tag:blogger.com,1999:blog-7119634122493228421.post3204689305716679772..comments2024-01-12T11:59:41.030+05:30Comments on आवारा बंजारा: वाह हरिभूमि, मुकाबला मनोहर कहानी से?Sanjeet Tripathihttp://www.blogger.com/profile/18362995980060168287noreply@blogger.comBlogger22125tag:blogger.com,1999:blog-7119634122493228421.post-45078840054232318542011-11-03T23:07:26.544+05:302011-11-03T23:07:26.544+05:30सोहिल आपकी जानकारी के लिये बता दूं कि मनोहर कहानिय...सोहिल आपकी जानकारी के लिये बता दूं कि मनोहर कहानियां ओर सत्यकथा के नाम के आगे-पीछे कुछ लगाकर सी ग्रेड पत्रिका भी बाजार में मौजूद हैं सम्भवतः आपने वही देखी होगी। केवल मनोहर कहानियां देखते तो शायद खुशी होती। वह अपना वजूद आज भी कायम किये हुए है। आज भी वह बेजोड़ है। बाजार मंे कई बहुचर्चित मामलों के साथ ताजा अंक मौजूद है।Nitin Sabrangihttps://www.blogger.com/profile/00511279827367795510noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7119634122493228421.post-19587035672357802562011-10-25T12:41:38.593+05:302011-10-25T12:41:38.593+05:30मनोहर कहानियां और सत्यकथा नामक पत्रिका जब तक माया ...मनोहर कहानियां और सत्यकथा नामक पत्रिका जब तक माया पब्लिकेशन छापता था, तभी तक बढिया थी। मनोहर कहानियां तो अपने समय की बेहतरीन पत्रिका होती थी। उसमें लिखने वाले पुष्कर पुष्प और इंस्पेक्टर नवाज खां जैसे लेखकों की कमी आजतक कोई पूरी नहीं कर पाया है। <br />अब इन दोनों को डायमंड पॉकेट बुक्स ने खरीद लिया है और मधुर कथायें जैसी सी-ग्रेड पत्रिका बना दिया है।<br /><br />प्रणामअन्तर सोहिलhttps://www.blogger.com/profile/06744973625395179353noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7119634122493228421.post-8169994983098177532010-12-04T12:05:12.121+05:302010-12-04T12:05:12.121+05:30पढ़कर अच्छा लगा। बताना चाहूंगा मनोहर कहानियाँ/सत्यक...पढ़कर अच्छा लगा। बताना चाहूंगा मनोहर कहानियाँ/सत्यकथा अभी भी पूरी तरह बाजार में है। कहानी के क्षेत्र में नंबर वन है। एक जनाब ने उसे छिपकर पढ़ने की बात कही है, मेरे ख्याल से बिना देखे समझे कुछ भी बोल देना गलत हैं। उन्होंने दोयम दर्जे की पत्रिकाएं पढ़ी होंगी जिनमें अश्लीलता की भरमार होती है। मनोहर कहानियां का एक स्तर है। यहां केवल हाईप्रोफाइल केस ही हेाते हैं। आला अधिकारियों से लेकर कई परिवार लाखों पाठक आज भी मौजूद हैं। बतना चाहूंगा कि मनोहर कहानियां के साथ ग्रुप की कुल 31 पत्रिकाएं 9 भाषाओं में पूरे देश में पढ़ी जाती हैं।Nitin Sabrangihttps://www.blogger.com/profile/00511279827367795510noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7119634122493228421.post-13071714578898553412008-02-28T20:09:00.000+05:302008-02-28T20:09:00.000+05:30मेरी राय सबसे अलग है मनोहर कहानियाँ के प्रति, यह म...मेरी राय सबसे अलग है मनोहर कहानियाँ के प्रति, यह मासिक पत्रिका एक समय भारत की सबसे ज्यादा बिकने वाली पत्रिका हुआ करती थी। यह पत्रिका उतनी भी बुरी नहीं थी। मैं इस पत्रिका को बहुत चाव से पढ़ा करता था और आज भी मिल जाये तो पढ़ता हूँ।<BR/>इस पत्रिका को छुप कर या छुपा कर पढ़नॆ झाईशा इसमें कुछ नहीं आता, हाँ इसकी तर्ज पर दर्जनों पत्रिकायॆं वाहियात सामग्री परोसा करती थी जिसमें से कई बंद हो गई। <BR/>मनोहर कहानियां में कई एतिहासिक कहानियां आती थी जो बहुत ही शानदार हुआ करती है।सागर नाहरhttps://www.blogger.com/profile/16373337058059710391noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7119634122493228421.post-36637413356961760382008-02-25T15:49:00.000+05:302008-02-25T15:49:00.000+05:30अफसोस होता है इस तरह की दूषित मानसिकता से।अफसोस होता है इस तरह की दूषित मानसिकता से।anuradha srivastavhttps://www.blogger.com/profile/15152294502770313523noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7119634122493228421.post-53685281298207157112008-02-24T10:51:00.000+05:302008-02-24T10:51:00.000+05:30ये सब समय और जनता की मांग है.