अभी दिन में खाना खाते हुए आदतानुसार टीवी पर चैनल सर्फ कर रहा था। एनडीटीवी पर
भाजपा के घोषणा पत्र जारी होने की खबर आ रही थी, जिसका शीर्षक था 'भाजपा में लौटे राम'।
दिमाग में ख्याल आया कि राम आखिर गए कहां थे जो लौट आए?
राम तो थे हैं और रहेंगे ही। मनस में भी और राजनीति के मुद्दे में भी, पक्ष में भी और विपक्ष में भी।
कुछ साल पहले ऐसी एक रामनवमी को कुछ विचार “राम” पर
मन में आए थे जिन्हें ब्लॉग बनाने के बाद अपने ब्लॉग में यहां
पर मैनें डाला भी है।
खैर!
दबे-कुचलों को संघर्ष के प्रेरणादाता, भारतीय मायथोलॉजी के महान संगठक राम के जन्मदिवस की बधाई।
;)
03 April 2009
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13 टिप्पणी:
राम थे, या न थे। यह एक विवाद का विषय हो सकता है। लेकिन राम और रामायण के प्रमुख पात्र भारतीय जनजीवन का हिस्सा बन चुके हैं। वे हमें प्रेरणा देते हैं, साहस देते हैं, विपत्ति में सहायक बन चुके हैं। उन्हें कभी भी भारतीय जनजीवन की स्लेट से मिटाना संभव नहीं है। हाँ जिन पौराणिक पात्रों से हम इतना आत्मिक संबंध बना चुके हैं उन का राजनीति और सत्ता हासिल करने के लिए उपयोग शर्मनाक है। क्यों नहीं ये राजनीतिक दल जनता की भावनाओं का दोहन करने के स्थान पर जनता के यथार्थ मुद्दों पर चुनाव लड़ते हैं। जनता बेवकूफ नहीं होती। वह छप्पर फाड़ कर देती है तो चमड़ी भी उधेड़ लेती है।
लौट आयें या लौट जाऐं-बधाई तो जन्म दिन की बनती ही है.
आपमें विषय चयन की
जागरूकता तो है ही....अभिव्यक्ति का
उद्दाम किन्तु संयत वेग भी स्पष्ट
दिखता है...
प्रस्तुति के प्रति सदैव सजग रहना
आपकी साझी उपलब्धि कही जा सकती है.
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राम नवमी की मंगल कामनाओं सहित
डॉ. चन्द्रकुमार जैन
राम के जन्मदिवस की बधाई...
राम हमेशा रहेंगे पर राम पर ये राजनीति भली नहीं लगती
सही कह रहे हैं आप, "राम" भाजपा से कभी भी दूर नहीं गये थे… NDTV जैसे मुस्लिम चैनलों द्वारा जो भ्रम फ़ैलाया गया है वह जल्द ही दूर हो जायेगा… राम मन्दिर, धारा 370 और समान नागरिक संहिता ये मुद्दे पूर्ण बहुमत पर ही हासिल किये जा सकते हैं, लेकिन वक्त की मजबूरी है कि सरकार बनाने के लिये तीसरे मोर्चे के कुछ "जोकरों" को साथ लेना पड़ता है और ये तीनो मुद्दे ठण्डे बस्ते में चले जाते हैं… खैर, भूलेंगे नहीं, भूलने देंगे भी नहीं… आज नहीं तो कल, कल नहीं तो परसों… ये होकर रहेगा, हिन्दू नव-जागरण अब सिर्फ़ कुछ ही वर्ष दूर है…
द्विवेदी जी से सहमत्।
आपको भी बधाई हो राम नवमी की।
राम भगवान न होते तो भी एक लायक पुत्र थे...एक महान आत्मा थे....जनमदिन मंगल हो राम का
सही है - राम बसहिं सब के उर माहीं!
राम-नाम तो रोम रोम मे रमा है..प्रदूषण के कारण रोमकूप बन्द हुए जाते हैं तो राम भीतर ही कही गुम हो गए है लेकिन है ज़रूर ..
सवाल आस्था का है जो हर भारतीय के दिल में है; वह चाहे किसी के घोषणापत्र में हो या न हो।
ram to aap ke dil me hai. mere dil me hai.. sbke dil me hai.siway unke jo neta hai. kyoki unka to dil hi nahi hai. unke pass to ek echcha to es ak chij ki hai wo hai kursi
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