एक संगठित अपराध बिना किसी संरक्षण के अपना जाल नहीं बिछा सकता, या यूं कहें कि पनप नहीं सकता। छत्तीसगढ़ में पिछले दो दशकों में तेजी से पैर जमाने वाले नक्सल समस्या के पीछे भी संरक्षण ही रहा( नक्सल्वाद के उभार के जो भी कारण रहे हों, मेरी नजर में यह अब एक संगठित अपराध ही है)। कांग्रेस-भाजपा शुरु से एक दूसरे पर नक्सलवाद को संरक्षण देने का आरोप लगाती आ रही हैं। अब सब कुछ सामने आ रहा है, यह भी कि दोनों के एक दूसरे पर लगाए जा रहे आरोप सच ही थे। इस बात की पहले महज चर्चाएं होती थी।
नक्सलियों के शहरी नेटवर्क मामले में एक भाजपा सांसद की गाड़ी से किसी की गिरफ्तारी, वह भी उस वक्त जब वह बंदा एयरपोर्ट जा रहा हो। इसका मतलब साफ है कि वह यहां से भागने की तैयारी में था। इसके बाद उस व्यक्ति और उसके भतीजे दोनों के ही संबंध नक्सलियों से होने की बात सामने आने और फिर बस्तर के स्थानीय नेताओं से उनके संपर्क होने जिनमें से एक राज्य का मंत्री है, की बात भी सामने आई। यहां तक तो छत्तीसगढ़ कांग्रेस की बांछे खिली हुई थी कि उसके आरोपों में अब जाकर सच्चाई निकल रही है, बयान पर बयान जारी कर भाजपा मंत्री-सांसद को बचाए जाने का आरोप राज्य सरकार पर पार्टी लगाए जा रही थी।
इसके बाद अगली कड़ी में जब अंतागढ़ कांग्रेस कमेटी के पूर्व उपाध्यक्ष की गिरफ्तारी नक्सल शहरी नेटवर्क के आरोप में हुई और यह भी जानकारी सामने आई कि वह नक्सलियों के कहने पर रावघाट परियोजना के खिलाफ आंदोलन खड़ा करता था। यह भी बात सामने आई कि यही बंदा नंदिनी सुंदर जैसे 'समाजसेवियों' की मीटिंग्स नक्सलियों से करवाता था( जैसा कि आज एक अखबार में छपा है)। बस यहीं पर आकर प्रदेश कांग्रेस के मुंह पर मानो ताले लग गए। अब क्या बोलें, दाग तो उनके दामन पर भी लगा। छोटा-मोटा नहीं बड़ा सा, क्योंकि जो पूर्व उपाध्यक्ष नक्सल शहरी नेटवर्क के आरोप में गिरफ्तार हुआ वह तो विधानसभा चुनाव में कांग्रेस टिकट की दावेदारी भी कर रहा था।
तो अब कांग्रेस क्या बोले, बोले तो यही बोले कि "भाजपा के सांसद, विधायक और वरिष्ठ नेताओं से माओवादियों के संबंध बेनकाब होने से भाजपा सरकार बौखला गई है। इस बौखलाहट में भाजपा सरकार माओवाद के विस्तार के गुनहगार अपने नेताओं को बचाने के लिये पुलिस का सहारा ले रही है। कांग्रेस का स्पष्ट रूप से मानना है कि जो भी दोषी हो उसके खिलाफ कार्यवाही होनी चाहिये लेकिन भाजपा सरकार के पुलिस को कार्यवाही की शुरूआत भाजपा के सांसद विधायक और वरिष्ठ नेताओं से करनी चाहिये जिनके खिलाफ प्रमाण उजागर हो चुके है।"
भाजपा के सामने भी समस्या थी कि बोले तो क्या बोले, लेकिन हुजूर राजनीतिक दल पलटी न मारें तो क्या राजनीति, सीधे कह दिया कि "हां गृह जिले का होने के कारण परिचय था, मुलाकात थी बातचीत थी, अब मालूम थोड़े ही था कि कौन अंदर से नक्सल समर्थक है।"
बताईए, अब ऐसी सफाई पे कौन न वारी जाए भला।
खैर! मुद्दे की बात यह है कि जनता करे तो क्या करे, वही बस्तर की जनता कांग्रेस पर भरोसा करे तो उसका भी बंदा नक्सल समर्थक निकला, भाजपा पर विश्वास करे तो उसके आदमियों के समर्थक भी नक्सल समर्थक निकले। संभवत: समर्थन देने और लेने के इस दौर में समर्थक भी लिए और दिए जा सकते हैं। ;)
तो साहिबान मोदी साहब के मिशन 272+ को पलीता ऐसे ही लोग लगाएंगे और राहुलजी के पीएम बनाने के कांग्रेसी सपने को चूर-चूर भी ऐसे लोग ही करेंगे।
मोदी साहब पीएम इन वेटिंग है और उनकी पार्टी के नेताओं पर नक्सल समर्थकों से जुड़े होने के आरोप सामने आ रहे हैं, ऐसे में मिशन 272+ का क्या होगा मोदीजी?
राहुलजी कांग्रेस को बदलने में, सिस्टम में सुधार में लगे हुए हैं, ऐसे में उनकी ही पार्टी का एक स्थानीय नेता नक्सलियों से जुड़े रहने के आरोप में गिरफ्तार होता है। राहुल बाबा ऐसे में कैसे कांग्रेस का हाथ …आदमी के साथ? क्या इसी लिए नारे में बदलाव हुआ? ;)
मोदीजी और राहुलजी से एक सवाल
क्या इस तरह के कारण पर्याप्त नहीं होते जनता के कोई और विकल्प तलाशने के लिए, कम से कम छत्तीसगढ़ में बताइये कि क्यों हम इन दोनों ही दलों पर भरोसा करें? वादों का क्या है वादे तो टूट जाते हैं, इसलिए कम से कम इतना ही बता दीजिए कि जिस नक्सलवाद को नासूर बताने का काम कांग्रेस और भाजपा दोनों ही सालों से करते आ रहे हैं, क्यों उसी नक्सलवाद से जुड़े लोग आपसे जुड़े रहे?
वो गाना था ना कि 'ये पब्लिक है, सब जानती है…"। तो भैया पब्लिक तो यही कह रही है कि ये हो या वो हो, हमाम में तो सब ... हैं।
28 January 2014
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
11 टिप्पणी:
behatareen hai bhaiya ji hardik badhai
behatareen hai bhaiya ji hamaree or se hardik badhai sweekar ho
Modi ji ka sapna Rahul baba ka koi nahi Apna .PM in waiting Bjp aur Cong. ki naxali se hai setting and sanjeet ji thanks for writing.
Modi ji ka sapna Rahul baba ka koi nahi Apna .PM in waiting Bjp aur Cong. ki naxali se hai setting and sanjeet ji thanks for writing.
नंगे बोलने में कैसी शर्म.... :-)
नंगे बोलने में कैसी शर्म..... :-)
नंगे बोलने में कैसी शर्म.... :-)
नंगे बोलने में कैसी शर्म.... :-)
एक स्पष्ट दृष्टि हो, पोषित जिन भी व्यक्तियों ने किया हो, उन्हें बाहर की दिशा दिखा दी जाये।
A balanced view and expressed nicely. Naxalites are militant but if we start tarnishing every one who has any thing to do with anyone with Naxalites connection then are we not behaving the same way.
Kagi kuch janne ko mila hai. Ye post bahut hi jyan dayak tha.
Post a Comment