और प्रगितिशिलता या पत...ये सब समय और जनता की मांग है.<BR/>और प्रगितिशिलता या पतनशीलता के अघोषित नतीजें है. ये और बढेगी अभी.बालकिशनhttps://www.blogger.com/profile/18245891263227015744noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7119634122493228421.post-61161761039246836412008-02-24T03:20:00.000+05:302008-02-24T03:20:00.000+05:30' said... बॉस से टी.डी.पी क्या है।संजीत भाई अखबार...' said... बॉस से टी.डी.पी क्या है।<BR/><BR/><BR/>संजीत भाई अखबार बेचने के लिए बहुत कुछ करना पडता है, देखते रहिए जिन अखबारों में अभी तक नहीं आ रहा वहां भी आएगा अभी तो।राजीव जैनhttps://www.blogger.com/profile/07241456869337929788noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7119634122493228421.post-76319006592625282012008-02-24T01:28:00.000+05:302008-02-24T01:28:00.000+05:30सारा देश ही डंके की चोट पे पतन की अओर अग्रसर है तो...सारा देश ही डंके की चोट पे पतन की अओर अग्रसर है तो इस अखबार की क्या कहें।Anita kumarhttps://www.blogger.com/profile/02829772451053595246noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7119634122493228421.post-29768495448933840232008-02-23T23:43:00.000+05:302008-02-23T23:43:00.000+05:30यह अखबार लीडिंग समाचार पत्रों में सबसे कम दर का अच...यह अखबार लीडिंग समाचार पत्रों में सबसे कम दर का अच्छे सरकुलेशन वाला अखबार है । इसके बहुसंख्यक पाठक गांव के हैं जिन्हें ऐसी कहानी अच्छी लगती है इसलिये यह पेज लगाया जाता है, मैं लगभग सभी समाचार पत्रों पर नजर डालने का प्रयास करता हूं । इस समाचार पत्र का सप्लीमेंट वेबभूमि, रविवारीय, बालभूमि, सियासतनामा, व छत्तीसगढी चौपाल अपनी सामाग्री एवं स्तर में संग्रहणीय व पठनीय है ।36solutionshttps://www.blogger.com/profile/03839571548915324084noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7119634122493228421.post-56851477387024762652008-02-23T22:07:00.000+05:302008-02-23T22:07:00.000+05:30खबिरा खड़ा बाजार में मांगे अपनी खैरचाकू से फुल दोस...खबिरा खड़ा बाजार में मांगे अपनी खैर<BR/>चाकू से फुल दोस्ती, ना डाकू से बैरALOK PURANIKhttps://www.blogger.com/profile/09657629694844170136noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7119634122493228421.post-42082871639518010832008-02-23T20:23:00.000+05:302008-02-23T20:23:00.000+05:30मनोहर कहानियाँ जैसी किताबों को तो लोग खरीद कर छुप...मनोहर कहानियाँ जैसी किताबों को तो लोग खरीद कर छुप कर पढ़ते रहे होंगे पर अखबार मे ही जब ये सब छप रहा हो तब तो भगवान ही मालिक है।क्यूंकि अखबार तो हर कोई पढता है।mamtahttps://www.blogger.com/profile/05350694731690138562noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7119634122493228421.post-76545269328841675932008-02-23T19:52:00.000+05:302008-02-23T19:52:00.000+05:30मनोहर कथा का ब्लॉग भी आयेगा। जरा पैर जमने दें हिन्...मनोहर कथा का ब्लॉग भी आयेगा। जरा पैर जमने दें हिन्दी ब्लॉगिंग के!Gyan Dutt Pandeyhttps://www.blogger.com/profile/05293412290435900116noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7119634122493228421.post-15429727651686942662008-02-23T19:30:00.000+05:302008-02-23T19:30:00.000+05:30सब डिमांड/सप्लाई का खेला है. यह उसी का नतीजा है.सब डिमांड/सप्लाई का खेला है. यह उसी का नतीजा है.Udan Tashtarihttps://www.blogger.com/profile/06057252073193171933noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7119634122493228421.post-29152930992548866852008-02-23T19:27:00.000+05:302008-02-23T19:27:00.000+05:30यह बाजार है। हर कोई खड़ा बाजार में। बाजार की मांग ...यह बाजार है। हर कोई खड़ा बाजार में। बाजार की मांग की पूर्ति करता हुआ।