नागपुर मुख्यालय वाले दैनिक हिन्दी अखबार नवभारत के रायपुर संस्करण की एक खबर आप भी देखें। आज इस खबर में भारतीय राजस्व सेवा की वरिष्ठ अधिकारी व नागपुर स्थित प्रत्यक्ष कर अकादमी की महानिदेशक सरोज बाला की नई पुस्तक "श्री राम तथा श्री कृष्ण के युगों की प्रामाणिकता" के दावों की चर्चा की गई है साथ ही लेखिका से बातचीत का ब्यौरा भी दिया गया है।
नागपुर - करोड़ों लोगों के आस्था क्रेंद्र प्रभु श्रीराम के अस्तित्व को केन्द्र की कांग्रेस सरकार नकारने पर तुली हुई है, उसकी आंख खोलने के लिए यह सबूत काफ़ी है कि भगवान राम की जन्म तिथि तक की पुष्टि नासा के प्लेनेटेरियम सॉफ़्टवेयर ने कर दी है। भारतीय राजस्व सेवा की वरिष्ठ अधिकारी व नागपुर स्थित प्रत्यक्ष कर अकादमी की महानिदेशक सरोज बाला की नई पुस्तक "श्री राम तथा श्री कृष्ण के युगों की प्रामाणिकता" में यह खुलासा हुआ है। "नवभारत" को सुश्री सरोज बाला ने जो स्वयं एक विदुषी है,अपनी पुस्तक की प्रति उपलब्ध कराई है। कई दशकों से इस विषय पर अनुसंधान कर रही बाला ने चर्चा के दौरान कहा कि धार्मिक आधार की बजाय उन्होंने इसकी पुष्टि के लिए वैज्ञानिक आधार का चयन किया,जिससे यह बताया जा सके कि राम और कृष्ण के युग मे जो कुछ भी हमारे पौराणिक ग्रंथों मे उल्लेखित है,वह सब कुछ सही है। सरोज बाला ने दावा किया कि विश्वकर्मा के बलवान पुत्र कांतिमान कपिश्रेष्ठ नल ने समुद्र में 100 योजन लंबा पुल तैयार किया था। यह पुल श्रीराम द्वारा तीन दिन की खोजबीन के बाद चुने हुए समुद्र के उस भाग पर बनवाया गया जहां पानी कम गहरा था तथा जलमग्न भूमार्ग पहले से ही उपलब्ध था। बाला ने कहा कि यह विवाद ही व्यर्थ है कि रामसेतु मानव निर्मित है या नही, क्योकि यह पुल जलमग्न द्वीपों, पर्वतों तथा बरेतियों को जोड़कर प्राकृतिक मार्ग के उपर से बनवाया गया था। बाला की पुस्तक में दावा है कि वास्तव में समुद्र के बीचोंबीच भारत और श्रीलंका को जोड़ने वाला यह भूमार्ग श्रीराम के युग(7000 वर्ष पूर्व) से पहले भी विद्यमान था और ईसापूर्व 11000 ईसवी से इस भूमार्ग के अस्तित्व के प्रमाण हैं। कई दस्तावेज़ों को अनुसार 400 वर्ष पूर्व तक इस रामसेतु का भारत और श्रीलंका के बीच आवागमन के लिए प्रयोग किया जाता था। कई भूगोलिक, भूतात्विक तथा ऐतिहासिक प्रमाणों के आधार पर यह कहा जा सकता है कि इस पुल के आसपास कई सभ्य बस्तियां बसी थी। उदाहरणत: चोल राजाओं की राजधानी "पूम्पूहार" भी अब जलमग्न हो चुकी है। 1803 में मद्रास प्रेसिडेंसी के अंग्रेजी सरकार द्वारा जारी गैजेट में लिखा गया है कि 15वीं शताब्दी के मध्य तक रामसेतु का प्रयोग तमिलनाडू से लंका जाने के लिए किया जाता था,परंतु बाद में एक भयंकर तूफ़ान में इस पुल का एक बड़ा भाग समुद्र में डूब गया। श्रीराम की कहानी पहली बार महर्षि वाल्मिकी ने लिखी थी। वाल्मिकी रामायण श्रीराम के सिंहासनारूढ़ होने के बाद लिखी गई। महर्षि वाल्मिकी एक महान खगोलविद थे। उन्होंने राम के जीवन में