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30 January 2008

मन में उमड़ते कुछ सवालों पर प्रकाशित एक लेख

छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर से प्रकाशित होने वाले सांध्य दैनिक "छत्तीसगढ़" में दिनांक 29 जनवरी को प्रकाशित आवारा बंजारा का एक लेख।



17 टिप्पणी:

Ashish Maharishi said...

mast articale hai

काकेश said...

बहुत खूब.

विनीत उत्पल said...

janb,padh kar man kuchh ho gaya.jam kar likhye aur padhane ko logon ko majbur kijiye.

anuradha srivastav said...

संजीत इसी तरह अपनी लेखनी को अपनी ज़बान बनाते रहिये। लोगों को जागरुक करते रहिये।शायद कभी तो असर होगा।

36solutions said...

छत्‍तीसगढ के वर्तमान परिस्थिति के लिए एक सार्थक लेख । यह छत्‍तीसगढ के जनमन की आवाज है शायद इसीलिए छत्‍तीसगढ में इन तथाकथित समाजसेवियों को व्‍यापक समर्थन नहीं मिल रहा है यदि ये तटस्‍थ होकर अपनी बात करेंगें तो हो सकता है कामरेड शंकर गुहा नियोगी जैसे जन समर्थन का सैलाब इनके साथ स्‍वस्‍फूर्त साथ होगा ।
संजीव

36solutions said...

छत्‍तीसगढ के वर्तमान परिस्थिति के लिए एक सार्थक लेख । यह छत्‍तीसगढ के जनमन की आवाज है शायद इसीलिए छत्‍तीसगढ में इन तथाकथित समाजसेवियों को व्‍यापक समर्थन नहीं मिल रहा है यदि ये तटस्‍थ होकर अपनी बात करेंगें तो हो सकता है कामरेड शंकर गुहा नियोगी जैसे जन समर्थन का सैलाब इनके साथ स्‍वस्‍फूर्त साथ होगा ।
संजीव

Gyan Dutt Pandey said...

इन लोगों के सरकार विरोध का अर्थशास्त्र भी होगा। प्रसिद्धिशास्त्र तो है ही।
इन लोगों से क्या मिलिये - नकली चेहरा सामने आये असली सूरत छिपी रहे। :-)

बालकिशन said...

ज्ञान भइया से सहमत हूँ.
और हाँ आपने बहुत ही शानदार और जानदार लिखा है.
बधाई.

Anonymous said...

मन में उमड़ते सवालों को लेख की तरह नहीं प्रकाशित किया बल्कि आम आदमी की आवाज़ बन कर सवाल उठाया है.. आप इसी तरह से सवाल उठाते रहें. शायद कभी इन सवालों का जवाब मिल जाए.

अजित वडनेरकर said...

संजीत लगे रहो। पोल भी खुले, मन की बात भी हो, मुखौटे भी उतारो और अपनी ईमानदार नीयत भी जताओ। ब्लाग से बढ़कर कोई जरिया नहीं।
बहुत अच्छे।

Anonymous said...

बहुत हिम्मत दिखायी संजीत। भई यह हम नही कर सकते इसलिये इस सन्देश के साथ अपना नाम भी नही दे रहे है। दरअसल राज्य के असंतुष्टो को बरगलाने के लिये सीज़ी नेट बना। दिल्ली और दूसरे महानगरो मे बैठे शुभ्रांशु जैसे लोग राज्य के भोले-भाले लोगो के कन्धे पर बन्दूक लगाकर चलाते रहे। आज तो सीजीनेट बर्बाद हो चुका है। चन्द प्रायोजित लोग ही बक-बक करते दिखते है। हमारे डीजीपी जरा इनको भी देखे और भडकाकर राजनीति करने वालो को राज्य से दूर रखे तो यह राज्य के आम लोगो पर बहुत अहसान होगा।

mamta said...

संजीत आप को बधाई।
बस इसी तरह आप बेबाक लिखते रहे।

Shiv Kumar Mishra said...

बहुत ही बढ़िया लिखा है संजीत. सरकार का विरोध करना, नेताओं को गाली देना, पहले से बनी हुई समाज व्यवस्था को गाली देना (मेरा मतलब यह नहीं कि पहले से बनी समाज व्यवस्था अच्छी है. लेकिन हर बात के लिए इसे जिम्मेदार भी नहीं ठहराया जा सकता), हर ख़राब काम की जिम्मेदारी किसी के कंधे पर डाल देना, ये सारे काम करके प्रसिद्धि मिलती है, पैसा मिलता है. इसलिए बहुत सारे लोग लोग लगे हुए हैं.

नक्सली मरते हैं तो मानवाधिकार का हनन होता है. पुलिस वाले मरते हैं तो नहीं होता, क्योंकि शायद इनकी नज़र में पुलिस वालों का मानवाधिकार नहीं होता. सरकारी मुलाजिमों को बहुत सारे इलाकों में शायद इसलिए नहीं जाने दिया जाता कि उनके जाने से प्रदेश में विकास न शुरू हो जाए. फिर इन लोगों का क्या होगा. ये लोग तो बेरोजगार हो जायेंगे. अभी दो महीने पहले ही कानू सान्याल को देखा था टीवी पर. नक्सलबारी के आन्दोलन की परिणति उनके चेहरे पर साफ झलक रही थी. और उनकी बातों में भी.

chaya said...

http://chayanikauniyal.blogspot.com/2007/10/let-us-act-before-it-is-too-late.html plz go through it

chaya said...

http://chayanikauniyal.blogspot.com/2007/10/let-us-act-before-it-is-too-late.html plz go through it. it on naxal issue

sanjay pandey said...

यह बिलकुल कटु सत्य है की इस प्रकार के नामचीन लोग हमेशा सरकारी तंत्र को ही हमेशा कटघरे में खडा करके प्रसिद्धि पाना चाहते है.क्या अन्याय के खिलाफ लड़ाई गलत है.इस प्रकार के बयानबाजी करके ये लोग नक्सलियों को हीरो बनाने की कोशिश करते है.मुझे भी आज तक ये समझ में नहीं आया है की इन नक्सलियों पर क्या गलत हुआ है जिसके लिए निर्दोष लोगो का खून बहाना भी जायज है....?

sanjay pandey said...

यह बिलकुल कटु सत्य है की इस प्रकार के नामचीन लोग हमेशा सरकारी तंत्र को ही हमेशा कटघरे में खडा करके प्रसिद्धि पाना चाहते है.क्या अन्याय के खिलाफ लड़ाई गलत है.इस प्रकार के बयानबाजी करके ये लोग नक्सलियों को हीरो बनाने की कोशिश करते है.मुझे भी आज तक ये समझ में नहीं आया है की इन नक्सलियों पर क्या गलत हुआ है जिसके लिए निर्दोष लोगो का खून बहाना भी जायज है....?

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