूर्त रूप देंगें.
सनत जी के प्रयाशो को नमन.
सनत जी का प्रयास निसंदेह काबिलेतारीफ़ और अनुकरणीय है ,उम्मीद की जानी चाहिए कि प्रशासन इसे गंभीरतापूर्वक लेगा ....
सार्थक सोच और पत्रकारिता का उदाहरण ,काश सभी पत्रकार ऐसा ही करते तो इस देश और समाज में सार्थक बदलाव लाया जा सकता है |
उल्लेखनीय पहल के लिए भाई सनद जी को धन्यवाद.आप तो धन्यवाद के पात्र हैं ही.ग्राम चौपाल आप दोनो का आभारी है.
उल्लेखनीय पहल के लिए भाई सनद जी को धन्यवाद.आप तो धन्यवाद के पात्र हैं ही.ग्राम चौपाल आप दोनो का आभारी है.
... saarthak sujhaav ... saarthak post ... shubhakaamanaayen !!!
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