घटित घटनाओं से संबंधित तत्कालीन ग्रह नक्षत्र और राशियों की स्थितियों का वर्णन किया। बाला ने कहा कि यह कहने की आवश्यक्ता नही कि ग्रहों-नक्षत्रों को स्थिति की पुनरावृत्ति हजारो वर्षों बाद भी नही होती। उन्होनें कहा कि रामायण में उल्लेखित तिथियों की पुष्टि प्लैनेटेरियम सॉफ़्टवेयर के माध्यम से की जा सकती है। भारती राजस्व सेवा में कार्यरत पुष्कर भटनागर ने अमेरिका के प्लैनेटेरियम गोल्ड ( फ़ॉगवेयर पब्लिशिंग का) नामक सॉफ़्टवेयर प्राप्त किया,जिससे सूर्य-चंद्रमा के ग्रहण की तिथियां तथा अन्य ग्रहों की स्थितियां जानी जा सकती हैं। इसके द्वारा भटनागर ने वाल्मिकी रामायण मे वर्णित खगोलीय स्थितियों के आधार पर आधुनिक अंग्रेजी कैलेंडर की तारीखें निकाली है। इस प्रकार भटनागर ने श्रीराम के जन्म से लेकर वापस अयोध्या आने तक की घटनाओं का पता लगाया। भटनागर की पुस्तक "डेटिंग दि एरा ऑफ़ लार्ड राम" में वर्णित महत्वपूर्ण उदाहरण बाला ने अपनी पुस्तक में दिए हैं। उसके अनुसार ही श्रीराम का जन्म 10जनवरी 5114ई पू को हुआ था। श्रीराम विश्वामित्र की यज्ञ रक्षा के लिए 5101 ईसा पूर्व में गए थे। उस समय श्रीराम 13वर्ष के थे और यही ताड़का वध का भी वर्ष है। श्रीराम का राज्याभिषेक उनके 25वें जन्मदिवस 5089 ई पू पर नियत किया गया था। जब राम 25 वर्ष के थे तब ही वे 14वर्ष (5114-5089ई पू) के लिए वनवास गए थे। अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा के सॉफ़्टवेयर के मुताबिक राम ने रावण का वध 5076 ई पू में किया था। राम ने अपना वनवास 2 जनवरी 5075 ई पू को पूर्ण किया और यह दिन चैत्र महीने के शुक्ल पक्ष में नवमीं ही था। इस प्रकार जब श्री राम अयोध्या लौटे तो वे 39 वर्ष के थे।
श्रीराम जन्म के ग्रह योग का नक्शा
1- सूर्य मेष राशि में
2- शनि तुला में
3- बृहस्पति कर्क में
4- शुक्र मीन में
5- मंगल मकर में
6- चैत्र माह,शुक्ल पक्ष
7- चंद्रमा पुनर्वसु के निकट
8- कर्क राशि
9- नवमीं को दोपहर
10- समय करीब 12बजे
जब उपर्युक्त खगोलीय स्थिति को कंप्यूटर मे एंटर किया गया तो प्लैनेटेरियम सॉफ़्टवेयर के माध्यम से यह पता चला कि प्रभु राम की डेट ऑफ़ बर्थ(जन्मतिथि) 10जनवरी 5114 ई पू है।
यह खबर हिन्दी दैनिक नवभारत के रायपुर संस्करण से साभार.
18 September 2007
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21 टिप्पणी:
Thanks for this Information
बहुत ही रोचक जानकारी दी है संजीत जी.. आपने अच्छा लगा पढ़ के ..
साधुवाद आपको इस खबर को पहुचाने के लिये.
chaliye aab to Raam bhi peda ho hi gayenhain
आप बार बार पैदा करते हो.. कलियुगी रावण उन्हें मार देते हैं.
संजीत भाई.. रोचक लेख है.. एक एक पंक्ति पढ़कर दिए हुए तथ्यों की प्रामाणिकता को लेकर उत्सुक हुआ जा रहा हूं. आभार.
इंटरेस्टिंग
its our bad luck tht in India we have to prove existance of our lord. and any thing can happen where so called pseudo secular will remain in power.
