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07 July 2007

नक्सलियों के पास टीएनटी?

हाल ही में छत्तीसगढ़ में डोंगरगढ़ के पास कंगुर्रा जंगल से मिले विस्फोटकों में टीएनटी (टाईनाइट्रोटालुइन) होने की आशंका ने पुलिस के होश उड़ा दिए हैं।

यह खबर दैनिक भास्कर से साभार


विस्तृत खबर यहां उपलब्ध है।

जैसा कि कल ही हमने नवभारत अखबार की खबर यहां दी थी कि लिट्टे नक्सलियों को लड़ने के नए नए गुर सीखा रहा है। उसके बाद यह टीएनटी वाली खबर।

यह समझ में नही आता कि अब इन नक्सवादियों का उद्देश्य क्या है, जल, जंगल और जमीन की लड़ाई लड़ते, अपने या आदिवासियों और ग्रामीणों के हक़ की लड़ाई लड़ते यह अब किस दिशा में जा रहे है। पहले सिर्फ़ लैंडमाईन्स बिछाने वाले, पुलिस के खिलाफ़ गोलियां बरसाने वाले अब लिट्टे से युद्ध कला सीख रहे हैं , जैसा कि ताज़ा खबर में आशंका जताई गई है की अब तो इनके पास टी एन टी जैसा विस्फोटक भी हो सकता है।सवाल यह उठता है कि यह "दादा लोग" आखिर चाहते क्या हैं, क्या यह लड़ाई अब सिर्फ़ जल, जंगल और जमीन की रह गई है या फ़िर धीरे-धीरे अलगाव की मांग के सशस्त्र पथ की ओर बढ़ रही है।

इस तरह अंधाधुंध हिंसा का और ऐसे विस्फोटकों का सहारा लेकर ये तो जनमानस में पैठी अपने प्रति सहानुभूति को खुद ही खत्म करते जा रहे हैं। पहले आदिवासी अपने गांवों मे इन "दादा लोग" का स्वागत करते थे खाने-रुकने की स्वस्फूर्त व्यवस्था करते थे पर अब ऐसा नही है, क्यों।

दूसरी बात जो कि मै सिर्फ़ छत्तीसगढ़ के संदर्भ में कहना चाहूंगा वह यह कि नक्सली यह आरोप लगाते आए हैं कि छत्तीसगढ़ के भोले भाले आदिवासियों का शोषण हो रहा है तो जहां तक अपनी नज़र जाती है( मालूम है कि बहुत दूर तक नही जाती) छत्तीसगढ़ में सक्रिय ज्यादातर नक्सली आंध्रप्रदेश के ही हैं, ऐसा क्यों? क्या यह आंध्र के नक्सली भोले भाले आदिवासियों का शोषण खुद नही कर रहे।

खैर! हमारा विरोध किसी "वाद" या "इज़्म" को लेकर नही है, हमारा विरोध सिर्फ़ और सिर्फ़ हिंसा के प्रति है। नक्सली और पुलिसिया हिंसा, दोनो में मारे जाने वाले सिर्फ़ आदिवासी ही हैं, दोनो पाटों के बीच पिसने वाला आदिवासी ही है और कोई नही।

कल ही राजधानी रायपुर में एक हार्डकोर नक्सल दंपत्ति गिरफ़्तार हुआ जो कि यहां अपनी चिकित्सा के लिए आया हुआ था, इस संबध मे विस्तृत जानकारी कल उपलब्ध होगी!!
रायपुर में नक्सलियों की तीसरी चौथी गिरफ़्तारी है। इस से यह भी साबित होता है कि राजधानी में भी नक्सली बेखटके आना जाना कर रहे हैं। क्या राजधानी रायपुर के नागरिक भी नक्सली हमलों के लिए सचेत हो जाएं, राज्य सरकार और पुलिस इस बात का जवाब दे सकती है?

6 टिप्पणी:

36solutions said...

नक्‍सलियों के पास टी एन टी के साथ भारी मात्रा में असलहा बरामद होना और नित नये समाचार अब सरकार को आर पार की सोंचने को मजबूर कर रहे हैं फिर भी सरकार पता नहीं क्‍यों मजबूर है । आपने सहीं कहा कि लगभग हर बडे नक्‍सली नेता आंध्र या आंध्र बार्डर से हैं छत्‍तीसगढ के बस्‍तर का एक बडा हिस्‍सा आंध्र प्रभवित है और आंध्र प्रदेश में जहां खुलेआम जनता के द्वारा चुने गये जनप्रतिनिधि को सुनुयोजित तौर पर गोली मार दी जाती है प्रदेश प्रमुखों की बैठक होती है पर रिजल्‍ट सिफर । मेरे एक मित्र नक्‍सलियों के चुंगंल में बुरी तरह से फंस चुके थे, (तब से मुझे इस प्रदेश के नक्‍सलियों के बागडोर का अंदाजा है लगभग वहीं से उनके विचार व हिंसा से भी रूबरू हुआ हूं) । फिर भी मीडिया आंध्र के सच को उजागर नही करती है ना ही छग व आंध्र में नदी विवाद के अतिरिक्‍त कोई सार्थक सोंच नजर आती है । आपका मुद्दा आंध्र नक्‍सलियों के मूल का एक बडा मुद्दा है, सार्थक विचार के लिए धन्‍यवाद ।

ePandit said...

संजीत भाई आपसे नक्सलवाद के बारे में एकदम सही और निष्पक्ष जानकारी मिलती है अन्यथा कुछ लोग तो उसे महिमामंडित ही करते रहते हैं। आगे भी ऐसी जानकारी देते रहें।

विनीत उत्पल said...

कम से कम आप से छग और वहां चल रहे नकसली आंदोलन की जानकारी मिलती तो है।

Sanjeet Tripathi said...

@संजीव जी दर-असल पिछले कुछ अरसे में गिरफ़्तार हुए नक्सलियों की सूची पर नज़र डालने से यही बात सामने आई है कि छत्तीसगढ़ में सक्रिय ज्यादातर नक्सली आंध्रप्रदेश से ही है, ऐसा क्यों इसी बात पर विचार करने की ज्यादा जरुरत है!!

@शुक्रिया श्रीश भाई, कोशिश यही रहेगी कि निष्पक्ष जानकारी यहां उपलब्ध करवाता रहूं!

@विनीत उत्पल जी, आप छत्तीसगढ़ डेस्क संभाल चुके हैं आपको छत्तीसगढ़ के हालात की तो जानकारी होगी ही!! चिट्ठे पर पधारने का शुक्रिया। कोशिश रहेगी कि जानकारियां उपलब्ध करवाता रहूं!

सुनीता शानू said...

संजीत जी बहुत दुख होता है यह सब पढ़ कर लगता है नक्सलियों का आतंक सारे देश में फ़ैला है आये दिन खबर पढ़ते है मगर होता कुछ नही सरकार के ही कुछ नेता लोग लगता है साथ मिले हुए है राजधानी में भी नक्सली बेखटके आना जाना किये है आपकी इस बात से यह साफ़ पता चलता है कि पुलिस जैसे कि साथ मिली है...इनका उद्देश्य सिर्फ़ हिंसा बढ़ना लग रहा है...

सुनीता(शानू)

रंजू भाटिया said...

आपका लिखा प्रभावित करता है संजीत जी ...बहुत कुछ पढ़ रही हूँ इन दिनो इस के बारे में ..आपके लेख से सही जानकारी मिली ..

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