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18 March 2007

अपना चिट्ठा अब वर्डप्रेस की बजाय ब्लॉगर में



ई-पंडित श्रीश मास्साब के नक्शे-कदम पर चलते हुए अपन ने तय किया कि अपना चिट्ठा वर्डप्रेस से ब्लॉगर में ले आएं।


धन्यवाद श्रीष मास्साब का जिनके पुरालेखों को पढ़-पढ़ कर मैनें बहुत कुछ सीखा, और सीखने की प्रक्रिया अभी जारी ही है।

यह पोस्ट सब को सूचना देने के लिए व आदि पत्रकार नारद मुनि का आशीर्वाद लेना ज्यादा जरुरी है।



6 टिप्पणी:

Dr Prabhat Tandon said...

लो आ गये हम , चलो लड्डू दिखाओ तो आगे कमेन्ट करें।

Sanjeet Tripathi said...

जहे-नसीब।
आपके मेल-बाक्स में लड्डू पहुंच गए होंगे डाक्टर साहब

ePandit said...

बधाई हो संजीत बाबू नए घर की, इधर के मकान मालिक बोत अच्छे हैं कुछ भी करो टोका टाकी नहीं करते, अब देखिए न ऊपर साइडबार में जो घड़ी आपने लगाई है उसे पहले वाला मकान मालिक न लगाने देता।

मेरे बाद ऐसा करने वाले आप दूसरे चिट्ठाकार हैं, भईया गुरुदक्षिणा के रुप में लड्डू हमारे मेलबॉक्स में भी भेजिए न। :)

ePandit said...

और हाँ 'वर्डप्रैस.कॉम' को 'वर्डप्रैस' मत लिखा करो यार, कन्फ्यूजन होता है, अभी नारद पर पोस्ट देखकर में सोचने लगा कि वर्डप्रैस से ब्लॉगर पर कोई काहे आने लगा।

पोस्ट को एडिट कर टाइटल में 'वर्डप्रैस' की जगह 'वर्डप्रैस.कॉम' करिए।

अगर इन दोनों में अभी भी कन्फ्यूजन है तो मेरी यह पोस्ट पढ़िए:
वर्डप्रैस एवं वर्डप्रैस.कॉम में अंतर तथा तुलनात्मक समीक्षा

Udan Tashtari said...

आओ भाई, स्वागत है हमारी नगरी में.

Anonymous said...

श्रीष मास्साब का जिनके पुरालेखों को पढ़-पढ़ कर मैनें बहुत कुछ सीखा, और सीखने की प्रक्रिया अभी जारी ही है।
संजीत बधाई हो लेकिन ये लाल लाल चिडियां जैसी क्या हैं ऊपर जो पेस्ट किया है वो चिडियां जैसी नजर आ रही है, वो तो कमेंट बॉक्स में पेस्ट करके पता चला क्या लिखा है

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