जय सियाराम.
तो इंजिरनियरिंग कालेज से डिग्रीवाले करूणानिधि के सवाल पर भी एकाध खोज-बीन हो जाए.
सचमुच बहुत ही काम की जानकारी है। पहली बार मैं राम की जन्मतिथि के बारे में जान रहा हूं। इस पर तर्क तो आएंगे लेकिन, ऐतिहासिक वैज्ञानिक प्रमाण के साथ आई ये जन्मतिथि श्रीराम सेतु के पक्ष में खड़े लोगों की आवाज और बुलंद करेगी।
मित्र, चाहे यह तिथि हो या न हो, राम तो हमारी आस्था के कण-कण में हैं.
बहुत ही रोचक जानकारी दी है आपने।॥
रोचक और रोमांचक भी.
सुन के अच्छा लगा, कि राम जी मैं बहुत लोगों की आस्था है। संजीत जी जानकारी के लिये धन्यवाद।
धन्यवाद, संजीत जी
राम, तुम मानव हो ईश्वर नही हो क्या
विश्व में रमे हुए नहीं सभी कहीं हो क्या
तब मैं निरीश्वर हूं ईश्वर क्षमा करें
तुम न रमो तो मन तुममे रमा करे ।
मैथिली शरण गुप्त जी नें साकेत में राम के प्रति तो उदगार व्यक्त किए हैं उसे ही मैं आपको टिप्पणी के तौर पर प्रेषित कर रहा हूं, इस पर आधिकारिक टिप्पणी कभी बाद में । वाल्मीकि नें भी अपने महाकाव्य में कौशल्या जनयद् रामम .... कहते हुए राम के मनुष्य रूप में जन्म लेना सिद्ध किया है, यह एक ऐतिहासिक कडी है जैसे ईशा का जन्म ।
धन्यवाद, क्षमा देर से टिप्पणी देने के लिए, वैसे भी सारे विद्वान टिप्पणीकार जब लिख लेते हैं तब अपने मन की बात लिखने में मजा आता है, नहीं तो लोग कहते हैं - मैं भी फलां से सहमत हूं । हा हा हा ।
बहुत अच्छी जानकारी सञ्जीत भाई। अब भी कोई न माने तो उसकी मर्जी।
बहुत ही रोचक सामग्री लाये हैं. :) जय श्री राम!
A very good post. I have also written some articles on this topic.
लेख बहुत ही उपयोगी जानकारी से भरपूर है. आभार
-- शास्त्री जे सी फिलिप
प्रोत्साहन की जरूरत हरेक् को होती है. ऐसा कोई आभूषण
नहीं है जिसे चमकाने पर शोभा न बढे. चिट्ठाकार भी
ऐसे ही है. आपका एक वाक्य, एक टिप्पणी, एक छोटा
सा प्रोत्साहन, उसके चिट्ठाजीवन की एक बहुत बडी कडी
बन सकती है.
आप ने आज कम से कम दस हिन्दी चिट्ठाकरों को
प्रोत्साहित किया क्या ? यदि नहीं तो क्यो नहीं ??
बचपन से राम कथायें व रामलीलायें देखते व सुनते हुये बडे हुये है । एक तरह से ये चरित्र हमारे संस्कारों में रचा-बसा है । आस्तिक हो या नास्तिक किसी न किसी रुप से एक जुडाव है । किसी भी तरह का विवाद या उनके अस्तित्व पर लगाये जाने वाले प्रश्न चिन्ह विचलित करते हैं। संजीत तुम बधाई के पात्र हो जो सारी जानकारी विस्तारित रुप से दी । ये आलेख मेरी मम्मी (सासू जी) को बहुत पसन्द आया है ।
so this means Shri Ram and Hrithik Roshan share their b'days ;)
Intersting!!!
p.s. where can i find the s/w u mentioned?
जहाँ तक मैं समझता हूँ की भगवान् राम के अस्तित्व के लिए सबूत देना या खोजना इस देश के लिए सबसे बड़ा दुर्भाग्य है..................इसके आगे मैं कुछ भी नहीं लिख सकता क्युकी बहूत ज्यादा भावुक होने के बाद मैं कुछ भी नहीं सोच सकता..........
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