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25 June 2009

छत्तीसगढ़ में खत्म हुई दो बच्चों वाली बाधा

एक ओर जहां अब यह मांग होने लगी है कि संसद से लेकर विधानसभा तक भी दो से ज्यादा बच्चों वालों के चुनाव लड़ने पर रोक लगाई जाए वहीं छत्तीसगढ़ सरकार नगरीय निकाय चुनाव लड़ने के लिए दो बच्चों से ज्यादा न होने की अनिवार्यता के अधिनियम को वापस लेगी। आज देर शाम हुई केबिनेट की बैठक में लिए गए निर्णयों की जानकारी देते हुए कृषिमंत्री चंद्रशेखर साहू ने बताया कि केबिनेट ने एक अहम फैसला लेते हुए नगरीय निकाय अधिनियम में नगरीय चुनाव अर्थात नगर निगम, नगर पालिका व नगर पंचायत चुनाव में चुनाव लड़ने के लिए दो से ज्यादा बच्चे न होने के अनिवार्य प्रावधान को वापस लिया जाएगा। इससे अब दो से ज्यादा बच्चे वाले भी इन चुनावों में हिस्सेदारी कर सकेंगे। ग्राम पंचायतों के लिए यह प्रावधान पहले ही हटाया जा चुका है।






निश्चित ही इस तरह के कानून/अधिनियमों में सुधार की आशा रखने वालों को इससे निराशा हाथ लगेगी। बात अब यह होती है कि राजनीति में सुधार की आशा उनसे ही कैसे की जाए जो अक्सर अपने या अपनों के लिए ही ऐसी बातों का समर्थन करते हैं। कानून बनाने वाले वही होते हैं जिनके खिलाफ हम कानून बनाना चाहते हैं। बताइए भला ऐसे में कैसे हो सुधार……

7 टिप्पणी:

Abhishek Ojha said...

अब डेमोक्रेसी में बहुमत ही तो चलेगा ना :(

Anil Pusadkar said...

चलिये बाल-बच्चों की बाधा ने ही सही आपके लेखन मे आ रही बाधा तो हटाई।

दिनेशराय द्विवेदी said...

बेशर्मी की हद होती है।

शरद कोकास said...

यहाँ थूक कर चाटने वाली कहावत तो नहीं लागू होती ?

सिद्धार्थ शंकर त्रिपाठी said...

जो काम नेता जी लोगों के हाथ में डाल देंगे वह भी तभी होगा जब उनके स्वार्थ की पूर्ति की गुन्जाइश रहेगी। सारे सिद्धान्त एक तरफ़ और निजी स्वार्थ दूसरी तरफ़। यह मानवमात्र की फितरत हो गयी है।

प्रवीण शुक्ल (प्रार्थी) said...

ye koi nayi baat nahi hai tripathi ji netayo ki fitrat hi hai kah kar mukar jana iso ko to neta giri kahte hai

Gyan Dutt Pandey said...

हम प्रसन्न हुये।
--- लालू परसाद।

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