एक ओर जहां अब यह मांग होने लगी है कि संसद से लेकर विधानसभा तक भी दो से ज्यादा बच्चों वालों के चुनाव लड़ने पर रोक लगाई जाए वहीं छत्तीसगढ़ सरकार नगरीय निकाय चुनाव लड़ने के लिए दो बच्चों से ज्यादा न होने की अनिवार्यता के अधिनियम को वापस लेगी। आज देर शाम हुई केबिनेट की बैठक में लिए गए निर्णयों की जानकारी देते हुए कृषिमंत्री चंद्रशेखर साहू ने बताया कि केबिनेट ने एक अहम फैसला लेते हुए नगरीय निकाय अधिनियम में नगरीय चुनाव अर्थात नगर निगम, नगर पालिका व नगर पंचायत चुनाव में चुनाव लड़ने के लिए दो से ज्यादा बच्चे न होने के अनिवार्य प्रावधान को वापस लिया जाएगा। इससे अब दो से ज्यादा बच्चे वाले भी इन चुनावों में हिस्सेदारी कर सकेंगे। ग्राम पंचायतों के लिए यह प्रावधान पहले ही हटाया जा चुका है।
निश्चित ही इस तरह के कानून/अधिनियमों में सुधार की आशा रखने वालों को इससे निराशा हाथ लगेगी। बात अब यह होती है कि राजनीति में सुधार की आशा उनसे ही कैसे की जाए जो अक्सर अपने या अपनों के लिए ही ऐसी बातों का समर्थन करते हैं। कानून बनाने वाले वही होते हैं जिनके खिलाफ हम कानून बनाना चाहते हैं। बताइए भला ऐसे में कैसे हो सुधार……
25 June 2009
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7 टिप्पणी:
अब डेमोक्रेसी में बहुमत ही तो चलेगा ना :(
चलिये बाल-बच्चों की बाधा ने ही सही आपके लेखन मे आ रही बाधा तो हटाई।
बेशर्मी की हद होती है।
यहाँ थूक कर चाटने वाली कहावत तो नहीं लागू होती ?
जो काम नेता जी लोगों के हाथ में डाल देंगे वह भी तभी होगा जब उनके स्वार्थ की पूर्ति की गुन्जाइश रहेगी। सारे सिद्धान्त एक तरफ़ और निजी स्वार्थ दूसरी तरफ़। यह मानवमात्र की फितरत हो गयी है।
ye koi nayi baat nahi hai tripathi ji netayo ki fitrat hi hai kah kar mukar jana iso ko to neta giri kahte hai
हम प्रसन्न हुये।
--- लालू परसाद।
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