दिनेशराय द्विवेदीhttps://www.blogger.com/profile/00350808140545937113noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7119634122493228421.post-84165164972142801632008-02-23T19:11:00.000+05:302008-02-23T19:11:00.000+05:30एक बात तो स्वीकारनी होगी कि लोकप्रियता और प्रसार...एक बात तो स्वीकारनी होगी कि लोकप्रियता और प्रसार संख्या के मामले में ऐसे पत्र-पत्रिकाओं के सामने कोई नहीं ठहरता. भले ही लोग दबे-छुपे पढ़ते हों.bhuvnesh sharmahttps://www.blogger.com/profile/01870958874140680020noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7119634122493228421.post-59870771886367585292008-02-23T19:05:00.000+05:302008-02-23T19:05:00.000+05:30अखबारों की दुनिया में जबर्दस्त प्रतिस्पर्धा है, ये...अखबारों की दुनिया में जबर्दस्त प्रतिस्पर्धा है, ये उसी का नतीजा है…Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/02326531486506632298noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7119634122493228421.post-272333268779990002008-02-23T18:42:00.000+05:302008-02-23T18:42:00.000+05:30सेक्स और राजनीति - ये दुनिया के दो सबसे पुराने व्य...सेक्स और राजनीति - ये दुनिया के दो सबसे पुराने व्यवसाय हैं. कभी बंद नही होने वाले. हरिभूमि को देख के टेंशन न ले - टाइम्स ऑफ़ इंडिया की तसवीरें देखिये - यह ख़ुद तो भारत का "न्यू यार्क टाइम्स" कहता है? <BR/>सौरभस https://www.blogger.com/profile/03027465386856609299noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7119634122493228421.post-48902396599118501542008-02-23T18:22:00.000+05:302008-02-23T18:22:00.000+05:30बीमारियाँ सभी को लग रही हैं. ये रिपोर्ट इस बात को ...बीमारियाँ सभी को लग रही हैं. ये रिपोर्ट इस बात को दर्शाती है, संजीत.Shiv Kumar Mishrahttps://www.blogger.com/profile/16210136982521324733noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7119634122493228421.post-72606673531006981152008-02-23T18:16:00.000+05:302008-02-23T18:16:00.000+05:30इस पर क्या कहें? सिर्फ यही कि, ये तो होना ही था......इस पर क्या कहें? सिर्फ यही कि, ये तो होना ही था... :)Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7119634122493228421.post-42349830622759587132008-02-23T18:10:00.000+05:302008-02-23T18:10:00.000+05:30संजीत बाबू बिल्कुल मनोहर कहानियां...जैसी मैजगीन अभ...संजीत बाबू बिल्कुल मनोहर कहानियां...जैसी मैजगीन अभी भी प्रकाशित होती है। फर्क सिर्फ इतना है कि उनकी बिक्री जरुर कम हो गई है। इसकी वजह ये है कि इनका मुकाबला न्यूज चैनल पर आने वाले क्राइम प्रोग्राम और अखबार के सप्लीमेंटस (हरिभूमि से पहले अमर उजाला, दैनिक जागरण सरीखे अखबारो में क्राइम का अलग पन्ना है) से हो गया है। अंग्रेजी अखबारो को भी खोलकर देखे तो उनमें अपराध से जुड़ी खबरे ही ज्यादा दिखाई देंगी। दैनिक जागरण ने तो अपनी वेबसाईट पर 'अपराध' नाम से ही एक कॉलम बना दिया है।Neeraj Rajputhttps://www.blogger.com/profile/04539779918627905380noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7119634122493228421.post-7207044701166940202008-02-23T17:59:00.000+05:302008-02-23T17:59:00.000+05:30टी.डी.पी. बढ़ाने के चक्कर मे अखबारों से लेकर टी.वी....टी.डी.पी. बढ़ाने के चक्कर मे अखबारों से लेकर टी.वी. वाले तक सभी यही कर रहे है कही दंत कथाये तो कही सत्य कथा तो अपराध बोध जगाने वाले समाचारों को पढ़ा और दिखा रहे है यह बीमारी पहले भी मैगजीन और समाचार पत्र मे देखते थे अब इस बीमारी को टी.वी. चैनल वाले बखूबी बढ़ा रहे है आगे देखिये क्या क्या होता हैसमयचक्रhttps://www.blogger.com/profile/05186719974225650425noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7119634122493228421.post-13579943912850265482008-02-23T17:55:00.000+05:302008-02-23T17:55:00.000+05:30yah mamu jo bikta hai wahi chapta haiyah mamu jo bikta hai wahi chapta haiSamrendra Sharmahttps://www.blogger.com/profile/02205863005513141637noreply@blogger.com