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25 March 2011

जाने क्या होगा रामा रे...

काफी दिनों से कुछ लिखा नहीं था यहां। तब से जब से अस्वस्थता के चलते बिस्तर पर था। 4 जनवरी को ब्लॉग पर अपनी गर्दन के नस पकड़ लेने (खिंच जाने) के बारे में लिखा था। बाद में जब तमाम तरह के चेकअप और एक्सरे हुआ तब मालूम चला  कि स्पॉंडिलाइटिस की समस्या हो गई है। बस डॉक्टर ने गले में पट्टा पहना दिया लेकिन हफ्ते भर में कोई रिकवरी न देख, एमआरआई टेस्ट करवाने की सलाह दी, क्योंकि तब हाथों ने कंधों से उपर उठने से इंकार कर दिया था। एमआरआई टेस्ट से जो सामान्य शब्दों में मालूम चला वो ये  कि रीढ़ की हड्डी, कंधे-गर्दन के जोड़ पर नसों को दबाए जा रही है। खतरा पैरालिसिस का था। फिर दवाओं और स्टेराइड्स का दौर चला। जनवरी अंत तक काफी कुछ रिकवरी सो 3 फरवरी से नौकरी पर वापस हुआ लेकिन दवाएं चलती रहीं, स्टेराइड्स बंद। गर्दन का पट्टा लगा रहा। जो कि फरवरी मध्य में निकला। इस बीच फिजियोथेरेपी भी चली।

बहरहाल, शुक्रिया मेरे डॉक्टर साहब का जिन्होंने महज एक ही महीने में मुझे फिर से चलता-फिरता बना दिया। बाइक चलाने की इजाजत भी मिल गई। सलाह यही कि किक न मारो, सेल्फ स्टार्ट वाली बाइक खरीदो, तनकर बैठना, ज्यादा देर कंप्यूटर पर लगातार नहीं बैठना। तो इसके चलते  ब्लॉग्स पढ़ पाना आजकल बहुत ही कम हो गया है। यही कारण भी रहा कि अपने ब्लॉग पर भी लिखना नहीं हो पाया।

जैसा कि कहा, काफी दिनों से कुछ लिखा नहीं था। लिखने तो अखबार में लिखना हो ही रहा लेकिन मन का कहां लिखें। अखबार आज के, मन का सच लिखने कहां देते हैं संवाददाताओं को। इसके खिलाफ नहीं छपेगा, उसके खिलाफ नहीं, इस मंत्री-उस अफसर के खिलाफ नहीं। राज्य सरकार के खिलाफ तो बिलकुल ही नहीं।
क्या बड़े और क्या छोटे, जिस अखबार ने गलती से भी सरकार के खिलाफ कुछ छाप दिया तो बस दो-चार दिन के लिए उसके सरकारी विज्ञापन रोक दिए जाते हैं, फिर उस अखबार के कर्ता-धर्ता सरकार की चौखट पर मत्था टेकते नजर आते हैं तब जाकर विज्ञापन शुरु होते हैं। सारा खेल यही है, कम से कम छत्तीसगढ़ में। कमोबेश सभी राज्य में ऐसा ही हाल होगा, यही प्रतीत होता है।

खैर, गर्मी ने अभी से अपने तेवर दिखाने शुरु कर दिए हैं। अपने यहां तो पारा अभी से ही 39 पार हो गया है। आगे तो सूरज आग ही उगलेगा।
 जाने क्या होगा रामा रे...

9 टिप्पणी:

मीनाक्षी said...

जो होगा अच्छा ही होगा...पुराने मित्रों को वापिस लौटते देख अच्छा लगता है लेकिन जान है तो जहान है...जब जी चाहे तब आइए हमारी तरह ...:)

प्रवीण पाण्डेय said...

आप शीघ्र स्वस्थ हों और मन का सच ब्लॉग पर लिखें।

Satish Saxena said...

होमिओपैथी में यह इलाज संभव है किसी अच्छे डॉ से सलाह करें ! शुभकामनायें !!

Udan Tashtari said...

ब्लॉग फिलहाल जरुरी नहीं..पहले तबीयत दुरुस्त करो, फिर तो ब्लॉग है ही..यह कहाँ जा रहा है.

शीघ्र स्वास्थय लाभ के लिए अनेक शुभकामनाएँ.

राज भाटिय़ा said...

अजी जल्दी से बिलकुल अच्छे हो जाओ, हमारी शुभकामनाऎ आप के संग, यह ब्लाग सलाग तो बाद की बात हे, बाकी अखबार की बात से आप से सहमत हे जी, धन्यवाद

राहुल सिंह said...

आगे आप स्‍वस्‍थ्‍य बने रहें, बाकी तो सब सरद-गरम चलता ही रहेगा.

36solutions said...

शीघ्र स्वास्थय लाभ के लिए शुभकामनाएँ, अंतिम पैरा में अंतर्निहित दुख का इलाज ब्‍लॉग ही है, स्‍वास्‍थ्‍य लाभ के उपरांत इसे निरंतर रखें.

अजित गुप्ता का कोना said...

शीघ्र स्‍वास्‍थ्‍य लाभ लो।

उम्मतें said...

आप स्वस्थ बने रहिये ! ब्लागिंग होती रहेगी ! शुभकामनायें !

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