पिछले कुछ दिनों से व्यस्तता कुछ ज्यादा ही बढ़ी रही। नाह, महज काम में नहीं। दरअसल बचपन के मित्र बापी की शादी थी। आवारा बंजारा के पाठक बापी से परिचित हैं ही। बापीयॉटिक तो नहीं पर बापी के बहाने सीरिज की पोस्ट के माध्यम से।
बीते शनिवार को उसकी शादी हुई। सो बारात में जाना फिर दूसरे दिन नौकरी बजाकर फिर सोमवार को उसके गांव रिसेप्शन में जाना। इस बीच काम के लय को भी बनाए रखना। यही सब चलता रहा। बापी सीरिज की पोस्टों की समाप्ति उसकी शादी वाली पोस्ट से करनी बाकी है।
इसी दौरान रविवार को एक सूचना मिली। आश्चर्य भरी सूचना कि हिंदी ब्लॉगिंग के लिए चौथा सृजनगाथा सम्मान आवारा बंजारा को दिया जा रहा है। आश्चर्य इसलिए हुआ कि अपन को आलोचनाएं झेलने की आदत तो रही है सम्मान की नहीं।
मंगलवार को रायपुर प्रेस क्लब में वरिष्ठों के बीच वरिष्ठों के हाथों सम्मान प्राप्त हुआ। यह सम्मान आवारा बंजारा से ज्यादा आवारा बंजारा के पाठकों का है।
आभार वेबपत्रिका सृजनगाथा का, आभार जयप्रकाश मानस जी समेत समूचे सृजनगाथा परिवार का जिन्होंने इस अकिंचन को इस सम्मान के योग्य समझा।
09 July 2010
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15 टिप्पणी:
चौथा सृजनगाथा सम्मान आपके ब्लॉग को दिए जाने पर मेरी ओर से कोटिशः हार्दिक शुभकामनाएँ...आप व आपका यह ब्लॉग दिनानुदिन प्रगति शिखर को छूए...इसी शुभाशंसा के साथ...
बहुत-बहुत बधाई........
सार्थक लेखन।
आप इस योग्य हैं , हार्दिक शुभकामनायें !
अजी हमारी तरफ़ से आप को हार्दिक शुभकामनाएँ ओर बहुत बहुत बधाई
badhai sweekar karen bhai saheb.. aise hee saare awards maarte jayen..
समय निकाल कर ब्लॉग में अपनी सक्रियता बढ़ावें.
सम्मान के लिए पुन: स्नेह सहित हार्दिक शुभकामनायें !
आपको ढेर बधाईयाँ। योग्यता जब दिखती नहीं, तभी आती है।
मैं ध्यान लगा कर क्यों बैठूँ, मन तो मेरा आवारा हैं,
बचपन से भाता है मुझको बंजारे सा जीवन जीना ।
मैं ध्यान लगा कर क्यों बैठूँ, मन तो मेरा है आवारा,
बचपन से भाता है मुझको बंजारे सा जीवन जीना ।
badhai ho chacha!!! Aur baapi chacha ko bhi badhai de dena!
बधाई हो बापी को शादी की और आपको सम्मान की ।
इस सम्मान हेतु आर्दिक बधाईयाँ।
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पॉल बाबा का रहस्य।
आपकी प्रोफाइल कमेंट खा रही है?.
आपको ढेर सारी बधाईंया!
sanjeet bhai..tokna bharkar badhai....
iss samman ke liye aapko badhai.....aur aapke mitr ko bhi shadi ki dheron badhaiyan.
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